भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अमृत काल

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राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण गर्व का क्षण है, लेकिन इन क्षणों में इस पर भी विचार किया जाना चाहिए कि हिंदू समाज को किन कारणों से विदेशी हमलावरों के अत्याचार और उनकी गुलामी का सामना करना पड़ा. निस्संदेह हिंदू समाज के एकजुट न होने के कारण विदेशी हमलावरों ने फायदा उठाया. यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि भेदभाव और छुआछूत हिंदू समाज को कमजोर करने का एक बड़ा कारण बना। अब जब समाज के हर तबके को अपनाने वाले भगवान राम के नाम का मंदिर बनने जा रहा है तब सभी का यह दायित्व बनता है कि वे पूरे हिंदू समाज को जोड़ने और उनके बीच की बची-खुची कुरीतियों को खत्म करने पर विशेष ध्यान दें। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अयोध्या एक ऐसा केंद्र बने जो भारतीय समाज को आदर्श रूप में स्थापित करने में सहायक बने।

हिंदी विवेक कार्यालय में पधारे समाजसेवी सुधीर भाई गोयल

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मध्य प्रदेश उज्जैन स्थित सेवाधाम आश्रम के प्रमुख सुधीर भाई गोयल मुंबई प्रवास के दौरान हिंदी विवेक कार्यालय में भी पधारे और हिंदी विवेक की टीम के साथ मुलाकात की. हिंदी विवेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर ने शोल ओढ़ाकर उनका स्वागत सम्मान किया और उनके उल्लेखनीय कार्यो से सभी को अवगत कराया. इसके बाद हिंदी विवेक की कार्यकारी सम्पादक पल्लवी अनवेकर ने हिंदी विवेक द्वारा प्रकाशित ‘सशक्त नेतृत्व, समर्थ भारत’ ग्रन्थ उन्हें भेंट स्वरूप प्रदान किया. अमोल पेडणेकर ने ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक विशाल संगठन’ नामक पुस्तक तथा ‘राम मंदिर अस्मिता से वैश्विक धरोहर तक’ विशेषांक उपहार के रूप में देकर वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता को अधोरेखित किया.

रामलला के पटवारी चम्पतराय

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बाबरी ध्वंस से पूर्व से ही चंपत राय  ने राम मंदिर पर "डॉक्यूमेंटल एविडेंस" जुटाने प्रारम्भ किये। लाखों पेज के डॉक्यूमेंट पढ़े और सहेजे, एक एक ग्रंथ पढ़ा और संभाला, उनका घर इन कागजातों से भर गया, साथ ही हर जानकारी उंन्हे कंठस्थ भी हो गई। के. परासरण जी और अन्य साथी वकील जब जन्मभूमि की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरे तो उन्हें अकाट्य सबूत देने वाले यही व्यक्ति थे।

अक्षत वितरण महा अभियान 1 जनवरी से 15 जनवरी 2024

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सब की इच्छा है 22 को अयोध्या जाए परन्तु सम्भव नही है। अयोध्या छोटी है, भौगोलिक क्षेत्र कम है इसलिए कहा गया  'मेरा गांव मेरी अयोध्या', 'मेरे गाव का मंदिर यही जन्म भूमि का मंदिर' यह भाव जगाना इस उद्देश्य से जन्म भूमि पर पूजित अक्षत घर-घर देना। अपने यहां अक्षत का अति महत्व है विवाह प्रसंग हो अथवा कोई मांगलिक प्रसंग हो अक्षत देकर ही आमंत्रण देने की परम्परा है।

