श्री गुरुजी ने चित्तौड़गढ़ के गाइड को फटकारा

“चुप रहो, बकवास बंद करो, जो राजपूत मूंछ के बाल के लिए प्राण न्यौछावर कर देते हैं, क्या वे अपनी रानी महारानी को दर्पण में दिखायेंगे ? “

बात तब की है जब तत्कालीन परम पूजनीय सरसंघचालक श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरुजी चित्तौड़गढ़ दर्शन के लिए पधारे।

ज्ञातव्य है कि हिंदुत्व अभिमानी श्री गुरुजी सूक्ष्म दृष्टि के धनी थे। वे कहते थे कि यदि महाराणा प्रताप न होते तो छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रादुर्भाव ही नहीं होता।

दुर्ग दर्शन के समय प्रांत प्रचारक श्री ब्रह्मदेव जी, विभाग प्रचारक श्री लक्ष्मणसिंह जी शेखावत तथा उदयपुर के तृतीय वर्ष शिक्षित कार्यकर्ता श्री नारायण जी शर्मा श्री गुरु जी के साथ थे और दुर्ग के स्थान और घटनाओं का विवरण बता रहे थे।

महारानी पद्मिनी के जल प्रासाद को देखते समय एक गाइड बीच में कूद पड़ा और बोला कि इस शीशे में पद्मिनी को ख़िलजी को दिखाया गया था।

गाइड का ऐसा बोलना था कि श्री गुरु जी शांत गंभीर चेहरा आक्रोश से भर गया और और दकाल पड़े उस अयोग्य गाइड पर। बेचारा गाइड हक्का बक्का रह गया।

सब कार्यकर्ताओं को भी समझ में आ गया कि हिंदुत्व के गढ़ में भी हिंदू की आन बान को तोड़ मोड़ कर दिखाया जा रहा है और इसलिए हिन्दू के लिए कार्य कर रहे व्यक्ति को हिन्दू अस्मिता का सूक्ष्मता विचार करना चाहिए।

– पूर्व संघ प्रचारक बाबा निरंजन नाथ अवधूत

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