त्वरित समाधान की मिसाल – नितिन गडकरी

महामारी के दौरान महाराष्ट्र के करीब 22 जिलों पर ध्यान रखने की जिम्मेदारी नितिन गडकरी को दी गई थी जो उन्होंने बखूबी निभाई। एक दौर तो ऐसा आया कि उन्होंने संपूर्ण महाराष्ट्र राज्य के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों को भी मदद की। नितिन गडकरी ने छोटी-छोटी ऐसी कई चीजें, कई काम कोरोना के दौरान किए जिनकी गिनती नहीं की जा सकती। वे खुद भी ऐसे कामों की गिनती नहीं करना चाहते क्योंकि वे मानते हैं कि लोकप्रतिनिधि के लिए ये सब स्वाभाविक है।

कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जितना काम किया, उतना शायद ही देश में किसी अन्य लोकप्रतिनिधी ने किया होगा। अधिकार का इस्तेमाल और सरकारी मुलाजिमों को काम में जोंतना और बात है, लेकिन ऐसे संकट के समय में स्वयं नेतृत्व करना, हर बात का बारीकी से ध्यान देना और साथियों को ढांढस बंधाना दूसरी बात है। नितिन गडकरी ने संकट को सामने से देखा और उसका डटकर सामना किया। व्यक्तिगत या कार्यालयीन तौर पर लोगों की मदद करते-करते नितिन गडकरी ने सरकारी एजेंसियों तथा विभिन्न दानदाताओं, स्वयंसेवी संस्थाओं को साथ में लिया और इस आपदा में हरेक व्यक्ति की हरसंभव मदद करने की कोशिश की।

कोरोना की पहली लहर में सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति गरीब लोगों की हुई। मार्च 2020 में देशभर में लगाए गए कर्फ्यू के कारण कई परिवारों पर बेरोजगारी का पहाड टूटा। कई लोगों की नौकरी चली गई। संकट का समय था। इस स्थिति को देखते हुए सामाजिक जिम्मेदारी की जागरूकता और भावना के रूप में गरीब परिवारों को 1 लाख 78 हजार किट्स खाद्यान्न वितरित किया गया। किट में 5 लोगों के परिवार की जरूरत की हर चीज शामिल थी। दाल-चावल से लेकर मसाले-चाय तक सब कुछ दिया गया। इस चीज का खयाल रखा गया कि कोई भूखा ना रहे।

पहली लहर के दौरान कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से करीब 1 लाख मास्क बांटे गए। कोरोना वॉरियर्स और अस्पतालों के लिए जरूरी सैनिटाइजर्स दिए गये। सैनिटाइजर की कालाबाजारी को देखते हुए कुछ चीनी मिलों से सैनिटाइज़र बनाने का अनुरोध किया गया और बाजार में पर्याप्त मात्रा में सैनिटाइज़र उपलब्ध हो गए। विदर्भ के सभी जिलों में सैनिटाइजर की 2 लाख बोतलें बांटी गईं। सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य कर्मियों, डॉक्टरों, सफाईकर्मियों को सैनिटाइजर उपलब्ध कराया गया।

महामारी के समय पीपीई किट नई चीज थी, एक प्रकार का आव्हान था। कोरोना काल में कोरोना योद्धाओं, स्वास्थ्यकर्मियों, डॉक्टरों, सफाईकर्मियों की सुरक्षा के लिए पीपीई किट का वितरण किया गया। ऑरेंज सिटी क्लस्टर के माध्यम से नागपुर और विदर्भ में बड़ी संख्या में अस्पताल, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सफाईकर्मी, पुलिस विभाग को किट्स उपलब्ध कराई गई। ये सब संभालने के साथ ही महामारी के दौरान महाराष्ट्र के करीब 22 जिलों पर ध्यान रखने की जिम्मेदारी नितिन गडकरी को दी गई थी जो उन्होंने बखूबी निभाई। एक दौर तो ऐसा आया की उन्होंने संपूर्ण महाराष्ट्र राज्य के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों को भी मदद की।

कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने के बाद संक्रमण की दर भी काफी बढ़ गई थी। मरीजों की जान बचाने के लिए जरूरी रेमेडिसिविर इंजेक्शन की कमी थी। सरकारी और निजी अस्पतालों से इन इंजेक्शनों की भारी मांग थी। लेकिन इंजेक्शन नहीं मिल रहा था। इन इंजेक्शनों को उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न इंजेक्शन निर्माण कंपनियों के मालिकों को फोन करके नितिन गडकरी के माध्यम से 15,000 इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए। इतना करके रुक जाते तो गडकरी गडकरी नहीं कहलाते। उन्होंने रेमडेसिविर के संकट की पुनरावृत्ति को रोकने और विदर्भ की तात्कालिकता को पूरा करने के लिए वर्धा से इस इंजेक्शन का उत्पादन शुरू होने के लिये भरसक प्रयास किया। वर्धा की जेंटेक लाइफ साइंसेज फार्मास्युटिकल फैक्ट्री में इंजेक्शन्स बनने लगे। नागपुर-विदर्भ के साथ महाराष्ट्र के अन्य भागों में और पड़ोसी राज्यों को भी मदद मिली।

