हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
वुहान से निकला स्वर चीन भारत संबंधों की दिशा तय कर सकता है

वुहान से निकला स्वर चीन भारत संबंधों की दिशा तय कर सकता है

by अवधेश कुमार
in देश-विदेश, राजनीति, विशेष
0

 

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग मध्य चीनी शहर वुहान में अभूतपूर्व शिखर बैठक के लिए सामने आए तो यकीन मानिए दुनिया के सभी प्रमुख देशों की नजर इनके बॉडी लैंग्वेज पर रही होगी। एशिया की दो बड़ी शक्तियों के दो शक्तिशाली नेताओं के बीच इस तरह का अनौपचारिक शिखर सम्मेलन सामान्य घटना नहीं थी। चीन ने वुहान को यदि मुलाकात के लिए चुना तो इसके पीछे भी कुछ सोच होगी। झीलों की नगरी कहे जाने वाला वुहान माओत्सेतुंग की पसंदीदा जगह थी। यहां माओ की प्रसिद्ध कोठी भी है जहां उन्होंने कई विदेशी नेताओं की मेजबानी की थी। चीन ने इसके द्वारा संदेश दिया कि वह भारत को वाकई विशेष महत्व देता है।  वुहान में मोदी-जिनपिंग 2 दिन में 9 घंटे साथ रहे, 6 बार मुलाकातें हुईं। हाल के वर्षों में चीन की मीडिया द्वारा भारत के लिए कुछ सकारात्मक लिखते नहीं देखा गया। किंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच अनौपचारिक शिखर वार्ता की चीनी मीडिया खुलकर तारीफ कर रहा है। चाइना डेली से लेकर ग्लोबल टाइम्स एवं पीपुल्स डेली ने दोनों नेताओं की मुलाकातों और वार्ताओं को सफल मानते हुए यह उम्मीद जताई है कि इससे भारत और चीन के संबंधों के बीच वर्षों की व्याप्त आशंकाओं के अंत का आधार बनेगा तथा दोनों परस्पर साझेदारी से काम करते हुए आगे बढ़ेंगे। क्या जो कुछ चीनी मीडिया कह रहा है हम उसे सच मान लें?

प्रधानमंत्री मोदी की भारत वापसी के बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कॉन्ग शॉयन्यू ने कहा कि चीन भारत पर बेल्ट ऐंड रोड प्रॉजेक्ट स्वीकार करने के लिए दबाव नहीं डालेगा। यह बहुत बड़ा बयान है। भारत ने बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के सम्मेलन का बहिष्कार किया था। वह चीन भारत आर्थिक गलियारा तक इसके विस्तार पर विरोध जता चुका है, क्योंकि यह पाक अधिकृत कश्मीर से जाता है। इसके पहले चीन ने कई बयान दिए जिसमें भारत से इस परियोजना में शामिल होने का आग्रह था। कॉन्ग शॉयन्यू ने विवाद के मुद्दों मे से एक तिब्बत पर भी खुलकर कहा कि चीन का मानना है कि भारत ने तिब्बत को लेकर भी अपना आधिकारिक पक्ष नहीं बदला है जबकि चीन, तिब्बत को अपना हिस्सा मानता है। बावजूद इसके उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष सभी मामलों में सहयोग बढ़ाने, असहमतियों का हल निकालने, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने पर काम करेंगे। यानी चीन ने मान लिया है कि विवाद और मतभेद के मुद्दों पर दोनों का रुख बदलना अभी मुश्किल है, इसलिए इनको जानते हुए, इनका समाधान निकालने की कोशिश करते हुए द्विपक्षीय-अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की दिशा में आगे बढ़ें। इसे आप चीन की नीति में व्यावहारिक बदलाव कह सकते हैं।

