बाबा साहेब के निर्वाणकाल की व्यथा
एक दिन इसी प्रकार का आचरण करते हुए नेहरू ने बाबा साहेब को अपने घर पर बुलाया और कहा- आम्बेडकर, पालिटिक्स इज़ द गेम एंड वी आर द ओनली प्लेयर्स। नेहरू की बात सुनकर बाबा साहेब ने सहजतापूर्वक उन्हें उत्तर दिया कि राजनीति खेल या प्रतिस्पर्धा नहीं अपितु देश व समाज को बदलने की एक कुंजी है।