हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में सरकार का पहला कदम

-लोकसभा के अंदर एक सवाल पूछा गया था कि क्या श्रीमद्भगवद्गीता को स्कूलों के पाठ्यक्रम में लागू किया जाएगा ? तो इस सवाल का जवाब देते हुए शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने यह कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2022 का पैरा नंबर 4.27 भारत सरकार को इस बात के लिए निर्देशित करता है कि भारत सरकार भारत की शिक्षा में पारंपरिक ज्ञान को शामिल करे जो सभी के कल्याण का प्रयास करने वाला हो । आगे अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि इस शताब्दी में ज्ञान शक्ति बनने के लिए हमें अपनी विरासत को समझना चाहिए और दुनिया को काम करने का भारतीय तरीका सिखाना चाहिए ।

– इस बयान का अर्थ यह लगाया जा रहा है कि भारत सरकार श्रीमद्भगवद्गीता को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करवाने जा रही है । केंद्र सरकार छठी और सातवीं की कक्षा में भगवत गीता के संदर्भ और 11वीं और 12वीं की कक्षा में संस्कृत किताबों में श्लोकों को शामिल करवाने का मन बना रही है ।

-बीजेपी ने इस कदम का स्वागत किया है लेकिन कांग्रेस पार्टी ने यह कहकर इस कदम का विरोध किया है कि अगर भगवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है तो अन्य धर्मों की पुस्तकें भी पाठ्यक्रम में शामिल की जाएं।

-गुजरात के अंदर भी श्रीमद्भगवद्गीता को छठी से लेकर 12वीं तक लागू किया जा रहा था लेकिन उस वक्त गुजरात के कांग्रेस के नेता रहमान खान ने इसका विरोध किया था। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने यह कहकर इसका विरोध किया था कि जो लोग भगवत गीता को लागू करने की बात कह रहे हो पहले खुद योगिता पर चलें ।

-श्रीमद्भगवद्गीता को भारत के अंदर स्कूलों में पढ़ाया जाना इसलिए अत्यंत आवश्यक है क्योंकि अब भारत के अंदर ऐसी शक्तियां सर उठा रही है जो भारत की परंपराओं को भारत के देवी देवताओं को ना सिर्फ झूठला रही है बल्कि उन्हें अपमानित भी कर रही है।

– महाभारत सीरियल में श्री कृष्ण का कालजई किरदार अदा करने वाले अभिनेता नितीश भारद्वाज जी कानपुर आए हुए थे और कानपुर में एक नाटक का मंचन करने के बाद उन्होंने प्रेस वार्ता की और यह बयान दिया था कि मैं योगी आदित्यनाथ जी से यह प्रार्थना करूंगा यह अपील करूंगा कि वह भगवत गीता को उत्तर प्रदेश बोर्ड के सिलेबस में लागू करें क्योंकि श्रीमद्भगवद्गीता सिर्फ हिंदू को नहीं बल्कि सभी धर्मों के लोगों को अवश्य पढ़नी चाहिए।

– साल 1995 में जस्टिस जेएस वर्मा की पीठ ने हिंदुत्व पर यह बयान दिया था कि हिंदुत्व कोई धर्म नहीं बल्कि एक जीवन शैली है तो श्रीमद्भगवद्गीता भी किसी धर्म का उपदेश नहीं बल्कि एक जीवन शैली का उपदेश है और अगर हिंदुत्व को कोई धर्म भी मान लिया जाए तो वह मानव धर्म है सनातन धर्म है जो सभी के लिए हितकारी है।

-हमें अपने प्राचीन धर्म ग्रंथों का सम्मान करना सीखना होगा अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने जब बाइबल पर शपथ ली थी तो उस वक्त यह मुद्दा उठा था कि आखिर भारत के अंदर प्रधानमंत्री भगवद्गीता पर शपथ क्यों नहीं ले सकते हैं भारत के राजनेताओं को इस पर विचार करना चाहिए ।

-इसके अलावा ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि ब्रिटेन के मौजूदा प्रधानमंत्री ऋषि सुनक जो कि भारतीय मूल के ही हैं उन्होंने भी जब अपने सांसद पद के लिए शपथ ली थी तो भगवत गीता पर ही शपथ ली थी जो लोग भारत से दूर चले गए हैं वह लोग भी श्रीमद्भगवद्गीता का इतना सम्मान करते हैं और हम भारत के नागरिक होकर का सम्मान नहीं कर रहे हैं यह दुख की बात है।

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