शिखर वार्ता के संबंध में भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने जो वक्तव्य दिए उनके अनुसार 4 मुद्दों पर सहमति बनी। ये हैं- सीमा पर शांति, विशेष प्रतिनिधि नियुक्त करने, आतंकवाद पर सहयोग और अफगानिस्तान में साथ काम करने। पिछले साल डोकलाम में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 72 दिनों तक सैन्य गतिरोध चला था। ऐसे में सीमावर्ती इलाकों में शांति को बरकरार रखने के महत्व पर जोर को समझा जा सकता है। दोनों नेताओं ने फैसला किया कि वे अपनी-अपनी सेनाओं को सामरिक दिशानिर्देश जारी करेंगे ताकि संचार मजबूत किया जा सके, विश्वास एवं समझ कायम की जा सके और उन विश्वास बहाली उपायों को लागू किया जा सके जिन पर दोनों पक्षों में पहले ही सहमति बन चुकी है। एक विशेष प्रतिनिधि सीमा विवाद का हल खोजेगा। गोखले के अनुसार दोनों ने आतंकवाद को खत्म करने के लिए सहयोग बढ़ाने पर भी प्रतिबद्धता जताई। सतही तौर पर इसमें बहुत कुछ ऐसा नहीं दिखेगा जिससे कि विशेष उत्साह पैदा हो। किंतु इसका महत्व तो है। जब तक इसके विपरीत संकेत नहीं आते यह माना जा सकता है कि तत्काल चीन किसी तरह सीमा पर शांति बनाए रखने तथा अपनी ओर से भरोसा कायम करने की कोशिश के लिए मानसिक रुप से तैयार है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है अफगानिस्तान में संयुक्त आर्थिक परियोजना चलाने पर सहमति। अभी तक चीन की नीति अफगानिस्तान में भारत के प्रभाव को कम करने की रही है। पाकिस्तान चीन के माध्यम से भारत के विस्तार और प्रभाव को वहां कम करने की रणनीति अख्तियार किए हुए था। हालांकि इसका त्वरित निष्कर्ष निकाल देना कि चीन ने अफगानिस्तान में पाकिस्तान को छोड़ दिया है व्यावहारिक नहीं होगा।

चीन भारत के संबंधों पर विचार करते समय पाकिस्तान का जिक्र होना अस्वाभाविक नहीं है। चीन हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आया है। इस समय 49 अरब डॉलर के चीन पाक आर्थिक गलियारा में चीन करीब 29 अरब डॉलर लगा चुका है। इसलिए यह कल्पना नहीं करनी चाहिए कि भारत के लिए वह पाकिस्तान को छोड़ देगा। इसी तरह यह भी नहीं मान सकते कि चीन अरुणाचल से लेकर सीमा विवाद पर अपने स्टैण्ड से पीछे हट जाएगा। किंतु डोकलाम के बाद चीन अगर भारत के साथ संबंधों को ठीक करने की पहल कर रहा है, वह इस बात के लिए राजी हुआ कि नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित कर ऐसी शिखर वार्ता की जाए जिसमें कोई बंधन नहीं हो तो इसे एक सकारात्मक बदलाव के तौर पर तो देखा ही जा सकता है। निश्चय ही इसके कारण हैं। प्रतिनिधि मंडल स्तर की बातचीत के दौरान मोदी द्वारा चीन के सामने रखे गए पांच सूत्रीय अजेंडा की बहुत चर्चा है। ये हैं, समान दृष्टिकोण, बेहतर संवाद, मजबूत रिश्ता, साझा विचार और साझा समाधान। इस पांच सूत्री अजेंडे की तुलना 1954 में दोनों देशों के पहले प्रधानमंत्रियों के बीच हुए पंचशील समझौते से की जा रही है। पंचशील का हश्र तो 1962 में हम देख चुके हैं। हालांकि इस समय की परिस्थितियों को देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि इसका हश्र पंचशील जैसा नहीं होना चाहिए। शी जिनपिंग ने कहा भी कि उनका देश मोदी के बताए पंचशील के इन नए सिद्धांतों से प्रेरणा लेकर भारत के साथ सहयोग और काम करने को तैयार है।

