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ग्लोबलाइजेशन और लोकलाइजेशन मॉडल

ग्लोबलाइजेशन और लोकलाइजेशन मॉडल

by हिंदी विवेक
in आर्थिक, उद्योग, देश-विदेश, विशेष, सामाजिक
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मेष संक्रांति के दिन हमारे गांव में हर साल मेला लगता है जिसमे पूरा गांव सम्मिलित होता है और मेले से घरेलू प्रयोग की हर वस्तु लेते हैं बनाने वाले सब आस पास गांव के ही होते हैं लेकिन दुर्भाग्य अब कोई मेला देखने जाता नही और दुकाने कम होती जा रही है।

आज से 15 साल पहले ये मेला बहुत बड़ा लगता था लेकिन अब बहुत छोटा हो गया दुकाने खत्म हो गई।लोग ज्यादा आधुनिक हो गए “ब्रांड” के पीछे भागने लगे जिससे बड़े बड़े मॉल खुल गए है और अब उन गरीबो की चीजे कोई खरीदता नही तो दुकान रखना ही उन्होंने बन्द कर दिया।मित्रो मेला सनातन का लोकलाइजेशन मॉडल था जिसे खत्म किया जा रहा है और पीछे बड़े खिलाड़ी और सरकार भी शामिल है।सरकार ने इनकी स्किल को खत्म करने के लिए नरेगा और मुफ्तखोरी की योजनाये जब से देनी शुरू की इन लोगो को मुफ्त की लत लग गई और आज हालात कैसे बन चुके है दिख रहा है सभी को।

बड़ी बड़ी कम्पनियो ने और मुश्रिमो ने हिन्दुओ के सारे पुस्तैनी काम छीन लिए। लोग कहते है हिन्दुओ में जातियां बहुत है इतनी जातियां होने के पीछे का कारण कोई समझ न पाया। जातियां व्यावसायिक कर्म के अनुसार बनी और सामाजिक रोटी बेटी भी उसी हिसाब से शुरू हुआ क्योकि किसान के घर की बेटी किसानी जानती है पूजा पाठ नही। एक समय था भारत में कोई बेरोजगार नहीं होता था बचपन से ही अपने जातिगत व्यवसाय में व्यक्ति लग जाता था वही स्किल सीख कर जवान होते होते वह अपने व्यवसाय का जबरदस्त ज्ञाता यानि उसमें निपुण हो जाता था उन्हें घर में ही उनके बुजुर्ग शिक्षित व व्यवसायी बना देते थे।

फिर अंग्रेज आये साथ मे ग्लोबलाइजेशन लाये और हमारे हाथों से हमारी स्किल,हमारा बिजनेस मॉडल, पुश्तैनी औजार व विद्या सबकुछ छीनकर हमें कलम व अपनी मैकाले विचारधारा की पुस्तकें पकड़ा दी जिसे पढाई का नाम दिया गया। आज 90% से अधिक उच्च शिक्षित/पढ़े लिखे बेरोजगार हैं लेकिन किसी के पास अपनी जातिगत स्किल नही है और पढ़ाई के घमंड में चूर व्यक्ति अपनी पुस्तैनी स्किल सीखना भी नही चाहता। मित्रो सनातन अर्थव्यवस्था का मॉडल localization यानि local consumption local production पर आधारित है और small production by unlimited number of units के सिद्धांत पर आधारित है।

जबकि Globalization पूंजीवाद और कॉम्युनिस्म mass production by limited number of units पर आधारित है यही कारण है ब्रांड नाम का हल्ला मचाकर अपनी चीजों को महंगी बेचकर विदेशी महंगाई बढाते है जैसे NIKE के जूते, एप्पल का फोन। ग्लोबलाइजेशन का मतलब हिंदी में क्या है जान लीजिए दुनिया भर में वस्तुओं और सेवाओं, प्रौद्योगिकियों और सांस्कृतिक प्रथाओं का त्वरित आदान-प्रदान भूमंडलीकरण(Globalization) के नाम से जाना जाता है। ग्लोबलाइजेशन षड्यंत्र के तहत एक देश दूसरे देशों की निर्भरता का लाभ उठाते हैं जैसे भारत मे मेडिकल इक्विपमेंट का न बनना। ग्लोबलाइजेशन की ही देन है जो विकसित देश धनी होते जा रहे हैं और भारत जैसे विकासशील देशों को एक बाजार के रूप में उपयोग किया जा रहा है।

