लोकतंत्र का पर्व मनाने
हम निश्चित मतदान करें..!
मौसम की गर्मी को भूलें,
परखें देश का तापमान,
उज्ज्वल भविष्य की बुनियाद
है सबका निश्चित मतदान,
भारत मां के सबसे सही
पुजारी की पहचान करें..!
अंगुली पर अंकित स्याही का
गर्व से हम ऐलान करें..!
लोकतंत्र का पर्व मनाने
हम निश्चित मतदान करें..!
हम निश्चित मतदान करें..!
समय चक्र की यात्रा में फिर
लौटा है इक अहम पड़ाव,
प्रजातंत्र का भविष्य गढ़ने
फिर से आया आम चुनाव,
कठिन परीक्षा में हमको
फिर अपना फर्ज़ निभाना है,
एक अच्छे जन प्रतिनिधि को
चुनकर उसे जिताना है,
देश की सेवा सर्वोपरि है,
इसका हम सम्मान करें..!
लोकतंत्र का पर्व मनाने
हम निश्चित मतदान करें..!
हम निश्चित मतदान करें..!
हम सब भारत देश के वासी,
जन-गण-मन की हैं शक्ति,
वोट के अधिकार में शामिल
जन शक्ति की अभिव्यक्ति,
संविधान के इस विधान को
हम फिर से साकार करें,
निश्चित दिन पर कर मतदान
जन हित का श्रृंगार करें,
सही व्यक्ति का बटन दबाकर
जन-जन का कल्याण करें..!
लोकतंत्र का पर्व मनाने
हम निश्चित मतदान करें..!
हम निश्चित मतदान करें..!
सर्दी, गर्मी या बरसात,
चाहे फिर दिन हो या रात,
सीमा की निगरानी के लिए
सैनिक रहते हैं तैनात,
हम भी लोकतंत्र के प्रहरी
जागरूक मतदाता हैं,
माध्यम हैं निर्वाचन के,
देश के भाग्य विधाता हैं,
जनशक्ति की महिमा का हम
सब मिलकर गुणगान करें..!
लोकतंत्र का पर्व मनाने
हम निश्चित मतदान करें..!
हम निश्चित मतदान करें..!
रचयिता :- गजानन महतपुरकर,
कवि, गीतकार, साहित्यकार, मीडिया एवं जनसम्पर्क सलाहकार तथा कार्यकारी सदस्य – महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई