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आप करामाती ऍप करिश्माई

आप करामाती ऍप करिश्माई

by अभिषेक कुमार सिंह
in अक्टूबर-२०२१, तकनीक, विशेष, सामाजिक
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बीते डेढ़ वर्ष में कोरोना काल के दौरान जब लोग घरों में कैद रहने को विवश हो गए, तो ये ऐप उनका बड़ा सहारा बने और दुनिया को इसका एहसास हुआ कि अगर इंटरनेट न होता, वेबसाइट्स न होती और ये मोबाइल एप्स न होते, तो सच में दुनिया की चाल एकदम से थम जाती।

इंटरनेट के 30 साल के इतिहास में यह पहला मौका है, जब इंटरनेट से चलने वाले किसी मोबाइल ऐप को दुनिया की आबादी से ज्यादा लोगों ने अपने स्मार्टफोन पर डाउनलोड किया है। यह गूगल का वीडियो स्ट्रीमिंग ऐप यूट्यूब है, जिसे गूगल के प्ले स्टोर से अब तक 10 अरब से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है। दुनिया की आबादी इस वक्त करीब 7.88 अरब मानी जा रही है। उस हिसाब से यूट्यूब को करीब सवा दो अरब अधिक स्मार्टफोन्स में जगह मिल चुकी है। उल्लेखनीय यह भी है कि इन आंकड़ों में एप्पल ऐप स्टोर से डाउनलोड की गई संख्या को नहीं जोड़ा गया है। इससे अंदाजा लग सकता है कि मोबाइल ऐप की दुनिया कहां जा पहुंची है?

मोबाइल ऐप्स की दुनिया में जलवा सिर्फ यूट्यूब का ही नहीं है बल्कि सोशल मीडिया के महारथियों में फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और वीडियो स्ट्रीमिंग के मामले में टिक-टॉक भी किसी से कम नहीं है। हाल के आंकड़ों के मुताबिक फेसबुक को यूट्यूब के बाद सबसे ज्यादा बार डाउनलोड किया गया है। गूगल प्ले स्टोर से इसे अपने स्मार्टफोन में जगह देने वालों की संख्या 7 अरब रही जबकि व्हाट्सएप 6 अरब बार और फेसबुक के स्वामित्व वाले इंस्टाग्राम को 3 करोड़ बार डाउनलोड किया गया। जाहिर है कि जिन मोबाइल एप्लिकेशन को करोड़ों-अरबों लोग अपने स्मार्टफोन में जगह दे रहे हैं, उनकी कोई न कोई उपयोगिता तो होगी ही। हालांकि फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप को सूचना, वीडियो व अन्य जानकारी प्रेषित करने में आजमाया जाता है मगर सैकड़ों ऐसे मोबाइल ऐप्स हैं, जिनकी काफी कामकाजी उपयोगिता है। जैसे- घर बैठे भोजन मंगवाना, टैक्सी बुलाना, बैंकिंग से जुड़े कामकाज निपटाने हो या पढ़ाई करनी हो। यूं तो दुनिया में इन सारे मोबाइल ऐप्स की होड़ पहले से मची हुई थी, लेकिन बीते डेढ़ वर्ष में कोरोना काल के दौरान जब लोग घरों में कैद रहने को विवश हो गए, तो ये ऐप उनका बड़ा सहारा बने और दुनिया को इसका एहसास हुआ कि अगर इंटरनेट न होता, वेबसाइट्स न होती और ये मोबाइल एप्स न होते, तो सच में दुनिया की चाल एकदम से थम जाती।

सब कुछ होगा अब ऐप पर

आज हालत यह है कि घर बैठे कुछ भी मंगाना हो, तो इसके लिए ऐप हाजिर हैं। सेहत की जांच करानी हो, तो ऐप एक सहारा है। योगासन करने हो, तो इसका भी ऐप है बल्कि इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून, 2021) को तो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धेसर अिि लॉन्च करके दुनिया को एक खास तोहफा दिया ताकि कोरोना वायरस से प्रभावित लोग भी योगासन करके खुद को स्वस्थ रख सकें। सबसे उल्लेखनीय तो यह है कि इस ऐप को भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (थकज) के सहयोग से बनाया है। इसके जरिए दुनिया भर में कई भाषाओं में योगा ट्रेनिंग और प्रैक्टिस सेशन की सुविधा मिल रही है।

