‘वत्स इनका विराट स्वरुप है। इनके रुप गूगल बाबा, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, लिंकडिन, टेलीग्राम, व्हाट्सअप, ऑरकुट (अब दिवंगत) नेटफ्लिक्स, अमेजॉन, बालाजी और वूट आदि हैं।’ गुरु मां इनका स्मरण करने से क्या होता है? ‘वत्स ये वे हैं, जिनके स्मरण मात्र से सब संभव हो जाता है, नालासोपारा का इंसान पल में अमेरिका, तो जर्मनी का मानव पल में झुमरी-तलैया पहुंच जाता है। ये वो हैं, जिनकी कृपा हो जाए तो पल भर में प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचा जा सकता है।’
‘हां तो, कथा शुरु करते हैं। कहते सुनते आप हुंकारा जरुर भरते रहे वरना हमारे ये सर्वव्यापी आधुनिक ईश्वर कुपित हो जाएंगे और यदि ये कुपित हो गए तो….’
तो गुरु मां क्या होगा?
‘वत्स यदि ये कुपित हो गए तो डेटा के लाले पड़ जाएंगे। अवमानना करने वाले की प्रसिद्धि को रिवर्स गेयर लग जाएगा। वह वर्चुअल कार्यक्रम कर रहा होगा, तो नैट नहीं चलेगा। वह किसी कार्यक्रम में शामिल होगा तो, प्रोग्राम से उठाकर बाहर फेंक दिया जाएगा।’
यह तो उत्तम है मां। आजकल कई लोग वर्चुअल प्रोग्राम में बहुत पका रहे हैं। मैंने ऐसा सुना है। इनके बारे में ज्ञान नहीं है।
हे गुरु मां! ये कौन हैं और इनके क्या-क्या रुप हैं, कृपया विस्तार से बताएं।
‘वत्स इनका विराट स्वरुप है। इनके रुप गूगल बाबा, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, लिंकडिन, टेलीग्रम, व्हाट्अप, ऑरकुट (अब दिवंगत) नेटफ्लिक्स, अमेजॉन, बालाजी और वूट आदि हैं।’
गुरु मां इनका स्मरण करने से क्या होता है?
‘वत्स ये वे हैं, जिनके स्मरण मात्र से सब संभव हो जाता है, नालासोपारा का इंसान पल में अमेरिका, तो जर्मनी का मानव पल में झुमरी-तलैया पहुंच जाता है। ये वो हैं, जिनकी कृपा हो जाए तो पल भर में प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचा जा सकता है।’
हे गुरु मां मुझे इनकी कृपा पाने का कोई व्रत या पूजा हो तो कृपया बताएं। इनकी पूजन सामग्री की जानकारी दें। यह कहां मिलती है?
’वत्स! इनकी कृपा पाने के लिए ’टेलीकॉम कंपनी मां’ की पूजा अर्चना करनी पड़ती है। उन्हें डेटा यूजेज़ का भोग लगाना पड़ता है।’
तो क्या ये आम आदमियों पर भी कृपा बरसाती हैं?
’बिल्कुल वत्स, पहले जरूर ये केवल खास आदमियों की पूजनीय थी। जब इनके दर्शन कराने वाले की डिवाइस में जब घंटी बजती थी, और पंडित जी चाहते, तो ही बटन दबाते थे क्योंकि इनको दर्शन कराने में भी 15 रुपए लग जाते थे।पर अब इनकी कृपा सब पर बरसती है।’
गुरु मां कैसे? कुछ और विस्तार में बताएं? आप जब इतनी रोचक कथा कह रही हैं, तब ये इंसान सड़क पर बिना देखे कान में ये तार सा फंसाए बोलते हुए आगे जा रहे हैं। आपको क्यों नहीं सुन रहे?
‘वत्स इन पर इन टेलीफोन माताओं की कृपा हो चुकी है। ये चलते-फिरते, खाते-पीते, सोते-बैठते और यहां तक कि कॉलेज, स्कूल और ऑफिस में भी इंटनेट की पूजा में लीन रह सकते हैं।’
पर यह सब तो काम की जगह होती है ना गुरु मां?
‘वत्स इससे आवश्यक काम आजकल और कोई नहीं है!’
गुरु मां! वहां लड़ाई क्यों मची हुई है?
‘वत्स! ये फेसबुक माता का भजन कीर्तन वाले वे लेखक हैं, जो रोज अपनी अच्छी बुरी सारी रचनाओं को मां के चेहरे पर चिपकाते हैं। साथ में कइयों को टैगियाते हैं।’
गुरु मां ये, टेगियाना क्या है? ’वत्स यह वह मंत्र है, जिसके जपने से उनकी रचनाएं न चाहने वालों की स्क्रीन पर भी पहुंच जाती हैं। तुमने लड़ाई का कारण पूछा, ये बहुत महान कारण से लड़ते हैं। जिस भक्त के पुण्य प्रताप ज्यादा होते हैं, उन्हें ज्यादा लाइक्स मिल जाते हैं।
कुछ इंटरनेट भगवान के ज्यादा प्रिय होते हैं तो कमेंट्स और शेयर का फल भी प्राप्त होता है पर कुछ जिनकी नैट पूजा अर्चना में कभी होती है। जो एकांत में बैठकर अन्य भक्तों की पूजा में भागी नहीं बनते या नाम और दाम में दूसरे भक्तों से मात खाते है। उन्हें उतने लाइक्स भी नसीब नहीं हो पाते जितनों को उनने टैगियाया था।’
ओहो गुरु मां तब क्या होता है?
