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विपक्ष मोदीजी से क्यों चिढ़ता है?

विपक्ष मोदीजी से क्यों चिढ़ता है?

by pallavi anwekar
in आर्य समाज विचार दर्शन विशेषांक २०१९, राजनीति
5

मोदी भारत का भारतीयत्व जागृत करने का प्रयास कर रहे हैं। वे समय-समय पर इसे अपने ही कार्यों द्वारा सिद्ध भी करते रहते हैं। उनकी योजनाएं मोदी विरोधकों को भलीभांति समझ में आ रही हैं। इसलिए 2019 में पुन: मोदी प्रधानमंत्री न बने इसलिए हर तरह की कार्रवाइयां की जा रही हैं।

देश में 2019 के लोकसभा चुनावों की रणदुंदुभी बजने के पूर्व की सारी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। आपसी वैमनस्य को कुछ समय के लिए अलग रख कर विपक्षी पार्टियों का महागठबंधन बनाना, ममता बैनर्जी का बंगाल में नाटकीय विरोध प्रदर्शन, राहुल गांधी का राफेल राग, वामपंथियों का आए दिन विषवमन, कुछ मीडिया हाउस के द्वारा किया जा रहा सरकार विरोधी प्रचार इत्यादि…।

इसके साथ ही देश में एक बहुत बड़ी और अप्रिय घटना घटी पुलावामा में। पुलवामा में जैश-ए-मुहम्मद के आतंकवादियों द्वारा किए गए फिदायीन हमले में भारत के 40 जवान शहीद हो गए। सम्पूर्ण देश भर में इस घटना के विरोध में प्रदर्शन हुए। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देने की खुली छूट दे दी और सेना भी अपने काम में जुट गई। इन सारी घटनाओं को श्रृंखलाबद्ध तरह से देखा जाए तो यह समझना आसान हो जाएगा कि ये सब लोकसभा चुनावों के ठीक पहले क्यों हो रहा है।

जाहिर सी बात है समाज में अस्थिरता निर्माण करने के लिए ही यह सब किया जा रहा है। अगर देश में अस्थिरता का वातावरण होता है तो उसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर होती है। आज की परिस्थिति में मोदी सरकार को केंद्र से हटाने के लिए देश के अंदर विरोधी पार्टियां लामबंदी कर रही हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान और चीन मिलकर यह काम कर रहे हैं।

इसके पहले कि 2019 में होने वाले चुनावों की परिस्थिति का विश्लेषण किया जाए, हमें एक बार 2014 के चुनावों के पूर्व की परिस्थिति तथा चुनाव परिणामों के बाद विभिन्न माध्यमों से आई प्रतिक्रियाओं पर गौर कर लेना चाहिए।

सन 2014 में हुए लोकसभा चुनावों के पूर्व देश में नकारात्मक, निरुत्साही वातावरण था। देश ऐसी मानसिकता में जी रहा था जिसमें उसे वैचारिक गुलाम बनाए रखना बहुत आसान था। आम लोग यूपीए सरकार के 10 सालों के कार्यकाल से पूर्ण निराश थे। यूपीए सरकार के घोटालों से परेशान थे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की घटती साख से चिंतित थे। आर्थिक क्षेत्र के जानकार विश्व बैंक से लिए गए कर्जे को लेकर चिंतित थे। जीडीपी और तेल, पेट्रोल की कीमत भी चिंतित करने वाली ही थी। सेना की ओर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था। आतंकवादी आसानी से मुंबई-दिल्ली जैसे महानगरों पर हमले कर रहे थे। 15 अगस्त 26 जनवरी जैसी तारीखें आते-आते लोगों का मन किसी अप्रिय घटना की आशंकाओं से घिर जाता था।

ऐसी परिस्थिति में नरेंद्र मोदी ने भाजपा की कमान संभाली। एक तरह से सम्पूर्ण नकारात्मक परिस्थिति में जीने वाले देश को उनमें आशा की किरण दिखाई दी।

आशा की यह किरण देखने वाले नरेंद्र मोदी पर यूं ही विश्वास नहीं करने लगे थे। नरेंद्र मोदी ने गुजरात में जो कार्य किया वह जनता के लिए प्रमाण था। नरेंद्र मोदी ने जनता को विकास के स्वप्न दिखाए, अच्छे दिनों के स्वप्न दिखाए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की मजबूत छवि के स्वप्न दिखाए। उनके इन स्वप्नों से भारतीय जनता में उत्साह की लहर दौड़ गई। उत्साह की इसी लहर ने चुनावों में मोदी लहर का स्वरूप ले लिया और मोदी देश के प्रधानमंत्री बन गए।

