सेवा और विवेक
सेवा ऐसा शब्द है, जिसकी व्यापित अनंत है। ईश्वर भी अनंत है। इसलिए दोनों अनंतों का मेल ही ईशसेवा है। वस्तुत: दोनों शब्दों को फृथक मानना भी ठीक नहीं होगा।
सेवा ऐसा शब्द है, जिसकी व्यापित अनंत है। ईश्वर भी अनंत है। इसलिए दोनों अनंतों का मेल ही ईशसेवा है। वस्तुत: दोनों शब्दों को फृथक मानना भी ठीक नहीं होगा।
‘माय होम इंडिया’ स्वयंसेवी संस्था है, जिसका संकल्प पूर्वोत्तर भारत और शेष भारत के बीच पारस्परिक भाईचारे और अपनत्व की भावना को और सशक्त बनाना है।
महाराष्ट्र के तटवर्ती इलाकों में बसा है ठाणे जिला। इस जिले का नाम सामने आते ही ग्रामीण वनवासी इलाका याद आ जाता है। मुंबई जैसा महानगर करीब होते हुए भी जिले के वनवासी, गरीब ग्रामीण कष्टों से भरा जीवन जीने को बाध्य है।
विनियोग परिवार जीवदया, जीवरक्षा, संस्कृति रक्षा के कार्य में पिछले 19 वर्षों से निरंतर संलग्न है। उनके प्रयत्नों से ही गोरक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम हुआ और कई राज्यों में गोरक्षा कानून बने। अन्य जीवों की रक्षा के भी प्रयास सतत चलते रहते हैं। वे संस्कृति की रक्षा के लिए भोगवादी संस्कृति के प्रति समाज जागरण में भी लगे हैं। विनियोग परिवार के अध्यक्ष श्री राजेंद्र जोशी के साथ हुई बातचीत के महत्वपूर्ण अंश:
स्वामी विवेकानन्द का जीवन कार्य, जिसको पूरा करने के लिए ही वे अमरिका गये थे और जिसे पूरा करने की एक कार्य योजना उनके मन में उभर रही थी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य और लौकिक रूप से जिसे ‘सेवा कार्य’ कहा जाता है, ये दो बातें पृथक मानना ठीक नहीं है। क्या अपने राष्ट्र के पोषण और संरक्षण के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता की मनुष्यशक्ति खड़ी करना सेवा कार्य नहीं है? सब से मौलिक तरह का यह सेवा कार्य संघ पिछले 86 वर्षों से निरंतर कर रहा है।
गुजरात की प्रसिध्द सामाजिक सांस्कृतिक संस्था मसमस्त महाजनफ ने सामाजिक, सांस्कृतिक और मूल्याधारित शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम किया है। जीवदया और गोसेवा के क्षेत्र में संस्था का अतुल्य काम है। संस्था के कार्यों पर संस्थापक योगेश शाह से हुई भेंटवार्ता के कुछ महत्वपूर्ण अंश पेश हैं-