वार्ता के बाद जिनपिंग ने जो कहा उसकी कुछ पंक्तियों पर ध्यान दीजिए- चीन और भारत को एक दूसरे का अच्छा पड़ोसी और अच्छा दोस्त बनना चाहिए। चीन और भारत दुनिया के आर्थिक वैश्वीकरण की रीढ़ हैं। दुनिया में स्थिरता बनाए रखने और पूरी मानवजाति के विकास को बढ़ावा देने में चीन-भारत के बीच अच्छा संबंध एक अहम फैक्टर हैं। चीन और भारत को एक स्वतंत्र विदेश नीति पर चलना चाहिए। इन पंक्तियों को आप भारत से संबंधों को लेकर चीन की सैद्धांतिक सोच कह सकते हैं। आर्थिक वैश्वीकरण की रीढ़ बताने तथा स्वतंत्र विदेश नीति की बात करने के मायने बिल्कुल स्पष्ट हैं। अमेरिका सहित कई बड़े देश धीरे-धीरे संरक्षणवाद की ओर बढ़ रहे हैं। अमेरिका ने अनेक चीनी सामानों को प्रतिबंधित किया है और इसका आगे विस्तार करने पर डोनाल्ड ट्रम्प अडिग हैं। अमेरिका को होने वाले भारी निर्यात पर धक्का पहुंचने से चीन की अर्थव्यवस्था प्रभावित होने वाली है। तो वह न केवल आपसी व्यापार वृद्धि में बल्कि संरक्षणवाद का विरोध करने में भी भारत का साथ चाहता है। इसी से जुड़ा है स्वतंत्र विदेश नीति की वकालत। चीन को लगता है कि भारत अमेरिका के प्रभाव में है तथा उसके सहित कई पश्चिमी और एशियाई देशों मे साथ ऑस्ट्रेलिया आदि से मिलकर उसे घेरने की नीति पर चल रहा है। निस्संदेह, अमेरिका ने इंडो पैसिफिक शब्द भारत का महत्व बढ़ाने के लिए दिया है। किंतु भारत ने काफी सोच समझकर हिन्द प्रशांत क्षेत्र में अपनी भूमिका निर्धारित की है। यह भारत की अपनी नीति है किसी के दबाव या प्रभाव में अपनाया नहीं गया है। चीन दक्षिण एशिया देशों में धन झोंककर अपना प्रभाव बढ़ाने की जिस नीति पर काम कर रहा है वह भारत को स्वीकार नहीं है। दक्षिण चीन सागर में अपने रवैये पर वह कायम है और इससे उसका तनाव अनेक देशों के साथ बढ़ा हुआ है। इसमें भारत की नीति में चीन के अनुकूल बदलाव की अपेक्षा तत्काल बेमानी है।

तो इस शिखर सम्मेलन का तात्कालिक परिणाम दिखाई देता है तो यही कि तनाव की जो गर्मी डोकलाम के बाद कायम थी उस पर वुहान की ठंढी फुहारें पड़ीं हैं। इसके द्वारा चीन ने भारत के साथ विश्वास बहाली की पहल की और निश्चय ही दोनों नेताओं ने कई मुद्दों पर खुलकर चर्चा की होगी। भविष्य में इस तरह के संवाद होते रहने पर सहमति यह बताता है कि तत्काल दोनों नेता इसके परिणामों से संतुष्ट हैं। तो वुहान शिखर वार्ता की तर्ज पर आगे और भी वार्ताएं होंगी जिससे दोनों के संबंधों की भविष्य की दिशा तय हो सकती है। बंधनों को तोड़कर की गई बातचीत में हम उस तरह के मामलों पर भी खुलकर बात कर सकते हैं जो निर्धारित अजेंडे के तहत होने वाली वार्ताओं में नहीं हो सकतीं। इसलिए इसे सकारात्मक शुरुआत कह सकते हैं।

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: BJPhindi vivekhindi vivek magazinenarendra modiselectivespecialsubjectivexi jinping शी जिनफिंगनरेंद्र मोदी

अवधेश कुमार

Next Post
आग लगने के दौरान कार का दरवाजा खोलने के लिए यंत्र

आग लगने के दौरान कार का दरवाजा खोलने के लिए यंत्र

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0