बेमिसाल भारतीय गहनें
भारतीय गहनों ने विकास का एक बहुत लंबा सफर तय किया है। लोगों की आवश्यकता के अनुसार नए-नए डिजाइन बाजार में आ रहे हैं, फिर भी पारंपरिक डिजाइन के गहनें आज भी अपने मनमोहक प्रभाव के कारण सबके आकर्षण का केन्द्र हैं।
भारतीय गहनों ने विकास का एक बहुत लंबा सफर तय किया है। लोगों की आवश्यकता के अनुसार नए-नए डिजाइन बाजार में आ रहे हैं, फिर भी पारंपरिक डिजाइन के गहनें आज भी अपने मनमोहक प्रभाव के कारण सबके आकर्षण का केन्द्र हैं।
ग्रामों में गौचर की व्यवस्था टूट जाने से पशुओं, पशुपालकों, समाज और सरकार के लिए समस्या उत्पन्न हो गई है। गौचर को पुनः स्थापित किया जाए तो सभी का लाभ होगा। समस्त महाजन पिछले 16 वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रही है। बहुत काम हुआ है, बहुत होना बाकी है।
भारतीय पाक कला ने अब अपना स्वरूप बदल दिया है। खाना बनाने की तकनीक, व्यंजनों में मिलाए जाने वाले पदार्थ, प्रस्तुति की तकनीक आदि बहुत कुछ बदला है और बदलता रहेगा। इससे भारतीय व्यंजनों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। प्रस्तुत है प्रसिद्ध शेफ पद्मश्री संजीव कपूर से हुई बातचीत के अंश-
मोदी सरकार के आने के बाद दिव्यांगों के लिए कानून पारित हुआ। उनका आरक्षण बढ़कर 4% हुआ। भले ही यह राज्य का विषय हो परंतु हर राज्य में दिव्यांगों की योजनाओं और उन पर अमल के लिए पुनरावलोकन किया गया। इतने बड़े पैमाने पर पहली बार ऐसा काम हुआ है। असल में ‘दिव्यांग’ शब्द भी मोदी की ही देन है। दिव्यांगों, उनकी समस्याओं, इस क्षेत्र में कार्य करनेवाली संस्थाओं आदि पर मुख्य आयुक्त दिव्यांगजन श्री कमलेश कुमारपाण्डेय से हुई बातचीत के महत्वपूर्ण अंश प्रस्तुत है-
गर्मी से तुरंत राहत देने वाले सॉफ्ट ड्रिंक्स, आइसक्रीम जैसी उन तमाम चीजों का इस्तेमाल बढ़ जाता है, जो हमारे शरीर के तापमान से ठंडी होती हैं। पर क्या आप जानते हैं कि इन सब खाद्य पदार्थों से भारीपन-एसिडिटी-डायरिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हम ऐसा खाएं जो सुपाच्य होने के साथ-साथ हमारे शरीर को पोषण भी प्रदान करें।
: भारत-बांग्लादेश की सीमा के करीब बसा मेघालय का मावल्यांग गांव भारत ही नहीं, एशिया का सब से स्वच्छ गांव माना जाता है। देश के अन्य गांव भी इससे सबक लें तो गांवों में गंदगी का वर्तमान साम्राज्य ही खत्म होगा और तब भारत स्वच्छ होने में देर नहीं लगेगी।
सोनाली जाधव हिंदी-मराठी साहित्यिक एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री गंगाधर ढोबले का ‘हरवलेलं गाव’ (गुम हो चुका गांव याने अंग्रेजी में The lost Village) मराठी कहानी संग्रह है. असल में ग्राम्य जीवन की दिल को छू लेनेवाली ये सत्यकथाएं हैं. भले काफी पहले ये कहानियां लिखी गई हों लेकिन वे आज भी उतनी ही तरोताजा है, आज भी अत्यंत जीवंत लगती हैं. सच है कि कहानी हमेशा ताजा होती है, कभी बासी नहीं होती. हालांकि लेखक का बचपन का वह गांव अब नहीं रहा; बहुत बदल चुका है. इस तरह वह गांव गुम हो चुका है; परंतु परिवर्तित गांव में भी वही पात
सचमुच हमारी ज़िन्दगी में एक सच्चा दोस्त होना बहुत आवश्यक है । दोस्ती ऐसी हो कि हमें पता है कि चाहे कोई भी परिस्थिति आ जाये, ये इंसान हमारा साथ नहीं छोड़ेगा। दोस्त तो कई होते हैं, लेकिन सच्चे अर्थों में बेस्ट फ्रेंड का कर्तव्य निभाने वाले बहुत कम होते हैं। क्या सभी दोस्त बेस्ट फ्रेंड्स हो सकते हैं? दोस्ती के बारे में जितना कहा जाए कम है । आजकल तो व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर पर दोस्ती के संदेशों की भरमार होती है । लेकिन आख़िरकार दोस्ती होती क्या है ? हमारे दिल में कई बातें होती हैं, कई जज़्बात होते हैं, जो हम
साल १९६६ के दूसरे पखवाड़े की बात है। दो साल पहले हुई नेहरू की मौत के बाद देश को बड़ी ही कुशलता से प्रगति के पथ पर ले जा रहे दूसरे प्रधान मंत्री लालबहादुर शास्त्री की तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) के ताशकंद में मौत हो चुकी थी। १९६२ के घावों पर मरहम लगाने वाला सप
बारिश का मौसम सुहाना तो होता है; लेकिन साथ में वह कई तरह की बीमारियां भी लाता है| अतः जरूरी है कि हम कुछ सावधानियां बरतें; ताकि प्रकृति का हम पूरा लुत्फ उठा सके|
श्रीमती सुमन तुलसियानी जैसा व्यक्तित्व समाज में एक मिसाल के रूप में देखा जा सकता है| उम्र के सात दशक के पड़ाव पर भी उनका उत्साह कायम है|