सूर्य नमस्कार करने की सही विधि और लाभ

ऐसा कहा जाता है कि अगर आप हर दिन सूर्य नमस्कार करते हैं तो आप को किसी और योग या एक्सरसाइज की जरूरत नहीं होगी। सूर्य नमस्कार को सभी योग का एक मिश्रण माना जाता है। इसके सभी 12 प्रकार एक ही तरह के होते हैं लेकिन उनके करने से आप के पूरे शरीर की एक्सरसाइज हो जाती है। सूर्य नमस्कार को धार्मिक तौर पर सूर्य की आराधना के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि सनातन धर्म में सूर्य को भगवान की उपमा दी गयी है और उनकी पूजा भी होती है। सूर्य नमस्कार को सुबह सूर्य के निकलने के दौरान किया जाता है। इस योग से शरीर स्वस्थ और मन शांत होता है। वर्तमान में सभी के पास समय की कमी है इसलिए यह योग समय की मांग है इस एक योग के माध्यम से शरीर और मन दोनों को दुरुस्त किया जा सकता है। 

12 योगासनों के इस समन्वय को सूर्य नमस्कार कहा जाता है जिसे हर दिन सुबह में खाली पेट किया जाता है। सूर्य नमस्कार के माध्यम से हम सूर्य का आभार प्रकट करते है क्योंकि अगर दुनिया में एक दिन सूर्य ना निकलें तो कितनी भयावह स्थिति हो सकती है। सूर्य से हमें बहुत कुछ मिलता है लेकिन हम उसे कुछ भी नहीं देते हैं जबकि सनातन धर्म कहता है कि हम जिससे भी कुछ लेते हैं उसे वापस जरुर करते हैं इसलिए हमें सूर्य नमस्कार करना चाहिए साथ ही सूर्य को अर्ध भी देना चाहिए। अब हम बात करते हैं सूर्य नमस्कार के सभी आसन की, यह 12 प्रकार के होते हैं। 

सूर्य नमस्कार करने की विधि

1. प्रणाम आसन

यह सूर्य नमस्कार का पहला आसन है और जैसा की नाम से ही पता चल रहा है कि हमें प्रणाम करने की मुद्रा में रहना है लेकिन इसमे खास यह है कि हमें अपने दोनों पैरों को आपस में जोड़कर रखना है और शरीर का भार समान रूप से दोनों पैरों पर रखना है। श्वांस लेते हुए छाती को बाहर की तरफ खींचना है और कंधों को ढीला रखना है। दोनों हाथ जोड़ते हुए बगल से उठाना है और छाती के सामने रखना है।  

 

2. हस्तउत्तानासन

प्रणाम की स्थिति के बाद अब हमें अपने अपने शरीर को ऊपर की तरफ खींचते हुए पीछे ले जाना है। सांस अंदर लेते हुए हाथ पीछे की तरफ जाएगा इस दौरान दोनों हाथ कान से सटे होंगे। शरीर पीछे की तरफ झुक जायेगा और कूल्हे आगे की तरफ निकले होंगे।

 

 

3. उत्तानासन

योग की तीसरी स्थिति में सांस छोड़ते हुए कमर से आगे की तरफ पूरी तरह से झुक जाएं। इस दौरान नाक से पैर के घुटने को छूने का प्रयास करें। हाथ के पंजे पैर के बगल में रखें जरुरत हो तो आप पैर के घुटने को मोड़ सकते हैं। 

 

 

4. अश्व संचालन आसन

सांस लेते हुए एक पैर को पीछे की ओर ले जाएं और पंजे के साथ साथ घुटने को भी जमीन पर रखें। गर्दन को ऊपर की तरफ खींचते हुए नजर सामने रखें और सांस छोड़ दें। दोनों हाथ आगे वाले पैर के बगल में होना चाहिए। 

 

 

 

5. दंडासन

अब सांस लेते हुए दूसरे पैर को भी पीछे की तरफ ले जाए और सिर से लेकर पैर तक पूरे शरीर को एक सीधी रेखा में रखें।

 

 

 

 

6. अष्टांग नमस्कार

इस आसन में दोनों पंजे, घुटने और छाती को जमीन पर रखते हुए सांस को छोड़े। कूल्हों को ऊपर की ओर उठाएं और शरीर को आगे की तरफ धकेलें। इस आसन के दौरान दोनों हाथ, पैर, छाती और मुँह की ठुड्डी जमीन पर रहेंगे। 

 

 

 

7. भुजंग आसन

अष्टांग आसन के बाद शरीर को आगे ले जाते हुए ऊपर की तरफ उठाएं। कमर के नीचे के पूरा भाग जमीन पर होगा जबकि कमर से आगे का भाग उपर की ओर उठा होगा। 

 

 

 

8. पर्वत आसन

अब सांस छोड़ते हुए कूल्हों को ऊपर की ओर उठाएं और एंड़ी से जमीन को छूने का प्रयास करें। हमारे मुंह दोनों हाथों के बीच में होगा और पूरा शरीर उल्टा वी (V) आकार में नजर आयेगा।   

 

 

 

9. अश्व संचालन आसन

इस आसन को पहले भी किया गया है लेकिन इस बार याद यह रखना है कि जिस को पीछे लिया था उसी को आगे बढ़ाना है। दोनों हाथ पहले की तरह अगले पैर के बगल में होंगे जबकि दूसरा पैर पीछे की तरफ होगा।  

 

 

10. उत्तानासन

अब दूसरे पैर को भी आगे लाना है और फिर कमर से ऊपर के भाग को आगे की तरफ झुकाते हुए हाथों को दोनों पंजों के बगल में रखना है। अगर आप के हाथ पैरों तक नहीं पहुंच रहे हैं तो आप घुटने को मोड़ सकते है। 

 

 

 

11. हस्तउत्तानासन

अब सांस लेते हुए शरीर को सीधा करें और दोनों हाथों को जोड़ते हुए पीछे की तरफ ले जाएं। इस दौरान कमर को आगे की तरफ धकेले। 

 

 

 

12. प्रणाम आसन

सांस को छोड़ते हुए शरीर को सीधा करें और फिर हाथों को नीचे लांए। अब धीरे धीरे सांस लें और छोड़े। सूर्य नमस्कार का यह अंतिम आसन है।  

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