विश्व में निरंतर बढ़ते कोरोनावायरस के नए ओमीक्रॉन वैरिऐंट के मामलों ने एक चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है। आज दुनिया के 89 से अधिक देशों में ओमीक्रॉन वैरिऐंट का प्रसार हो चुका है। और भारत में भी ओमीक्रॉन वैरिऐंट के संक्रमण के 136 मामले प्रकाश में आ चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि ओमीक्रॉन वैरिऐंट संक्रमण के मामलों की संख्या 1.5 से 3 दिन के अंदर दोगुनी हो रही है।
कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए वैज्ञानिकों ने बहुत ही कम समय में कई वैक्सीनें विकसित करने में सफलता प्राप्त की है, जिनकी दो खुराकों से नागरिकों को कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए प्रतिरक्षित किया जा रहा है। ओमीक्रॉन वैरिऐंट के बढ़ते मामलों को देखते हुए आज विश्व के वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित हुआ है कि क्या इस नए स्ट्रेन के लिए वैक्सीन की आवश्यकता है? दि वाशिंगटन पोस्ट के दिनांक 18 दिसंबर, 2021 अंक में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार विगत सप्ताह 15 दिसंबर को संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी ऐंड इनफेक्शियस डिजीज़ेज़ के निदेशक एंथोनी एस. फाउसी ने व्हाइट हाउस में आयोजित एक ब्रीफिंग कार्यक्रम में कहा है कि ”इस समय ओमीक्रॉन वैरिऐंट विशिष्ट कोरोनावायरस वैक्सीन की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि शुरुआती आंकड़ों से संकेत मिलता है कि मौजूदा बूस्टर खुराकें रोगों से लड़ने वाले प्रतिपिण्डों यानी एंटीबॉडीज को संभालने के लिए सक्षम हैं। मौजूदा वैक्सीन की बूस्टर खुराकें ओमीक्रॉन वैरिऐंट के विरुद्ध कारगर हैं”। उन्होंने यह भी कहा कि “यदि आपने वैक्सीन नहीं लिया है तब आपको न केवल कोरोनावायरस के मौजूदा डेल्टा वैरिएंट्स बल्कि ओमीक्रॉन वैरिऐंट से भी संक्रमित होने का भारी खतरा है”।
डॉ फाउसी ने पिछले सप्ताह के दौरान प्राप्त आंकड़ों की समीक्षा करने पर पाया कि फाइजर बायो एनटेक और मॉडर्ना कंपनियों द्वारा निर्मित मेसेंजर आर एन ए वैक्सीन की दो खुराकों से उत्पन्न एंटीबॉडीज ओमीक्रॉन वैरिएंट के विरुद्ध अपनी क्षमता खो देते हैं। परंतु नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ से प्राप्त प्रयोगशाला के आंकड़ों से पता चला है कि मॉडर्ना वैक्सीन की बूस्टर खुराक से निर्मित एंटीबॉडीज़ ओमीक्रॉन वैरिऐंट को रोकने मैं सक्षम हैं। डॉ फाउसी के अनुसार विगत सप्ताह फाइजर बायोएनटेक की बूस्टर खुराकों के प्रयोग से भी इसी प्रकार के आंकड़े पाए गए हैं। हालांकि, प्रयोगशाला में संपन्न अध्ययन से मिले परिणाम ओमीक्रॉन वैरिऐंट के विरुद्ध प्रभावी होने का केवल संकेत ही देते हैं, पुष्टि नहीं करते। अधिकांश वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि वायरस को रोकने वाले एंटीबॉडीज़ की क्षमता घटती है तो भी प्रतिरक्षा प्रणाली के अन्य भागों से लोगों को गंभीर रोगों से सुरक्षा मिलती रहेगी।
डॉ फाउसी ने प्रदर्शित किया की फाइजर बायो एनटेक वैक्सीन की दो खुराकों से दक्षिण अफ्रीका के लोगों में ओमीक्रॉन वैरिऐंट के लाक्षणिक संक्रमण के विरुद्ध सुरक्षा में लगभग 30% की कमी देखी गई। परंतु वैक्सीन की दो खुराकों से लोगों को अस्पताल में भर्ती होने से सुरक्षा मिली। यह वैक्सीन 70% तक प्रभावी पाई गई। संयुक्त गणराज्य से प्राप्त आंकड़ों से देखा गया है कि फाइजर बायो एनटेक की एक बूस्टर खुराक से लाक्षणिक रोगों के विरुद्ध लगभग 75% सुरक्षा प्राप्त हुई। डॉ फाउसी के अनुसार इन आंकड़ों से संकेत मिलता है कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों खुराकें प्राप्त कर ली है उन्हें वैक्सीन की बूस्टर खुराक लेने की तत्काल आवश्यकता है। वैक्सीन निर्माता कंपनियां भी कोविड-19 के विरुद्ध निर्मित वैक्सीनों को ओमीक्रॉन वैरिऐंट का मुकाबला करने के लिए संशोधित कर उनके परीक्षण में जुट गई हैं। मॉडर्ना कंपनी ने कोविड-19 के विरुद्ध बूस्टर खुराक पर अपने आंकड़ों को प्रारंभिक परंतु “उत्साहजनक” बताया है। इस कंपनी का दावा है कि ओमीक्रॉन वैरिऐंट के विरुद्ध वैक्सीन की बूस्टर खुराक मार्च तक उपलब्ध करा दी जाएगी।
यह कंपनी यह भी परीक्षण कर रही है कि क्या मौजूदा बूस्टर वैक्सीन की मात्रा बढ़ाने पर अधिक सुरक्षा मिलेगी? मॉडर्ना कंपनी ने भविष्य में कोरोनावायरस में संभावित उत्परिवर्तन यानी म्यूटेशन के उपरांत निर्मित नए वेरिएंट्स के विरुद्ध भी मल्टी स्ट्रेन बूस्टर खुराक को भी तैयार कर लिया है और उसका परीक्षण कर रही है जिसके परिणाम संभवत अगले सप्ताह तक आ जाएंगे। फाइजर कंपनी के प्रवक्ता कीट लोंग्ले के अनुसार “ओमीक्रॉन वैरिऐंट के विरुद्ध वैक्सीन की प्रभावकारिता पर आंकड़ों का निरंतर मूल्यांकन किया जा रहा है। अभी तक इस वैरिएऐंट के विरुद्ध वैक्सीन के निष्प्रभावी होने का परिणाम नहीं मिला है। हम लोग वैरिऐंट विशिष्ट वैक्सीन के अनुसंधान और विकास पर निरंतर कार्यरत हैं”। ओमीक्रॉन वैरिऐंट के संक्रमण से बचने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने हाल ही में एडवाइजरी जारी की है जिसके अनुसार घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनना आवश्यक, बहुत ही जरूरी होने पर यात्रा करने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने जैसे उपायों को कड़ाई से अपनाना जरूरी बताया गया है।