आज यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि दुनिया का ऐसा कौन-सा रोजमर्रा का काम है, जिसमें मोबाइल ऐप मदद नहीं कर रहे होंगे। रेल, बस, विमान आरक्षण तमाम काम ऐप के जरिए हो रहे हैं। बैंकों के खातों से रकम का लेनदेन, शेयरों की खरीद-फरोख्त, शादी के लिए रिश्तों की खोजबीन, अखबारों को पढ़ने की सहूलियत और हर किस्म की पढ़ाई का जरिए ये ऐप बन गए हैं। ऐप की खास बात यह है कि एक बार इन्हें गूगल प्ले स्टोर या एप्पल प्ले स्टोर से अपने स्मार्टफोन में उतार लेने (डाउनलोड कर लेने) के बाद अंगुली के सिर्फ एक टच से खोला यानी चालू किया जा सकता है और मनचाहा काम किया जाता है। इसके लिए इंटरनेट पर जाकर वेबसाइट खोजने की जरूरत नहीं है।

ऐप में ऐब कम, सुविधाएं ज्यादा

हम यह नहीं कह सकते कि मोबाइल ऐप में कोई ऐब या खामी नहीं होती। कई बार इनके मार्फत कई गड़बड़ियों, सूचना की चोरी या बैंक खातों से रकम गायब होने के आरोप भी लगे हैं लेकिन यदि इन्हें सावधानी से बरता जाए तो सहूलियतें देने में इनका कोई सानी नहीं है। जैसे भूख लगी हो और आपके पास चुकाने के लिए पैसे हो, तो घर या दफ्तर में बैठे तुरंत इनके जरिए मनचाहा खाना ऑर्डर किया जा सकता है। पसंदीदा डिश खाने या मनचाहे रेस्टोरेंट तक जाने के लिए मेहनत करने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि जोमैटो, स्विगी, उबर ईट जैसे दर्जनों मोबाइल ऐप मामूली सी रकम (कमीशन) के बदले घर बैठे खाना पहुंचा देते हैं। कई बार तो यह भोजन रेस्टोरेंट में खाना खाने से भी काफी सस्ता पड़ता है क्योंकि ये ऐप खरीदारी पर अपनी ओर से कुछ डिस्काउंट भी देते हैं। इसी तरह घर, दफ्तर, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट या किसी भी जगह से अन्यत्र आना-जाना हो, तो ऐप-बेस्ड टैक्सी सर्विस से इसके लिए बेहद सस्ते विकल्प विकल्प मिल जाते हैं।

इन ऐप पर हम आसपास के शहरों तक आसानी से यात्रा करने के लिए मनचाही टैक्सी बुला सकते हैं। ऐप से कैब (टैक्सी) बुलाने को अब आम टैक्सी सर्विस मुहैया कराने वालों के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इनकी टैक्सियों की लाइव लोकेशन को इंटरनेट और उपग्रहों की मदद से लगातार ट्रेस किया जाता है। हालांकि बात सिर्फ भोजन और टैक्सी की नहीं है बल्कि तमाम तरह की खरीदारी में मोबाइल ऐप, जैसे- अमेजन, फ्लिपकार्ट, मिंत्रा आदि के ऐप ज्यादा मददगार साबित हो रहे हैं। खरीदारी को आसान करने वाले ऐप्स और भी हैं, जैसे- पेटीएम, गूगल-पे, फोन-पे इत्यादि। अब तो ज्यादातर बैंकों ने भी अपने-अपने मोबाइल एप्लिकेशन विकसित कर लिए हैं। वे चाहते हैं कि उनके ग्राहक इनका इस्तेमाल करें ताकि बैंकों में आने वाले लोगों की संख्या पर अंकुश लग सके।

