एक तरफ पूरे देश में लव जिहाद जैसे कानून बनाए जा रहे हैं और उसे सख्ती से लागू करने की कोशिशें भी की जा रही है। वहीं दूसरी ओर हमारे ही देश के अंदर बॉलीवुड के कलाकार फिल्म निर्देशक और फिल्म निर्माता भारत की संस्कृति को छिन्न-भिन्न करने पर तुले हुए है। फिल्म और कला जगत के लोग हिंदू संस्कृति को बदनाम करने के लिए पूरी तरह से तैयार बैठे हैं। उन्हें पता है कि किसी भी तरह की हिंदू विरोधी चीजें दिखाई जाए तो उनकी फिल्में हिट हो जाएगी। बॉलीवुड में ऐसे कई कलाकार हैं जो आम जन जीवन में हिंदू और हिंदुत्व की बात तो करते हैं लेकिन जब बात फिल्म और आमदनी की हो जाए तो उनका यह विचारधारा हवा हवाई हो जाती है। अभी हाल ही में 24 दिसंबर को एक फिल्म अतरंगी रे आई है जिसमें खुल कर लव जिहाद को बढ़ावा देने वाली चीजें दिखाई जा रही है। इस फिल्म में मुख्य कलाकार अक्षय कुमार, धनुष और सैफ अली खान की बेटी सारा अली खान है।
फिल्म में एक सीन दिखाया गया है जिसमें सारा अली खान हिंदू रीति रिवाज के जोड़े पहने हुए ट्रेन में सफर कर रही है और एक कागज का टुकड़ा में यह पढ़ती दिखाई दे रही है ” एक ठाकुर समाज की लड़की और एक मुस्लिम लड़का, यही है असली लव स्टोरी”। इसके साथ ही इस फिल्म में एक बाप और बेटी के रिश्ते को भी तार-तार करने की कोशिश की गई है।अब इन बातों से कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि फिल्म के निर्माणकर्ता समाज में कैसा संदेश देना चाहते होंगे।
हालांकि यह पहला मामला नहीं है कि जब बॉलीवुड भारतीय परंपरा और संस्कृति को बदनाम कर रहा हो। पहले भी ऐसी कई फिल्में आ चुकी है जिसमें भारतीय संस्कृति और परंपरा पर खुलकर आघात किए गए हैं। उदाहरण के तौर पर आर्यावर्त वेब सीरीज जिसे सिर्फ हिंदुओं को ही बदनाम करने के लिए बनाया गया था। इसके साथ ही पाताल लोक, कोड एम, बेताल, आश्रम जैसी कई वेब सीरीज का निर्माण किया गया जिसमें खुलकर सनातन संस्कृति को बदनाम करने का काम किया गया। इतना ही नहीं इन वेब सीरीज के माध्यम से कभी भारतीय सेना को बदनाम किया गया है तो कभी सीआरपीएफ जैसी आंतरिक सुरक्षा के लिए तैनात रहने वाली संस्था को बदनाम किया गया है।
इन सभी वेब सीरीज के निर्माताओं की बात की जाए तो आप यह पाएंगे कि इन सभी फिल्मों और वेब सीरीज के निर्माता या तो सिर्फ मुस्लिम समुदाय से हैं या फिर वामपंथी विचारधारा से हैं।
ऐसी बात भी नहीं है कि पूरा का पूरा बॉलीवुड जगत हिंदू विरोधी ही है। बॉलीवुड की दुनिया में ऐसे भी कई समूह है जिसे सिर्फ इसलिए दरकिनार किया जाता है क्योंकि वह लोग राष्ट्रवाद और देशभक्ति की बातें करते हैं। उदाहरण के तौर पर कंगना राणावत जैसी अभिनेत्रियों को बॉलीवुड में दरकिनार करने की कोशिश की जा रही है। इसकी खास वजह यह है कि इन्होंने भारतीय परंपराओं को भी हिंदी फिल्म जगत में सर्वोच्च स्थान दिलाने की कोशिश की है।
हालांकि पहले भी कई हिंदू विरोधी फिल्मों और वेब सीरीज का विरोध भारत के हिंदू संगठनों ने खुलकर किया है। इसी विरोध का सकारात्मक असर भी दिखा जा रहा है। ऐसे कई कलाकार हैं जिन्हें अपने काम से वंचित होना पड़ा है। कई लोगों के फिल्मों को कई राज्य सरकारों ने भी बैन कर दिया था। लेकिन इन सबके बाद भी भारतीय फिल्म जगत के कई निर्माता और निर्देशक अभी भी हिंदूफोबिया से बाहर नहीं आ पा रहे है। उन्हें यह लगता है कि अगर भारत में पैसे कमाने हैं तो हिंदुओं की छवि खराब करके ही पैसे कमाए जा सकते हैं।
अब यह तो भारत के लोगों को तय करना है कि उन्हें अपने भारत की बदनामी देखनी है या फिर भारत को बदनाम करने वाले इन लोगों के खिलाफ खुल कर खड़ा होना है।
– रितेश कश्यप