पेड़-पौधे सुंदर घर की पहचान

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वैसे तो हर कोई चाहता है कि, उसका घर सुंदर लगे, और आने  जाने वालों के लिए मिसाल बने| लेकिन घर को सुंदर सजा संवार कर रखना कोई आसान बात तो नहीं| आजकल कोई फेंगशुई के सामान से घर को सजाता है, तो कोई चायनीज सजावटी सामान से| कोई मिट्टी के बर्तनों से तो कोई विविध कांच के झूमर और शो पीस से|

सोशल मीडिया का मसखरा मिजाज

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जबसे यह व्हाट्सएप आया है, दुनिया में होने वाली हर घटना       पर कोई ना कोई विनोद, कोई ना कोई जोक सामने आता ही है| वैसे तो दुनिया में कितनी भी बड़ी घटना क्यूं ना हो जाए, कुछ खुशमिजाज लोग हर हाल में ही खुश रहते हैं, और अपने तरह-तरह के जोक्स से दुनिया को भी खुश रखने का काम करते हैं|

लो आ गई स्टाइलिश ठंड

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      ठंड आते ही धूप सुनहरी लगने लगती है। कुनकुना पानी नहाते समय आरामदायक लगता है, और रात को सोते वक्त रजाई हमारी सबसे अच्छी सहेली बन जाती है। लेकिन इन सब के अलावा ठंड में सुंदर दिखने के लिए हमारे पास ढेरों तरीके भी उपलब्ध हो जा

फैशन की शुरुआत गांवों से…

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गांव की मिट्टी की खुशबू कौन भूल सकता है भला? गांवों की बात ही निराली होती है। चाहे वह मिट्टी की सौंधी खुशबू हो, या फिर गांव की बोली, या वहां का पहनावा। वैसे भारत जैसे कृषि प्रधान देश में गांवों की संख्या भी अधिक है। हर गांव का रंग एक दूसरे से अलग और निर

त्यौहार सिर्फ त्यौहार नहीं

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त्यौहार केवल सुंदर कपड़े पहन कर सेल्फी खींचना नहीं। अपनी परंपराओं को केवल सोशल मीडिया तक सीमित रखना नहीं तो त्यौहार सभी के साथ मिलकर मनाना, सबके बारे में सोचना है।

सोशल मीडिया का बढ़ता शिकंजा

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सम्पूर्ण सतर्कता, सावधानी और सोशल मीडिया का ज्ञान हो तो सोशल मीडिया के माध्यम से बड़-बड़े कार्य करना भी संभव है। केवल तय यह करना है, कि इस शिकंजे में फंसते चले जाना है या सोशल मीडिया का नया जाल खुद के हाथ से बुनना है।

छोड़ आए हम वो गलियां

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बारिश के साथ ही स्कूल-कॉलेजों का नया सत्र शुरू होता है। छात्रों के समक्ष नया परिवेश, नया शहर, नई समस्याएं सब कुछ नया ही होता है। घर के सुरक्षित माहौल से शहर में आए छात्र इससे सकपका जाते हैं। कई नई अनकही समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। ऐसे में आत्मविश्वास के साथ स्थिति का सामना करें तो नए जीवन का सफर आसान हो जाता है।

वेब चैनल्स कि मनोरंजक दुनिया

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मनोरंजन और हम मनुष्यों का नाता बहुत ही पुराना है। प्राचीन काल में नाटक और नृत्य नाटिकाओं से लेकर टेलीविजन आने के बाद धारावाहिकों तक मनोरंजन के अनेक साधन मनुष्य के पास रहे हैं। मनोरंजन के बिना जीवन है ही क्या? समय बदला और समय के साथ मनोरंजन के साधन भी बदले। आज मनोरंजन की आभासी दुनिया का प्रमुख साधन है इंटरनेट। जिस प्रकार टी.वी. पर अनेक चैनल और उन चैनलों पर अनेक धारावाहिक आते हैं, उसी प्रकार आज इंटरनेट पर भी अनेक वेब चैनल्स उपलब्ध हैं।

गुरु ही मित्र, गुरु ही सखा…

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सर : अरे अनिल कैसे हो ? तुम्हारी नई गाड़ी तो बहुत ही अच्छी है। अनिल : अरे धन्यवाद सर जी, आपने सलाह दी तभी मैंन गाड़ी ली है। सर : अरे अनिल! आगे भी जब भी जरूरत हो बोलना जरूर। अनिल : जरूर सर। आश्चर्य होगा आपको। यह संवाद दो दोस्तों के बीच न होकर शिक्षक और छात्र के बीच हो रहा है। गुरु और शिष्य की एक विशिष्ट छवि हमारे दिमाग में सालों से बसी हुई है. परन्तु समय के साथ इस छवि में कई बदलाव आए हैं। गुरु ही मित्र गुरु ही सखा है,

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