आपको जानकर आश्चर्य होगा सनातन की सामाजिक रचना का समस्त ताना-बाना इस तरह बनाया गया था कि जिसमें प्रत्येक व्यक्ति की आजीविका जन्म के साथ ही सुरक्षित होती थी।आज बेरोजगारी का मुख्य जड़ मौजूदा शिक्षा पद्धति और ग्लोबलाइजेशन है बच्चों को 25 वर्ष का समय बेकार की शिक्षा प्राप्त करने में निकल जाता है। और जब वह बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेकर के स्कूल से बाहर आता है और तब नौकरी नहीं लगती है तो वह “धोबी का कुत्ता” घर का ना घाट का हो जाता है।

इसलिए सभी हिन्दू इस पर ध्यान दें अगर आप चाहते है कि आपका बच्चा भविष्य में बेरोजगार न हो तो पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे की रूचि के अनुसार या जातिगत व्यवसाय के अनुसार तकनीकी ज्ञान की भी शिक्षा जरूर दें ताकि स्कूल से बाहर निकलने पर उसी स्किल के सहारे अपना जीवन यापन कर सके और यह कार्य छठी क्लास से ही शुरू करें। और एक मुख्य बात आज भी कई हिन्दू भाई है जो छोटे छोटे उद्योग बिजनेस चला रहे हैं हिन्दू अर्थव्यवस्था ग्रुप में अक्सर देखता हूँ बढ़िया से बढ़िया प्रोडक्ट बनाने वाली कम्पनियां बना रखी है लोगो ने लेकिन मार्केटिंग का फॉर्मूला अच्छा नही अपनाया किसी की भी एक वेबसाइट तक नही है जिसमे प्रोडक्ट की डिटेल ढंग से ले सकें।

लोग समझते नही है विदेशी कम्पनियां कैसे बढ गई इस देश मे उसके पीछे एक ही फैक्टर है वो है ऑनलाइन/डिजिटल मार्केट से जुड़ना ग्लोबलाइजेशन इसी के दम पर बढा है और टिका भी इसी के दम पर है। तो भाई साहब डिजिटल/ऑनलाइन का जमाना है आप क्यो पीछे हो इसका भरपूर यूज क्यो नही ले रहे? ऑफ़लाइन मार्केटिंग के लिए 20 हजार महीने का लड़का रख सकते हो तो वन टाइम खर्च करके एक वेबसाइट नही बनवा सकते क्या? आप भी ग्लोबलाइजेशन की कम्पनियो की तरह खुद की कम्पनी को ब्रांड बनाओ थोड़ा खर्च करो ज्यादा नही लेकिन ऑनलाइन सिस्टम से जुडो।

आप ऑनलाइन को मजबूत करोगे तो ऑफ़लाइन दुगना मजबूत होगा क्योंकि आपका पड़ोसी भी सोशल मीडिया से जुड़ा है जब वो आपकी चीज सोशल पर देखेगा तो आगे की जानकारी गूगल से लेगा जहाँ आपकी वेबसाइट होगी और उसमें सारे प्रोडक्ट दिखेंगे तो आपका स्टेटस भी मेनटेन होगा और चेलेंज देता हूँ आपकी कम्पनी दुगनी तेजी से रेवेन्यू कमाएगी। तो मित्रो लोकलाइजेशन मॉडल में काम करते हुवे अपने प्रोडक्ट में क्वालिटी के साथ उसे ग्लोबलाइज भी करने की कोशिश करिए। उदाहरण के लिए बता दूं boat कंपनी 2016 में बनी लेकिन लोकलाइजेशन में काम करते हुवे ऑनलाइन के माध्यम से ग्लोबलाइज होकर आज अरबों कमा रही है।

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Tags: businessglobalizationhindi viveklocalizationonline marketsocial media marketing

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