स्थिर पूर्वोत्तर : सक्षम सामरिक भारत -सुनील देवधर

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मेहनत, योग्य नेतृत्व तथा सुयोग्य नीति ने त्रिपुरा में भाजपा को अभूतपूर्व विजयश्री दिलाई। सब साथ आ गए और विजय रथ निकला पड़। इसलिए असल में यह कम्युनिस्टों के शासन से आजीज त्रिपुरा की जनता की विजय है। अब देश कांग्रेस से ही नहीं, कम्युनिस्टों से भी मुक्त होना ही है। प्रस्तुत है त्रिपुरा विजय के शिल्पकार सुनील देवधर के साक्षात्कार के उल्लेखनीय अंश।

सेवा की नई दिशा देता ‘वयम्’ आंदोलन

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‘वयम्’ यानी स्वयं के विकास का आंदोलन| यह पौधा सन २००८ में मिलिंद थत्ते, दीपाली गोगटे और उनके कुछ मित्रों ने लगाया| गांवों में इस आंदोलन ने सेवा की नई दिशा दी है| बच्चे और बालिग दोनों स्वयं सेवा का आदर्श अपना रहे हैं|

‘निर्मल ग्राम निर्माण केंद्र’स्वच्छता की ठोस पहल

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{H$ सी भी राष्ट्र के निर्माण व उसकी प्रगति में तमाम अन्य विकल्पों के साथ ही साथ सफाई का बहुत बड़ा योगदान होता है। स्वच्छता न केवल लोगों को बीमारियों से बचाती है बल्कि बाहर से आने वाले लोगों के मन में उस राष्ट्र विशेष के प्रति एक सकारात्मक भाव भी पैदा करती है।

हिंदू संस्कृति और पर्यावरण

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हिंदुत्व में हर व्याधि का समाधान दे सकने वाली शक्ति और क्षमता है परंतु इसके लिए पहले हम हिंदुओं को उस जीवन दर्शन के अनुसार जीना होगा। दुनिया का पथ प्रदर्शन करना अतीत में भी हमारा पावन कर्तव्य रहा है और हर परिस्थिति में हमें वही कार्य करना है ताकि निकट भविष्य में विश्‍व पर्यावरण का संकट टाला जा सके।

“विवेक संवाद” की संगोष्ठी में “टेक ए बिग लीप” पर विचार मंथन

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देश की चौतरफा प्रगति तथा भौतिक और सामाजिक विकास केवल पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय और भारतीय संस्कृति पर आधारित विचारों से ही संभव है। ’ उक्त विचार केंद्रीय सड़क परिवहन व नौवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी ने २८ जून को ‘विवेक स

आद्य प्रचारक मोरुभाऊ

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संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार द्वारा महाराष्ट्र के बाहर भेजे गए तीन प्रचारकों में से मोरुभाऊ मुंजे एक थे। उन्होंने संघ में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। उनका कार्य आज भी स्वयंसेवकों के लिए एक मिसाल है। मोरेश्वर राघव उपाख्य मोरुभाऊ मुंजे को पूजनीय डॉ.

 डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी कश्मीर के लिए बलिदान

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श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में ६ जुलाई १९०१ को हुआ था| उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बंगाल के एक जाने-माने वकील थे, जो कालांतर में कोलकाता विश्‍वविद्यालय के कुलपति बने| उनकी माता का नाम था योजमाया देवी मुखर्जी| जिनकी साधना का चरम उत्कर्ष था कि उन्होंने ऐसे पुत्ररत्न को जन्म दिया, जिसने देश की अखण्डता के लिए आत्माहुति दे दी|

यादें बीते हुए साल की….

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जनवरी माह से शुरू होने वाले नए वर्ष में सब से पहले आनेवाला त्यौहार होता है मकर संक्रमण। संक्रमण शब्द का अर्थ है परिवर्तन, आगे बढ़ना या अपनी स्थिति बदलना। और अगर साल की शुरुआत ही परिवर्तन से हो तो स्वाभाविक है कि यह दौर साल के अंत तक चलता है। विगत वर्ष अर

 अपंग कल्याणकारी शिक्षण संस्था का  हीरक महोत्सव

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अपंग कल्याणकारी शिक्षण संस्था व संशोधन केंद्र वानवडी, पुणे    का ६०वां स्थापना दिवस हाल ही में मनाया गया| संस्था ने नवम्बर २०१६ से दिसम्बर २०१७ यह वर्ष हीरक महोत्सव वर्ष के रूप में मनाने का निश्‍चय किया है|

लगन और निष्ठा की मिसाल – जयवंतीबेन

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गांधीजी ने कहा था-जब कोई स्त्री किसी काम में जी-जान से लग जाती है तो उसके लिए कुछ भी नामुमकीन नहीं होता। इसी हकीकत को बयां करता है जयवंतीबेन मेहता का जीवन। उन्होंने जो ठाना वह करके ही दम लिया। सीमित साधनों और सामाजिक बाध्यताओं के बावजूद राजनीति के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई। अपने मजबूत इरादों की बदौलत उन्होंने न सिर्फ अपने जीवन को नई दिशा दी बल्कि दूसरों के लिए भी मिसाल बनीं।

आर्थिक क्रांति का प्रारंभ

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ऐसा लग रहा है कि स्वाधीनता के ६९ वर्ष बाद भारत के इतिहास में वास्तविक अर्थ में आर्थिक सुधारों और क्रांति का पर्व आरंभ हो चुका है। इसकी साक्ष्य है मोदी सरकार का एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम। ५०० और १००० रु. के नोटों का निर्मौद्रिकरण कर के उन्हें रद्द कर देना।

 गतिशील गांव उन्नत भारत

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 म.गांधीजी केवल अतीत के ही नहीं वरन् भविष्य के भी मार्गदर्शक हैं| उनके संदेश अमर हैं एवं वे तब तक रहेंगे जब तक सूर्य चमकता रहेगा| महात्मा गांधी के दृष्टिकोण पर रिजवान आडतिया फाउंडेशन गहरी निष्ठा रखता है जो मनुष्य को उसकी अंतरात्मा में झांकने की दृष्टि देता है|

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