भाजपा में सामान्य कार्यकर्ताओं को नेतृत्व की कमान

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म.प्र. , छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नेतृत्व को लेकर हुए निर्णयों के बाद भाजपा की उस कथनी पर एक बार फिर मुहर लग गई है जिसे भाजपा 'पार्टी विथ डिफरेंस ' कहती है । इस आधार पर भाजपा वर्तमान राजनीति में आदर्श प्रस्तुत करती है कि - उसके लिए विचार निष्ठा और कार्यकर्ता सर्वोपरि होता है । इसी कारण से भाजपा में सामान्य कार्यकर्ता भी सर्वोच्च दायित्वों/ पदों पर पहुंच सकता है। विष्णुदेव साय, डॉ.मोहन यादव और भजन लाल शर्मा - ये तीनों वे लोग थे जो संगठन में वर्षों से वैचारिक प्रतिबद्धता के साथ काम करते आ रहे थे । इन्हें जब जो दायित्व भाजपा और संगठन ने दिए । ये उसमें खरे उतरे। इसी का सुफल है कि इन्हें मुख्यमंत्री के रूप में चुनकर तीनों प्रदेशों की कमान दी गई । भाजपा ने इसके यह भी संदेश देने का काम किया है कि - नई नेतृत्व परम्परा, संगठन सर्वोपरि, समन्वय , पूर्ण वैचारिक निष्ठा के साथ नए नेतृत्व के साथ भाजपा सरकारें काम करेंगी।

आदर्श स्वयंसेवक प्रतिनिधि विलास मेस्त्री

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हिंदी विवेक परिवार के सदस्य वसई-विरार के प्रतिनिधि विलास मेस्त्री का 15 दिसम्बर २०२३ को 75वां जन्मदिवस है. विवेक पत्रिका को आर्थिक साहयोग देने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस उपलक्ष्य में उनकी प्रेरक एवं आदर्श जीवन यात्रा का दर्शन इस लेख में दृष्टिगोचर होगा.

संघ जागरण का स्वाभाविक परिणाम

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राष्ट्रीय एवं सामाजिक प्रेरणा से जागृत होकर गोवा के विभिन्न क्षेत्रों में रा. स्व. संघ द्वारा सेवा कार्यों का जाल विस्तार से बुना गया, जिसका सकारात्मक परिणाम समाज के विभिन्न क्षेत्र में महसूस हो रहा है।

पूर्वोत्तर में अरूणोदय अवश्य होगा– राज्यपाल पद्मनाभ आचार्य

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हिंदी विवेक द्वारा सन २०१५ में प्रकाशित 'अष्टलक्ष्मी पूर्वोत्तर' दीपावली विशेषांक में तत्कालीन राज्यपाल मा. पद्मनाभ आचार्य जी का साक्षात्कार लिया गया था जिसमें पूर्वोत्तर की तत्कालीन परिस्थिति, वहां की नैसर्गिक सम्पदा तथा वहां के समस्याओं के बारे में उनकी चिंता एवं चिंतन प्रस्तुत हुआ हैं.

शताब्दी वर्ष को लेकर समाज भी उत्सुक

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संघ स्वयंसेवक समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यरत हैं। प्रत्येक स्वयंसेवक समाज परिवर्तन के लिए स्वयं को सक्रिय करें और संघ कार्य को पूर्णत्व की ओर ले जाए, यही संघ का शताब्दी उत्सव मनाने का उत्तम पर्याय है।

वरिष्ठ स्वयंसेवक मोहनराव ढवळीकर जी का देहांत

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रा. स्व. संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक मोहनराव ढवळीकर (आयु 72) का बीते दिनों पुणे में देहांत हो गया। नवी मुंबई के वासी स्थित शमशानभूमि में उनका अंतिम संस्कार किया गया। चेंबूर-नवी मुंबई में लम्बे समय तक उन्होंने संघकार्य किया। ठाणे जिला कार्यवाह, ठाणे विभाग कार्यकारिणी सदस्य आदि अनेक दायित्व का…

नवी मुंबई में संघयात्रा

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नवी मुंबई शहर के आर्थिक विकास एवं वहां के नागरिकों के आत्मिक विकास में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की महती भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। संघ ने समाज एवं राष्ट्र के प्रत्येक अंग को अपने में समेटा है, इसीलिए यहां की संघ शाखाओं में लघु भारत के दर्शन होते हैं।

5 दशकों में संघ का योगदान

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जब नवी मुंबई शहर पूरी तरह से गांव था तब अप्पासाहेब मुकादम ने वहां पर संघ की अलख जगाई। वर्तमान में वहां पर हर नोड में संघ की शाखाएं एवं अन्य प्रकल्प कर्तव्यपथ पर अग्रसर हैं।

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