पद्मश्री हुंडराज दुखयाल

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हुंडराज लीलाराम माणिक का जन्म 16 जनवरी 1910 में सिंध के लारकाना प्रांत में हुआ। उनके पिता लीलाराम अत्यंत साधु आदमी थे और उनका हुंडराज पर गहरा प्रभाव था।

सिंधी समाज के सांस्कृतिक दूत प्रो. राम पंजवानी

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प्रो. राम पंजवानी जी दादा राम पंजवानी के रूप में आदरपूर्वक उल्लेख किया जाता है। दादा राम पंजवानी का जन्म सिंध के लारकाना में 20 नवम्बर ???? को वहां के एक मशहूर जमींदार परिवार में हुआ।

फिल्मों में भी नाम कमाया सिंधियों ने

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अनेक भाषाओं में फिल्म का निर्माण और अनेक धर्म, भाषा, पंथ और जातियों का हिंदी फिल्मों में सहभाग यही हमारे फिल्म उद्योग की खासियत है। हमारे फिल्म उद्योग की सौ सालों की यात्रा में मराठी, बंगाली, कन्नड़, तमिल, तेलगु, मलयालम, भोजपुरी, अंग्रेजी, पंजाबी, गुजराती जैसी प्रमुख भाषाओं के साथ ही तुलु, कोंकणी, सिंधी जैसी बोली भाषाओं में भी फिल्मों का निर्माण हो रहा है।

सिंधी समाज के प्रमुख संत

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सम्पूर्ण सृष्टि के रचयिता परम पिता परमात्मा अपनी सर्वश्रेष्ठ कृति मानव को नर से नारायण बनाने के लिए, श्रेष्ठ मुक्तिदायी मार्ग पर चलाने के लिए मार्गदर्शक के रूप में संतों/महात्माओं को इस धरती पर भेजते हैं। ये पूज्य संत प्रभु संदेश के वाहक हैं। वे परमात्मा के देवदूत हैं।

कर्मठता के प्रतीक हशू अडवाणी

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हशू जी का पूरा नाम था हशू पसराम अडवाणी। उनका जन्म सिंध प्रांत के हैदराबाद में (वर्तमान में पाकिस्तान में) 22 फरवरी 1926 को हुआ। 1940 के आसपास संघ-कार्य सिंध प्रांत में तेजी से बढ़ रहा था। हशू जी 1942 में संघ शाखा में प्रविष्ट हुए और दो वर्ष में ही, 1944 में, संघ के प्रचारक बन गए।

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