‘वत्स तब या तो ये आक्रामक हो जाते हैं या निराशावासी हो जाते है। कुछ लोग तो आत्महत्या तक करने की सोचने लगते हैं।’
फिर क्या होता है गुरु मां?
‘फिर, जब इन्हें समझ आता है कि इन्होंने अवश्य ही इंटरनेट भगवान की पूजा में कोई बड़ी भूल की है। वे प्रायश्चित करते हैं। नैट प्रभु फिर इनकी लाइक्स की नैया को भारी कर देते हैं।’
एक बालक-बालिका ने पूछा-
गुरु मां ये प्रभु इतने शक्तिशाली हैं, तो क्या ये कुछ ऐसा कर चमत्कार कर सकते हैं। हमें बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड मिल जाए।
‘हां वत्सों, इनके मातहत नेटफ्लिक्स भगवान का पासवर्ड देकर बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड का वशीकरण किया जा सकता है। डेटा रिचार्ज करा दें, तो दोस्त बन जाएंगे। ध्यान रखें यदि बीच में भूल चूक हुई तो फल भोगना पड़ सकता है। दूसरा भक्त पासवर्ड से वशीकरण कर लेगा उसकी जीत होगी!’
किंतु गुरु मां जिन भक्तों की आर्थिक स्थिति कमजोर है या कुछ कंजूस हैं, वे पूजा अर्चना की डेटा समाग्री कहां से पा सकते हैं?
‘तुमने महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा। वत्स बस अड्डों पर, रेल्वे स्टेशनों पर या एअर पोर्ट पर आसानी से इस सामग्री को पाया जाता है इसलिए देखो कितने भक्त यहां बैठकर नेट भगवान की पूजा- अर्चना में लीन दिखते हैं।’
‘वत्स हमारे देश में अतिथि देवो भव की परंपरा है इसलिए कुछ मेहमान, जब मेजबान के घर जाते ही वे अतिथि के अधिकार स्वरूप सबसे पहले, मेजबान के वाई फाई का पास वर्ड सबसे पहले मांगते हैं।’
तो गुरु मां सब दे देते हैं?
‘वत्स कुछ जो परंपरा का वहन कर रहे हैं। मन मारकर दे देते हैं। कुछ ग़लत देंगे, कुछ,मन ही मन मनाते हैं। ’अतिथि तुम कब जाओगे?’
जी गुरु मां अब समझ में आई बात पर नैट भगवान के अच्छे और बुरे मूड के बारे में भी कुछ बतायें। भक्तों का फायदा नुकसान
भी होता है, इनकी पूजा में?
‘वत्स इनके बेटे गूगल बाबा और बेटी यूट्यूब के पास सबकी कुंडली होती है। जिनके भी बारे में जानना हो, उनकी शरण में जाने से महाज्ञानी हो जाएगा।’
गुरु मां प्रसिद्ध होने में यह किस तरह मदद कर सकते हैं?
’वत्स इनकी बेटी फेसबुक, बेटे, ट्विटर, इंस्टा, के माध्यम से दुनिया भर में प्रसिद्ध हो जाओगे। तुमने नुकसान की बात पूछी, तो कई भक्त राक्षस प्रवृत्ति के होते हैं। वे मांओं और बहनों का बहुत नुकसान करते हैं। अपने झांसे में फंसाते हैं फिर तरह-तरह से शोषण करते हैं।’
पर गुरु मां वे ऐसा कैसे कर पाते हैं?
‘वत्स,वे दुष्ट इच्छाधारी होते हैं। पुरुष होते हुए भी स्त्री का रूप धारण कर सकते हैं। इस रूप में लुभा कर लोगों की कमजोरियों को अपने फायदे का ज़रिया बना लेते हैं।’
बेचारी महिलाएं!
‘वत्स कुछ महिलाएं भी पौरुषी मानसिकता का फायदा उठाकर गेम खेलती हैं।’
यह तो चिंतनीय बात है मां!
‘वत्स, कुछ पुरुष, पत्नी से छिपकर दूसरे की पत्नी के इनबॉक्स में जाकर टॉक्सीन्स का वमन करते हैं। ज्यादा चिंता तो इस बात की है की बच्चे छोटी उम्र में इंटरनेट भगवान के साथ आई हुई एक राक्षसी प्रवृत्ति, पोर्न साइट पर जाकर अपना समय बिताने लगते हैं। अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं और समाज गलत दिशा में जाने लगता है।’
गुरु मां, भगवान उन्हें पाप का भागी नहीं मानती?
‘वत्स इंटरनेट भगवान अपनी पूजा में सेंसरशिप कतई बर्दाश्त नहीं करते। ओवर द टॉप (जढढ) पर इनके भक्त बहुत बढ़ गए हैं। वहां पूजा अर्चना के लिए जो मंत्र पढ़े जाते हैं। उसकी भाषा बहुत निकृष्ट होती जा रही है। मां बहन को याद किए बगैर वहां पूजा-अर्चना हो ही नहीं सकती।’
गुरु मां जाने दीजिए इस बात को आप तो इंटरनेट भगवान की महिमा और बताएं । ’वत्स, इंटरनेट भगवान की महिमा अपरंपार है। इनकी कथा सुनने के लिए पूरा जीवन कम है। मैं मूढ़ मति थोड़े से शब्दों में कैसे विराट चरित्र का गान करुं?
’शब्द विवेक एक नहीं मोरे’ कितना भी कहूं शब्द लगेंगे थोड़े। इतना ही समझ लो वर्तमान विश्व में ’बिना इंटरनेट सब सून।