नवी मुंबई में संघयात्रा

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नवी मुंबई शहर के आर्थिक विकास एवं वहां के नागरिकों के आत्मिक विकास में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की महती भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। संघ ने समाज एवं राष्ट्र के प्रत्येक अंग को अपने में समेटा है, इसीलिए यहां की संघ शाखाओं में लघु भारत के दर्शन होते हैं।

5 दशकों में संघ का योगदान

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जब नवी मुंबई शहर पूरी तरह से गांव था तब अप्पासाहेब मुकादम ने वहां पर संघ की अलख जगाई। वर्तमान में वहां पर हर नोड में संघ की शाखाएं एवं अन्य प्रकल्प कर्तव्यपथ पर अग्रसर हैं।

मदनदासजी के कर्म मंत्र को आगे बढ़ाए – डॉ. मोहनजी भागवत

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मदनदासजी ने अपने सम्पर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को विचारों एवं आंतरिक स्नेह से प्रेरित कर किसी न किसी प्रकार के सामाजिक कार्य में सक्रिय करने का महान कार्य किया। उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं पर अमल करना और कार्य को बढ़ाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। आइए, मदनदासजी द्वारा दिए गए कार्य मंत्र के अनुरूप काम को आगे बढ़ाएं।

रामचंद्र जोरापुरकर को ‘संचालक समाज सेवा पुरस्कार’

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मेक इन इंडिया उपक्रम को सफल बनाने के लिए उल्लेखनीय सहयोग देने वाले उद्यमी त्रिकाया कॉटिंग्ज प्रा. लि. के संचालक एवं पोयसर जिमखाना के पूर्व ट्रस्टी रामचंद्र जोरापुरकर को आज ‘संचालक समाज सेवा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया. भोसला मिलिटरी कैम्प के डॉ. मुंजे इंस्टीट्यूट के सभागार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघचालक विजय राव कदम की विशेष उपस्थिति में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया.

संघ के समर्पित प्रचारक मदनदास देवी जी का परलोकगमन

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मा. मदनदासजी मूलत: महाराष्ट्र के करमाळा गांव, जिला सोलापूर के थे। शालेय शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा हेतु आप पुणे के प्रसिद्ध BMCC कॉलेज में 1959 में प्रवेश लिया। M.Com के बाद ILS Law कॉलेज से गोल्ड मेडल के साथ LLB किया। बाद में CA किया। पुणे में पढ़ाई के दौरान वरिष्ठ बंधू श्री खुशालदास देवी की प्रेरणा से संघ से संपर्क आया। 1964 से मुंबई में आप ने अभाविप कार्य प्रारंभ किया। 1966 में अभाविप मुंबई के मंत्री हुए। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कर्णावती राष्ट्रीय अधिवेशन ( सन् 1968 ई.) में माननीय मदनदास जी की पूर्णकालिक कार्यकर्ता व पश्चिमांचल क्षेत्रीय संगठन मंत्री के दायित्व की घोषणा हुई। तथा 1970 के तिरुअनंथपुरम अधिवेशन में राष्ट्रीय संगठन मंत्री का गुरूतर दायित्व आपने संभाला।

राष्ट्र सेविका समिति की संस्थापिका लक्ष्मीबाई केळकर  

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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारत और पाकीस्तान के विभाजन का निर्णय हुआl महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की तो कोई परिसीमा  ही नहीं थीl  सिंध प्रांत भारत से विभाजित होनेवाला थाl  वहाँ के माता बहनों की मौसीजी को बहुत चिंता थीl  इसी समय कराची से मा.जेठाबहेन के आये हुये भावनापुर्ण पत्र से मौसीजी आत्यंतिक व्यथित हो गयी और वेणुताई कळंबकर के साथ अत्यंत विपरित परिस्थिती में विमान से कराची गयीl  वहाँ पर तो पाकिस्तान का मदोन्मत्त स्वतंत्रता उत्सव मनाया जा रहा थाl ऐसे अत्यंत विकट परिस्थिती मे १२०० राष्ट्राभिमानी सेविकाओं का और मौसीजी का अनोखा राष्ट्रभावपूर्ण एकत्रिकरण हो रहा था! उस रात भगवे ध्वज को साक्षी रखकर अपने स्त्रीत्व की रक्षा करने की एवं भारतभू की सेवा आमरण करने की प्रतिज्ञा मौसीजी के सामने लीl  और विभाजन के बाद इन सभी सेविकाओं की भारत मे अनेक स्थानों पर रहने की व्यवस्था मौसीजी ने कीl विपरीत परिस्थिती मे संगठन का अत्याधिक महत्व होता है ये प्रतिपादीत करने के लिये वं. मौसीजी सेविकाओं को यह सिंध का हृदयस्पर्शी उदाहरण देती थीl