ऑक्सीजन से बची सैकड़ों जिंदगियां

दूसरी लहर के समय नागपुर और विदर्भ में, ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण कई रोगियों की जान चली गई। जब ऑक्सीजन की मांग करीब ढाई सौ टन प्रतिदिन होती थी तो कभी 110 तो कभी 130 टन ऑक्सीजन मिलती थी। स्थानीय आपूर्तिकर्ता अपनी जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं कर पा रहे थे। ऑक्सीजन की अनुपलब्धता ने सार्वजनिक और निजी दोनों अस्पतालों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की। ऐसे में नितिन गडकरी ने पहल की और विशाखापत्तनम, भिलाई स्टील प्लांट, जिंदल स्टील के मालिकों से चर्चा की और ऑक्सीजन के लिए अनुरोध किया और वे सहमत हो गए। शहर को ऑक्सीजन उपलब्ध हो गई। प्यारे खान की परिवहन कंपनी ने भिलाई, विशाखापत्तनम से ऑक्सीजन लाने के लिए कंटेनर प्रदान करके अमूल्य सहायता प्रदान की। इस पहल ने सैकड़ों मरीजों की जान बचाई। नागपुर में ऑक्सीजन की कमी नहीं रही। विदर्भ के अन्य जिलों में भी ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई। साथ ही बड़े पैमाने पर ऑक्सीजन प्लांट लगाने की भी योजना है। फंड उपलब्ध कराया जा रहा है। भविष्य में मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी न हो इसका खयाल रखा जा रहा है।

बिस्तरों की उपलब्धता

कोरोना के पेशंट्स बढने लगे तो अस्पताल में बेड की उपलब्धता का मसला गंभीर हो गया। नितिन गडकरी ने पहल की और अपने कार्यालय में एक हेल्पलाइन शुरू की। उस हेल्पलाइन के माध्यम से विभिन्न अस्पतालों में करीब 1500 मरीजों को बिस्तर उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा नागपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान तथा अन्य सरकारी अस्पतालों में बेड्स बढाए गए। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन के साथ बैठक कर समस्याओं को दूर किया गया। इनमें से कुछ बेड पर वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई। ग्रामीण विदर्भ में भी वेंटिलेटर्स तथा एंबुलेन्सेस भेजी गई। विभिन्न संगठनों और लोगों से एम्बुलेंस की मांग की गई तो सैकड़ों लोगों को एम्बुलेंस सेवाएं प्रदान की गईं। साथ ही सभी सुविधाओं वाली वातानुकूलित एंबुलेंसेस धर्मार्थ संगठनों को दी गई। आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों में काम करने वाले मरीजों की सेवा के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा एम्बुलेंस प्रदान की गई। अमरावती जिले के मेलघाट और गढ़चिरौली जिले के आदिवासी बहुल इलाकों में एम्बुलेंस मुहैया कराई गईं।

बाईपैप मशीन, कन्सन्ट्रेटर्स

वेंटिलेटर के साथ कई जगह बाईपैप मशीन दी गई। इसमें भी नितिन गडकरी ने न केवल नागपुर बल्कि पूरे विदर्भ के बारे में सोचा। उन्होंने मेलघाट-गढ़चिरौली जैसे दूरदराज के इलाकों और रालेगांव-वणी जैसे पिछड़े इलाकों में ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मुहैया कराने का भी प्रयास किया। जिन अस्पतालों में वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं थे, वहां एनआईवी और ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर्स की आपूर्ति की गई। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 500 से अधिक एनआईवी और ढाई हजार से अधिक ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर्स वितरित किए जा चुके हैं। जिन अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर और पाइपलाइन उपलब्ध नहीं थे, वहां ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर्स की आपूर्ति की गई। विदर्भ में अब तक हजारों ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर्स वितरित किए जा चुके हैं। नागपुर और विदर्भ में कुल 120 सरकारी और निजी अस्पतालों को 1000 इनवेसिव और नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर प्रदान किए गए हैं। इसके अलावा नितिन गडकरी के पहल के चलते स्पाइस हेल्थ के माध्यम से नागपुर में मोबाइल टेस्टिंग लैबोरेटरी उपलब्ध कराई गई ताकि कोरोना की जांच के तुरंत बाद रिपोर्ट मिल सके और अधिक नागरिकों की जांच हो सके। नितिन गडकरी ने छोटी-छोटी ऐसी कई चीजें, कई काम कोरोना के दौरान किए जिनकी गिनती नहीं की जा सकती। वे खुद भी ऐसे कामों की गिनती नहीं करना चाहते। क्योंकि वे मानते हैं कि लोकप्रतिनिधि के लिए ये सब स्वाभाविक है। लेकिन नितिन गडकरी का काम अपने आप में एक मिसाल हैं।

 

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