सक्षम होंगी तभी सुरक्षित होंगी बेटियां

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कुछ चुनिंदा विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को आत्मरक्षा के गुण भी सिखाए जाते है लेकिन यह सभी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में अनिवार्य किया जाना चाहिए, जिससे वे शारीरिक व मानसिक रुप से अपनी आत्मरक्षा करने में समर्थ हो और उनका मनोबल बढ़े। जागरुकता की दृष्टि से राष्ट्रीय स्तर पर आत्मरक्षा अभियान चलाना आवश्यक है।

अयोध्या और अबुधाबी का शांति संदेश- मधुभाई कुलकर्णी

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भारत के अयोध्या और अरब के अबुधाबी में सर्वधर्म समभाव एवं सहिष्णुता के प्रतीक बने हिंदू मंदिर पूरी दुनिया को ‘एकं सत् विप्रा: बहुधा वदन्ति’ और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का संदेश दे रहे हैं। यदि मजहबी टकराव, कट्टरता, आतंकवाद, हिंसा और युध्द से बचना है तो सनातन संस्कृति में निहित सहअस्तित्व के  विचारों को आत्मसात करना ही होगा।

महिला अधिकारों एवं कानूनों का दुरुपयोग

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महिलाओं के उत्पीड़न, उनकी सुरक्षा और अधिकार के लिए कानून तो बनाए गए है लेकिन बड़ी संख्या में महिलाएं इस कानून का दुुरुपयोग करने लगी हैं। झूठे मामले में वो अपने पति या ससुराल वालों को यौन उत्पीड़न, दहेज प्रताड़ना या घरेलू हिंसा में फंसा देती है। इसलिए अब समय की मांग है कि झूठे आरोप लगाने वाली महिलाओं को भी दंडित किया जाए।

राजनीति में मजबूत दावेदारी

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वर्तमान मोदी सरकार ने महिलाओं को विकास के पंख दिए तो महिलाओं ने भी सपनों की ऊंची उड़ान भरनी शुरु की। राजनीति की पुरपेंच गलियों से होते हुए वो राष्ट्रपति और राज्यपाल के पद पर स्थापित हैं। वह क्षेत्र जहां अब तक केवल पुुरुषों का वर्चस्व था, उन क्षेत्रों में भी महिलाओं ने स्वयं को स्थापित किया है।

साहित्यकार राजाश्रित नहीं, राजपुरस्कृत होना चाहिए – डॉ. शीतला प्रसाद दुबे

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मुंबर्ई। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा विगत दिवस चर्चगेट स्थित जय हिंद कॉलेज के सभागार में वर्ष 2023-24 के पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने कहा कि साहित्यकार राजाश्रित नहीं बल्कि राजपुरस्कृत होना…

शौर्य की प्रतिमूर्ति रानी दुर्गावती

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इतिहास के पन्नों में अलग से रेखांकित है महानतम वीरांगनाओं में रानी दुर्गावती का नाम। इस साल उनका शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा हैं। जिन्होंने देश की रक्षा और आत्मसम्मान के लिए अपने प्राणों की आहुति तक दे दीं। राज्य की रक्षा के लिए कई लड़ाईयां भी लड़ी और मुगलों से युद्ध करते हुए वे वीरगति को प्राप्त हुईं।

राष्ट्रीय पत्रकारिता का मापदंड प्रस्थापित करती पुस्तक ‘मुद्दा’

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लेखन के विविध प्रकारों में से पत्रकारिता को सर्वथा उपयुक्त माना जाता है. पत्रकारिता से राष्ट्रीय विचारधारा को बल मिलना चाहिए. समाज को जागरूक कर उसे सही दिशा देना ही वैचारिक पत्रकारिता है. यही कार्य विगत एक दशक से अमोल पेडणेकर अपनी लेखनी से सतत करते आ रहे है. दिग्भ्रमित, फेक न्यूज और गुमराह करनेवाली पत्रकारिता के दौर में अमोल पेडणेकर द्वारा लिखित पुस्तक ‘मुद्दा’ सही अर्थों में राष्ट्रीय पत्रकारिता का मापदंड कही जा सकती है.

लव जिहाद: राष्ट्रीय व धार्मिक संकट

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समय-समय पर मैंने हिन्दी विवेक पत्रिका के पाठकों के समक्ष उस समय के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों से मेरे मन में जो कम्पन पैदा हुआ उसे प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इसके साथ ही मैंने विभिन्न विषयों पर नियमित लिखता रहा। मुझे अपने बारे में या अपने अन्दर के विचारों को लेखों के रुप में पाठकों के सामने प्रस्तुत करने का अवसर मिला। उन लेखों के संकलन का बिन्दु पुस्तक है।

कर्तृत्व, नेतृत्व व मातृत्व का आदर्श

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नारी विमर्श से ही सनातन संस्कृति की भारतीय परम्परा को मजबूत करना है। नारी ही समाज, परिवार व राष्ट्र की आधारशिला है। जिसका एक उदाहरण जीजाबाई के मातृत्व, अहिल्याबाई के कर्तृत्व तथा लक्ष्मीबाई के नेतृत्व में मिलता है।

कर्तव्य पथ पर महिला सशक्तीकरण की गूंज

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महिलाएं अब हाशिए पर नहीं है। फर्श से उठकर वो अर्श पर पहुंचकर अपने सपनों को ऊंची उड़ान दे रही हैं। जल, थल, नभ और यहां तक कि अंतरिक्ष तक में एक नया इतिहास रच रही हैं। ये महिला सशक्तिकरण नहीं तो और क्या है?

अमरावती में कृत्रिम हाथ-पैर वितरण कार्यक्रम संपन्न

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अमरावती के बडनेरा रोड स्थित भक्तिधाम मंदिर प्रांगण में लगभग ३०० दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ-पैर, कैलीपर सहित अन्य अवयव वितरित किया गया. जिससे दिव्यांगों के ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा. गेल इंडिया लि. के सीएसआर फंड से दिव्यांगों को यह सुविधा प्रदान की गई. श्री जलाराम सत्संग मंडल, गुजराती समाज, भारत विकास परिषद, विकलांग पुनर्वसन केंद्र, सक्षम संस्था के संयुक्त समन्वय से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्रीक्षेत्र मन्मथधाम संस्थान के डॉ. विरूपाक्ष शिवाचार्य महास्वामीजी एवं शिवधारा आश्रम के संत डॉ. संतोष महाराज उपस्थित थे.

बंगाल पर कलंक

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किसी भी देश और राज्य की प्रगति तभी सम्भव है जब वहां शांति हो। परंतु पश्चिम बंगाल में असामाजिक तत्वों का बोलबाला है। राज्य में सनातन संस्कृति को मानने वाले नागरिकों पर हमला किया जा रहा है। यहां के कुछ क्षेत्रों में महिलाओ पर अत्याचार का भी मामला प्रकाश में आ रहा है।

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