प्रधान मंत्री पद की शपथ लेने के पूर्व नरेंद्र मोदी ने गंगा आरती की थी। लोकसभा की सीढ़ियां चढ़ने के पूर्व उसे मंदिर का दर्जा देते हुए उस पर माथा टेका था। हिंदू रीतिरिवाजों में असीम श्रद्धा होने के ये उत्तम उदाहरण हैं। ऐसा करके उन्होंने सिद्ध कर दिया कि वे महान भारतीय परम्पराओं का जतन करने जा रहे हैं। वरना यूपीए के कार्यकाल में तो श्रद्धा चादरों, मोमबत्तियों, शक्ति स्थल और वीर भूमि तक ही सीमित रहती थी।

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ‘द गार्जियन’ में इस आशय की खबर प्रकाशित थी कि अब भारत से ब्रिटिश शासन पूरी तरह से खत्म हो चुका है। ‘द गार्जियन’ जैसे समाचार पत्र में ऐसे उद्गार प्रकाशित होना भारत के भारतीयत्व की पुनर्स्थापना की बानगी थे। राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत किसी व्यक्ति के हाथ में जब देश के नेतृत्व की जिम्मेदारी अती है तो वह देशहित को सर्वप्रथम मान कर ही कार्य करता है, और विगत चार सालों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वही किया। उसी का सुपरिणाम यह है कि राजग सरकार के चार सालों के कार्यकाल में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार या घोटाले की खबर नहीं आई।

प्रधानमंत्री ने अपना कार्यभार संभालने के बाद जिन-जिन देशों की यात्राएं की वहां रहने वाले भारतीयों से वे जरूर मिले। वहां स्थापित मंदिरों के दर्शन किए। उनके प्रयासों से तो मुस्लिम देशों ने भी अपने देश में मंदिर बनाने के आदेश दे दिए। उनकी विदेश यात्राओं पर तंज कसने वालों को अब शायद उसके परिणाम दिखाई दे जाएं जब पुलवामा की घटना के विरोध में लगभग पूरा विश्व भारत के साथ न केवल खड़ा है बल्कि हर संभव मदद करने का प्रस्ताव दे रहा है।

भाजपा कभी भी मुसलमानों के साथ नहीं होती, इस बात को स्वतंत्रता के बाद से इतना प्रचारित किया जाता रहा कि मुस्लिम समाज की पीढ़ियों ने इसे जनमघूंटी की तरह पी लिया है। परंतु उसी मुस्लिम समाज की महिलाओं के साथ तीन तलाक जैसे गंभीर मुद्दे पर मोदी सरकार जितनी मजबूती से खड़ी रही कि उसके बाद मुस्लिम महिलाओं के मानस में कुछ परिवर्तन होने की उम्मीद तो जताई जा ही सकती है।

प्रधानमंत्री देश के युवाओं को नौकरी करने वाला नहीं नौकरी देने वाला बनाना चाहते हैं। इसीलिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से कौशल विकास तथा स्वरोजगार के लिए युवाओं को प्रेरित किया जा रहा है। परंतु विगत 70 सालों में समाज को मुफ्तखोरी की इतनी आदत पड़ गई है कि आज लोग सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर केवल मुफ्त की रोटियां तोड़ना चाहते हैं, काम नहीं करना चाहते। समाज की इसी कमजोरी का फायदा चुनाव आते ही विपक्षी पार्टियां उठाती हैं और कर्जमाफी जैसे लुभावने वायदे करने लगती हैं। यह आदत ही अकर्मण्यता की जड़ है जिसे प्रधानमंत्री जड़ से निकालना चाहते हैं। परंतु विपक्ष यह जानता है कि अगर लोगों में स्वाभिमान जागृत हो गया और वे अपने पैरों पर खड़े होकर इज्जत की रोटी कमाने लगे तो उन्हें कोई नहीं पूछेगा। अत: मोदी सरकार की योजनाओं को गलत साबित करने में वे जी-जान से लगे हैं।

