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रिजर्व बैंक की तरफ से आम जनता को राहत!

रिजर्व बैंक की तरफ से आम जनता को राहत!

by हिंदी विवेक
in आर्थिक, ट्रेंडींग
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भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तीन दिनों से चल रही मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुक्रवार को खत्म हुई। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक के बाद ऐलान किया कि इस बार ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की जा रही है। आरबीआई के इस फैसले से आम जनता को राहत मिली है और अब किसी भी लोन पर ब्याज दर नहीं बढ़ेगी। कोरोना काल से ही महंगाई ने तेजी से छलांग लगाई है। हर दिन बढ़ते तेल के दाम भी महंगाई में आग लगाने का काम कर रहे हैं ऐसे में आरबीआई की तरफ से राहत भरा फैसला रहा है। 
रेपो व रिजर्व रेपो रेट
रिजर्व बैंक की तरफ से गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि रेपो रेट को 4 प्रतिशत पर भी फिक्स किया गया है इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है जबकि रिजर्व रेपो रेट को भी 3.35 प्रतिशत पर रोका गया है। इस तिमाही में किसी भी ब्याज दर को नहीं बढ़ाया जा रहा है। रिजर्व बैंक की तरफ से यह 9वीं बार है जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। 2001 के बाद का यह सबसे निचला रेपो रेट है। 
 
क्या होता है रेपो व रिजर्व रेपो रेट?
देश की प्रमुख रिजर्व बैंक जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देती है उसे रेपो रेट कहा जाता है और इसी कर्ज से बैंक अपने ग्राहकों को लोन देती है। अब अगर रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाती है तो बैंक भी अपने ग्राहक की ब्याज दर बढ़ा सकते हैं। इसलिए रिजर्व बैंक का रेपो रेट ना बढ़ाने का फैसला आम जनता के हित में होता है। बैंक जब कोई राशि आरबीआई में जमा करता हैं तो उस पर मिलने वाला ब्याज रिजर्व रेपो रेट कहलाता है। रिजर्व रेपो रेट के द्वारा बाजार की नकदी को नियंत्रित किया जाता है। 
 
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि तेजी से बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए ब्याज दरों पर रोक लगाना जरूरी है। कोविड के बाद से बाजार बहुत डरे हुए है इसलिए कोई भी एक गलत कदम अर्थव्यवस्था को बिगाड़ सकता है। रिजर्व बैंक ने 2021-22 में महंगाई दर का अनुमान 5.7 प्रतिशत लगाया था जबकि इस बार इसे घटाकर 5.1 प्रतिशत कर दिया है। अक्टूबर- दिसंबर तिमाही में खुदरा महंगाई दर 5.3 की जगह 4.5 प्रतिशत रहने वाली है। आरबीआई की तरफ से जारी यह आंकड़े लोगों के लिए राहत भरे हो सकते है।  

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Tags: heritagehindi vivek magazineindian cultureindian politicsindian traditioninformativeRBIrepo ratereverse repo rateshaktikant das

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