जल प्रबंध की हमारी श्रेष्ठ प्राचीन परंपरा

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हमारा देश किसी समय ‘सुजलाम्, सुफलाम्’ था, विश्व के अर्थतंत्र का सिरमौर था, क्योंकि हमारा जल व्यवस्थापन अत्यंत ऊँचे दर्जे का था। इसकी विकसित तकनीक हमें अवगत थी। इसकी विस्मृति का हमें आज खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

भारतीय उद्योग बुलंदियों को छूने तैयार!

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आज हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो चीन के विदेशी मुद्रा भण्डार का लगभग एक दहाई है। इसीलिए ‘मेक इन इंडिया’ का महत्व सामने आता है। इस अभियान से अगले दो-तीन वर्षों में हमारा अंतरराष्ट्रीय व्यापार घाटा तो कम होगा ही, साथ ही साथ विदेशी मुद्रा भण्डार भी बढ़ेगा। ...उद्योग जगत की जबरदस्त संभावनाओं के बीच हम आगे बढ़ रहे हैं।

पूर्वोतर की समृद्ध साहित्य परंपरा

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पूर्वांचल के सातों राज्योें में अनेक बोली भाषाएं हैं। अकेले आसाम में २०० से ज्यादा बोलियॉं बोली जाती हैं। इन सभी बोली भाषाओं में समृध्द साहित्य हैं। किन्तु इन अनेक भाषाओं को आज भी लिपि नहीं हैं। मौखिक परंपरा से ही यह भाषाएं आज इक्कीसवी सदी में भी जीवित हैं। इस समृध्द मौखिक साहित्य को छपवाकर उसका अनुवाद बाकी भाषाओं में करने का काम ‘‘साहित्य अकादमी’’ द्वारा किया जा रहा हैं.

सिंगापुर को समर्थ राष्ट्र बनानेवाले ‘ली कुआन यू’

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टोसा यह छोटा सा द्वीप, सिंगापुर के आकर्षण का केंद्र है।इस सेंटोसा द्वीप पर एक किला है, ‘फोर्ट सिसेलो’। यह मलय भाषा से उत्पन्न हुआ शब्द है, जिसका अर्थ होता है, पत्थर (मूल संस्कृत शिला)। पिछले चालीस वर्षों से यह किला सिंगापुर के इतिहास का, विशेषतःसैनिकी इतिहास का जीता-जागता स्मारक है।

मध्य भारत भाजपा के साथ

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2014 के लोकसभा चुनावों को लेकर देश के राजनीतिक परिस्थिति का जब हम आंकलन करते हैं,तब देश के बीच का हिस्सा महत्वपूर्ण बनकर सामने आता है. विशेषकर जब हम ‘मोदी लहर’ की बात करते हैं, तब तो इस हिस्से का आंकलन और भी महत्वपूर्ण हो जाता हैं।

स्वामी विवेकानन्द की राष्ट्रीय प्रेरणा

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सन 1863 के प्रारम्भ में, 14 जनवरी को स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ। उस समय देश की परिस्थिति कैसी थी? 1857 की क्रान्ति की ज्वालाएं बुझ रही थीं। यह युद्ध छापामार शैली में लगभग 1859 तक चला।

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