मुफ्तखोरी केवल निचले तबके तक ही सीमित नहीं थी। टैक्स की चोरी करने वाले भी इसी सिक्के के दूसरे पहलू हैं। ये कमाते तो शान से हैं परंतु टैक्स नहीं भरते। काले धन के रूप में अपनी तिजोरियां भरते रहते हैं और सरकारी खजाना खाली रहता है। नोटबंदी के बाद ऐसे लोगों की भी हवा निकल गई है। इस काले धन से जिन लोगों के काले धंधे चलते थे वे बिलबिला रहे हैं। कश्मीर में आतंकी गतिविधियों पर भी कुछ समय के लिए लगाम कस गई थी क्योंकि इनको मिलने वाला धन भी काला धन ही था। ऐसे में उनकी बौखलाहट स्वाभाविक ही है। वे भी अच्छी तरह से जान गए हैं कि अगर केंद्र में मोदी सरकार दुबारा आई तो बिना युद्ध के भी उनका खात्मा संभव है। अत: वे किसी न किसी तरह से भारत को युद्ध के लिए प्रवृत्त कर रहे हैं। देश के बाहर से मिलने वाले आर्थिक बल के सहारे वे भारत में तनाव बढ़ाने और मोदी सरकार को विफल साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।

पाकिस्तान भारत से सीधे युद्ध नहीं कर सकता। अत: वह आतंकियों की मदद से भारत में अस्थिरता और असुरक्षा बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत रहता है। परंतु पुलवामा की घटना के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं और वैश्विक स्तर पर भी उसे घेरने की तैयारी कर ली है।

आज भारत को अगर 2019 में होने वाले चुनावों के परिप्रेक्ष्य से देखा जाए तो भारत में सीधे-सीधे दो और केवल दो गुट दिखाई देते हैं। एक जो राष्ट्र हित सर्वोपरि को ध्यान में रख कर राष्ट्रीय विचारों और राष्ट्रहित से प्रेरित राजनीति करके राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए प्रयत्नशील हैं। जिसमें दुर्भाग्य से केवल राजग ही है। और दूसरा गुट है जिसके लिए राष्ट्र, उसकी उन्नति उसका अंतरराष्ट्रीय सम्मान आदि कुछ मायने नहीं रखता। वे केवल अपना और अपनी आने वाली पुश्तों का भला करने के लिए ही राजनीति कर रहे हैं। इस दूसरे गुट में कांग्रेस, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस जैसी लगभग सभी पार्टियां शामिल हैं।

2019 के चुनावों के समय मतदान करते समय हमारा एक ही लक्ष्य होना आवश्यक है कि हमें ऐसी सरकार चुननी है जो सम्पूर्ण देश के विकास का दृष्टिकोण रखती हो। क्योंकि हमारी व्यक्तिगत उन्नति तभी सम्भव है, जब हमारा देश उन्नति करे। हमें ऐसी सरकार चुननी है को केवल पेट्रोल की बढ़ती कीमत जैसी तात्कालिक समस्याओं का समाधान खोजने की बजाए ऐसे निर्णय लें जो भारत की आने वाली पीढ़ी को सम्मान से जीने योग्य वातावरण का निर्माण करे।

प्रधानमंत्री भारत की आध्यात्मिक शक्ति से परिचित हैं। यहां के ज्ञान भंडार पर उनका अटूट विश्वास है। यहां की भाषा, संस्कृति, परम्पराओं पर उन्हें गर्व है। वे जानते हैं कि अगर भारत के नागरिकों से अकर्मण्यता निकल जाए और वे अपनी परम्पराओं को विज्ञान और तकनीक का आधार देते हुए कार्य करना प्रारंभ कर दें तो भारत को महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। परंतु इसके लिए आवश्यक है कि भारतवासी पुन: भारतीय होने पर गर्व करने लगें और प्रधान मंत्री तथा उनकी सरकार पर विश्वास रखते हुए उनका साथ देने का प्रण करें।

 

 

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Comments 5

  1. Dilip Parekh says:
    6 years ago

    छत्रपति का भी विरोध हुआ था. https://www.youtube.com/watch?v=4b4bK21-RUM

    Reply
  2. Pallavi Anwekar says:
    6 years ago

    धन्यवाद

    Reply
  3. धनंजय रंगनाथ राव says:
    6 years ago

    बहुत अच्छा लिखा है। सही सोच तथा आज के देश कि परिस्थिती का सटीक विवरण कीया है।

    Reply
    • सतीश सिंह says:
      6 years ago

      बढ़िया विश्लेषण, साधुवाद

      Reply
  4. योगेश says:
    6 years ago

    बेहद शानदार लेख साधुवाद

    Reply

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