उदयपुर में जनजाति समाज की हुंकार डीलिस्टिंग महारैली

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जो व्यक्ति अपने पूर्वजों की आस्था, संस्कृति, परम्परा, भाषा, व्यवहार छोड़कर अन्य धर्म में जा रहा है, तब उसे जनजाति के रूप में प्रदत्त अधिकार भी छोड़ना ही चाहिए क्योंकि उसे जनजाति होने का अधिकार उसके पूर्वजों और उसकी संस्कृति के आधार पर ही मिला है। इसी आधार पर संविधान में एससी के लिए आर्टिकल 341 में प्रावधान है, लेकिन यह बात एसटी के लिए आर्टिकल 342 में नहीं लिखी गई। इसका फायदा धर्मान्तरण कराने वाली ताकतें उठा रही हैं। धर्मान्तरण जनजाति समाज की संस्कृति को खत्म करने का षड़यंत्र है। धर्मान्तरण राष्ट्र के लिए भी खतरा है। धर्म बदलने वाले अपनी चतुराई से दोहरा लाभ उठा रहे हैं, जबकि मूल आदिवासी अपनी ही मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहा है।

आपातकाल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

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आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे विवादास्पद एवं अलोकतांत्रिक काल कहा जाता है। आपातकाल को 48 वर्ष बीत चुके हैं, परन्तु हर वर्ष जून मास आते ही इसका स्मरण ताजा हो जाता है। इसके साथ ही आपातकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका भी स्मरण हो जाती है। संघ ने आपातकाल का…

 डॉ. भागवत के भाषण पर विवाद का कारण नहीं

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डॉक्टर भागवत के पूरे भाषण की थीम यही है कि आपके मतभेद होंगे लेकिन देश के द हित का ध्यान रखेंगे तो यह अपने आप कम हो जाएंगे और इसकी कोशिश हर भारतीय को करते रहनी चाहिए। इसमें सबसे नकारात्मक भूमिका किसी व्यक्ति या समुदाय में प्रभावी संगठनों या सरकारों को लेकर भय के मनोविज्ञान का है। अगर किसी समाज के अंदर अपने देश की व्यवस्था, यहां के बड़े संगठनों , सरकारों या किसी समुदाय को लेकर भय और गुस्सा पैदा कर दिया गया तो उस समूह में राष्ट्रवाद का भाव हाशिए पर चला जाता है। देश के नेताओं, एक्टिविस्टो एवं मीडिया के कुछ पुरोधा बार-बार यही डर पैदा कर रहे हैं। ऐसे लोगों का केवल विरोध करना पर्याप्त नहीं है। इसके समानांतर व्यापक सकारात्मक परिदृश्य एवं उनको सहमत कराने योग्य तथ्यों एवं विचारों को लगातार अभिव्यक्त करते रहना आवश्यक है।

श्री जयंत सहस्रबुद्धे का देहावसान

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भारत में विज्ञान के प्रचार प्रसार और विशेषत: भारतीय विज्ञान परम्परा के निर्वहन के आग्रह हेतु उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। विज्ञान संचार के क्षेत्र में श्री जयंत सहस्त्रबुद्धे जी ने बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य किया। वे समाज जीवन में वैज्ञानिक चेतना पैदा करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे। उनकी सहज, आत्मीय और बौद्धिक स्मृति हमेशा हमें संबल देती रहेगी। ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति और सद्गति प्रदान करें, हिंदी विवेक परिवार की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि। ऊं शांति, शांति शांति:

रा.स्व.संघ की प्रार्थना के 83 वर्ष पूर्ण

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नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि।  18.05.1940 के दिन पहली बार यह प्रार्थना संध की नागपूर स्थित शाखा में यादवराव जोशी ने मुक्त कंठ से गाया। इस प्रार्थना के लेखक (रचनाकार) नरहर नारायण भीडे थे। संघ की प्रार्थना का हिन्दी में अनुवाद पढिये और सोचिये कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भारत माता…

दिव्यांग सामूहिक विवाह का पुणे में आयोजन

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सक्षम पुणे महानगर और दिव्यांग कल्याणकारी शिक्षण संस्था व वैद्यकीय संशोधन केंद्र, वानवडी की पहल पर, वानवडी में संस्थान के परिसर में दिव्यांगों का सामुदायिक विवाह समारोह आयोजित किया गया। दिव्यांग कल्याणकारी संस्था के अध्यक्ष, पूर्व सांसद प्रदीप रावत, उद्यमी पुनीत बालन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत सेवा प्रमुख…

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