हिंदू-बौद्ध आज भी विश्वगुरु
कालातीत या हर समय में संवेदनशील, सटीक और समर्थ जीवन शैली को जन्म देने वाले हमारे हिन्दू-बौद्ध सिद्धांत और संस्कार हमें विश्व नेतृत्व की अद्भुत क्षमता प्रदान करते हैं। यही हमारे लिए विश्वगुरु की पुनर्स्थापना है।
कालातीत या हर समय में संवेदनशील, सटीक और समर्थ जीवन शैली को जन्म देने वाले हमारे हिन्दू-बौद्ध सिद्धांत और संस्कार हमें विश्व नेतृत्व की अद्भुत क्षमता प्रदान करते हैं। यही हमारे लिए विश्वगुरु की पुनर्स्थापना है।
जोगेंद्रनाथ मंडल की दलित-मुस्लिम राजनीतिक एकता के असफल प्रयोग व उनके द्वारा खुद को कसूरवार समझे जाने और स्वयं को गहरे संताप व गुमनामी के आलम में झोंक देने के परिदृश्य को बाबासाहेब ने संपूर्णतः जान लिया था और यही अध्याय उनके जीवन भर की राजनैतिक यात्रा में झलकता रहा।
वस्तुतः ‘कैब’ विभाजन के अधूरे कार्य को पूर्ण करने का ही बड़े विलंब से लाया गया विधिक मार्ग है जिससे तब के दीन हीन हिंदुओं व अन्य समुदायों को पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के नारकीय जीवन से बाहर निकलने का सम्मानपूर्ण मार्ग निकल सकेगा।
मोदी सरकार के अथक प्रयास से सदियों पुरानी कुप्रथा तीन तलाक को ख़त्म कर इतिहास रच दिया गया है. लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी तीन तलाक बिल पास हो गया. बिल के समर्थन में ९९ और विरोध में ८४ वोट पड़े. अब तीन बार तलाक कह कर पत्नी से तलाक लेना संज्ञेय अपराध होगा. पीड़ित या परिवार के सदस्य एफआईआर दर्ज करा सकते हैं. एफआईआर दर्ज होने के बाद बिना वारंट के गिरफ्तारी हो सकेगी. मजिस्ट्रेट पत्नी का पक्ष जानने के बाद ही जमानत दे सकते है. मजिस्ट्रेट को पति और पत्नी के बिच सुलह कराकर शादी बरकरार रखने का भी अधिकार दिया गया है. अदालत का फैसला आने तक बच्चा मां के संरक्षण में रहेगा. इस दौरान पत्नी को गुजारा भत्ता पति को देना होगा. तीन तलाक देने वाले पति को ३ वर्ष की जेल और जुर्माना दोनों ही सजा दी जा सकती है.
मुख्यमंत्री के पद पर कुमारस्वामी, सिद्धारमैया और मल्लिकार्जुन खड्गे के नाम सुबह दोपहर शाम बारी-बारी से चल रहें हैं. सीतारमैया ने तो एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कह दिया था कि आवश्यकता हुई तो वे पुनः मुख्यमंत्री पद संभालेंगे. कृषि मंत्री शिवशंकर रेड्डी ने इसकी योजना भी सार्वजनिक की थी.
नरेंद्र मोदी एक चमत्कार ही है, जिन्होंने पिछले पांच वर्षों में देश की दिशा व दशा बदलना आरंभ किया। ऐसे अभूतपूर्व काम किए हैं, जो पहले कभी नहीं हुए। उन्हें हाल में मिला जबरदस्त जनसमर्थन इसीका द्योतक है। इसी कारण लोग कहते हैं- मोदी है तो मुमकिन है!
एक बंगाली कहावत है “सोरसे मोद्हे भूत , तहाले भूत केमोन भाग्बे”यानि सरसों की जड़ में सरसों का भूत है , तो भूत भागेगा कैसे ? यानि जब समस्या के मूल में ही समस्या है तो समस्या जायेगी कैसे?
गांधी जी की हत्या के पश्चात के प्रत्येक दशक में दस पांच बार गोएबल्स थियरी के ठेकेदारों ने ये प्रयास सतत किये हैं कि गांधीजी की हत्या को संघ के मत्थे मढ़ दिया जाए जिसमें वे हर बार असफल रहें हैं। अब देश भर में गांधी व गोड़से को लेकर नया विमर्श प्रारम्भ है, इस क्रम में ऐतिहासिक साक्ष्यों को पढ़ना आवश्यक हो जाता है।
दुर्योग ही है कि इस्लाम के धार्मिक स्थानों व प्रतीकों में जिस चांद को दिखाया जाता है उसे ही अजहर कहते हैं. अजहर मसूद यानि हंसता हुआ चांद !! किंतु इस अजहर मसूद में तो चांद जैसे कोई भी लक्षण न थे, यह तो शीतलता व मुस्कान से मीलों दूर पाप, आतंक, मार काट व भारत विरोध का पर्याय बन गया है.
स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस का वैचारिक आधार दरकने लगा और इसने अपना कोई वैचारिक स्त्रोत संगठन बनाने का प्रयास ही नहीं किया. तुर्रा ऊपर से ये रहा कि शनैः शनैः कांग्रेस ने वामपंथियों को अपना गुरु मानना प्रारंभ किया और बहुत शीघ्र ही उसने स्वयं को वामपंथ का वैचारिक पुत्र या मानस पुत्र ही मान लिया. कांग्रेस की नीति, रीति, चाल चलन, हाव भाव, अभिव्यक्ति सभी कुछ पर कम्युनिस्टों ने बड़ी चतुराई से अपना कब्जा जमा लिया और उसका डीएनए ही बदल दिया. आज की कांग्रेस स्वतंत्रता पूर्व की कांग्रेस से आमूल चूल अलग होकर शत प्रतिशत वामपंथी भूमिका में आ गई है.
“मैंने बड़े समीप से उन्हें देखा है। कब किस बात पर उनकी त्यौरियां चढ़ती-उतरती और कब उनकी आंखें अलग-अलग विषयों पर अलग अलग प्रकार से फैलतीं, सिकुड़ती व अलग-अलग आकार लेती हैं। उनकी आंखें ही सबकुछ मानो बोल देती थीं।”
नरेंद्र मोदी (नमो) सरकार ने चार वर्ष में बहुतेरे नवाचारों, संकल्पों, योजनाओं व विषयों को दिशा दी। सार रूप में इतना कहा जा सकता है कि यह सरकार भाजपा की राजनैतिक तो पूंजी है ही, हम भारतीयों के लिए भी नैतिक पूंजी बनने जा रही है। नमो केवल प्रधानमंत्री ही नहीं हैं, प्रेरणामंत्री भी हैं।