मध्य प्रदेश उज्जैन स्थित सेवाधाम आश्रम के प्रमुख सुधीर भाई गोयल मुंबई प्रवास के दौरान हिंदी विवेक कार्यालय में भी पधारे और हिंदी विवेक की टीम के साथ मुलाकात की. हिंदी विवेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर ने शोल ओढ़ाकर उनका स्वागत सम्मान किया और उनके उल्लेखनीय कार्यो से सभी को अवगत कराया. इसके बाद हिंदी विवेक की कार्यकारी सम्पादक पल्लवी अनवेकर ने हिंदी विवेक द्वारा प्रकाशित ‘सशक्त नेतृत्व, समर्थ भारत’ ग्रन्थ उन्हें भेंट स्वरूप प्रदान किया. अमोल पेडणेकर ने ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक विशाल संगठन’ नामक पुस्तक तथा ‘राम मंदिर अस्मिता से वैश्विक धरोहर तक’ विशेषांक उपहार के रूप में देकर वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता को अधोरेखित किया.
प्रसिद्ध समाजसेवी सुधीर भाई गोयल ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वामी विवेकानंद का उनके जीवन पर सर्वाधिक प्रभाव है. स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि ‘दीन दुखियों की सेवा ही असली ईश्वरीय सेवा है’. उन्हीं से प्रेरणा लेकर मैं पीड़ितों की सेवा, चिकित्सा, सहायता कर पा रहा हूं. उनकी सेवा में मुझे असीम शांति और आनंद की प्राप्ति होती है. नर सेवा में ही मुझे नारायण के साक्षात् दर्शन होते है. इस ईश्वरीय कार्य के लिए भगवान् ने मुझे चुना, इसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूं.
विनोबा भावे, बाबा आमटे और मदर टेरेसा से हुई भेंट ने उनके जीवन को नई राह दिखाई. आज लगभग ८०० के करीब असहाय रोगी, कुष्ठ रोगी, दिव्यांग, मानसिक बीमारी से ग्रसित विक्षिप्त आदि पीड़ित दीन दुखी उनके सेवाधाम आश्रम में रहकर सेवा सुविधा का लाभ ले रहे हैं.
इसके अलावा विविध विषयों पर उन्होंने अपनी बात रखी और हिंदी विवेक की टीम को सेवाधाम आश्रम आने का निमंत्रण भी दिया.