जरूरतों को समझने वाले ऐप

यह सवाल किसी के भी मन में उठ सकता है कि आखिर ये मोबाइल ऐप्स क्यों बनाए गए? इसका एक आसान जवाब है, जिस तरह हर आविष्कार किसी न किसी जरूरत की पैदावार है, उसी तरह मोबाइल ऐप्स भी हमारी जरूरतों के हल के रूप में ही जन्मे हैं। जैसे- ऐप आधारित कैब सर्विस ओला का एक उदाहरण इस संबंध में ले सकते हैं। इससे संस्थापक भाविश अग्रवाल को जब एक टैक्सी ड्राइवर ने बीच रास्ते में सफर पूरा करने के लिए ज्यादा पैसे की मांग की और इससे मनाही पर ड्राइवर उन्हें बीच रास्ते में छोड़कर चला गया, तो भाविश ने ऐसे ऐप-बेस्ड एग्रीगेटर कंपनी बनाने का फैसला किया ताकि किसी दूसरे के साथ उन जैसा हादसा न हो। इस एक आइडिया से वर्ष 2010 में ओला कैब्स ने अपना वजूद हासिल किया।

यह आइडिया कितने कमाल का है, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि इसके पास अपनी कोई कार नहीं है लेकिन सभी बुकिंग्स पर 15 फीसदी कमीशन लेने की बदौलत आज यह कंपनी हजारों करोड़ रुपये की मालिक है। ऐप के जरिए अपने ग्राहकों को टैक्सी और चालकों को कस्टमर्स से जोड़ने का यह आइडिया ही सैकड़ों दूसरे कामकाज करने वाली उन कंपनियों का प्रेरणास्रोत है, जो ऐप की मार्फत कामकाज को आसान बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। मोबाइल ऐप्स की एक भूमिका लोगों को तमाम मामलों में सचेत करने की भी है। हमारे देश में कुछ समय पहले आकाशीय बिजली से बचाने के लिए एक खास ऐप दामिनी लॉन्च किया गया था। यह ऐप देश के विभिन्न इलाकों में मौसम की स्थिति के मुताबिक यह अलर्ट देने में सक्षम है ताकि लोग उन इलाकों में सावधानी से यात्रा कर सकें।

ऐप जरूरी पर रहे सावधान

यह सही है कि आज हमारा काम बिना मोबाइल एप्लिकेशन के नहीं चल सकता लेकिन इन्हें बरतने को लेकर कुछ सावधानियों की भी जरूरत है। जैसे- इस बारे में पहली सलाह यही दी जाती है कि किसी भी ऐप को बिना वेरीफाई किए यानी बिना जांचे-परखे गूगल के प्ले स्टोर से डाउनलोड न करें। ऐप डाउनलोड करने से पहले उसके दस्तावेजों और शर्तों को पढ़ें, उसकी रेटिंग देखें और उपयोगिताओं समझें। ऐसे ऐप डाउनलोड करने से बचें जो पैसे का कोई लालच देते हैं।

अक्सर ऐसे ऐप में कोई न कोई फर्जीवाड़ा निहित होता है और इनसे जानकारियां साझा करने से लोग कई बार अपनी जमापूंजी तक गंवा बैठते हैं। अच्छा हो कि ऐप डाउनलोड करने से पहले यूजर रिव्यू पढ़ें। ऐसा करके आप किसी धोखाधड़ी का शिकार बनने से बच सकते हैं। चूंकि ज्यादातर ऐप डाउनलोड की प्रक्रिया से पहले आपसे कई किस्म की अनुमति मांगते हैं, तो बेहतर होगा कि उनकी संबंधित शर्तों को पढ़ और समझ लें और उसके बाद ही कोई ऐप डाउनलोड करें। अक्सर ऐप की शक्ल में हैकिंग या वायरस की घुसपैठ की कोशिश की जाती है इसलिए अपने मोबाइल में अच्छा एंटी-वायरस रखें और उसके अपडेट करते रहें।

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Tags: androidappapplecomputerseducationgadgetshindi vivekhindi vivek magazineinternetprogrammingsmartphonesoftware

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Comments 1

  1. Anonymous says:
    2 years ago

    8jioj

    Reply

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