के. जी. बालकृष्ण आयोग : विचारों का क्रियान्वयन

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बाबासाहेब ने हिंदू दलितों के उत्थान और उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए आरक्षण का प्रावधान दिया लेकिन उसका लाभ उसके मूल वर्ग को मिलने की बजाय उन्हें मिल रहा है जो अन्य धर्मों में मतांतरण कर चुके हैं। के. जी. बालकृष्ण आयोग उन्हें उनका खोया अधिकार…

पुनर्विचार करे दलित युवा

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बाबा साहेब ने संविधान में देश के हर व्यक्ति के उत्थान को महत्व दिया। हजारों वर्षों से दबे-कुचले दलित समाज को आगे बढ़ने के लिए विशेष अधिकार दिलवाए लेकिन दलित समाज में आगे चलकर ऐसे अगुआ बहुत कम हुए जो उनकी शिक्षा पर ध्यान दे सकें, बल्कि अधिकतर लोग उनके…

पंजाब में दलित देवों भव

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बीजेपी की राजनीति को भांप कर सबसे पहले कांग्रेस और बाद में अकाली दल और अब आम आदमी पार्टी ने भी पंजाब में अपनी रणनीति में आमूलचूल परिवर्तन की घोषणा की है। धनाढ्य जाट सिख वोट बैंक के सामने दलित सिख और हिन्दू वोट बैंक के गठजोड़ ने पंजाब की पुश्तैनी सियासत का मिजाज और चेहरा पूरी तरीके से बदल दिया है।

स्वायत्त बहुजन राजनीति और कांशीराम की विरासत..

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क्या देश की संसदीय राजनीति में 'स्वायत्त दलित राजनीतिक अवधारणा' के दिन लद रहे है या राष्ट्रीय दलों में  दलित प्रतिनिधित्व की  नई राजनीति इसे विस्थापित कर रही है।कांग्रेस एवं भाजपा जैसे दलों में दलित नुमाइंदगी प्रतीकात्मक होने के आरोप के  साथ बहुजन राजनीति की शुरुआत हुई थी। बड़ा सवाल…

दलित नेतृत्व का अभाव

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पिछले दिनों राहुल गांधी ने कहा था कि मायावती किसी दलित नेता को उभरने नहीं देती हैं। उन्होंने सच कहा था। इसका स्वागत किया जाना चाहिए कि उन्हें दलितों की चिंता है। वास्तव में देश में दलित नेताओं का अभाव है।

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