भारत में बसंतोत्सव – तन रंग लो जी मन रंग लो

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आज बिरज में होरी रे रसिया, आज बिरज में होरी रे रसिया कौन के हाथ कनक पिचकारी, कौन के हाथ कमोरी रे रसिया। कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी, राधा के हाथ कमोरी रे रसिया। होली के दिनों में यह गीत होली का एक प्रतीक गीत बन जाता है। होलिका दहन…

भारत में बसंतोत्सव – समरसता और लोकमंगल पर्व

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होली एक लोक उत्सव है जिसमे प्रकृति भी शामिल होती है। बसंत ऋतु की मादकता सर्वत्र दिखाई देती है। यह ऋतु मनुष्य के व्यवहार में आये अहंकार को भी तोड़ती है। कोई शिष्ट नही होता कोई विशिष्ट नही होता। यह बसंतोत्सव और विशेषत: होली की विशेषता होती है। गांवों में…

रंग बरसे

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फिराक, गैंग्स ऑफ वासेपुर, भाग मिल्खा भाग, मद्रास कैफे, स्पेशल छब्बीस जैसी फिल्मों के द्वारा हिंदी सिनेमा कितने भी अलग मोड़ ले लें, परंतु वह अपनी परम्परागत विशेषताएं छोड़ देगा ऐसा नहीं लगता है।

ब्रज की होली

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ब्रज में होली की मस्ती में धुलेंडी से लेकर चैत्र कृष्ण दशमी तक जगह- जगह चरकुला नृत्य, हल नृत्य, हुक्का नृत्य, चांभर नृत्य एवं झूला नृत्य आदि अत्यंत मनोहारी नृत्य भी होते हैं। चैत्र कृष्ण तृतीया से लेकर चैत्र कृष्ण दशमी तक निरंतर सात दिनों तक ब्रज के प्रायः समस्त मंदिरों में फूलडोल की छटा छाई रहती है।

होली आई रे…..

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हिंदी फिल्मों में होली के ये रंग चौतरफा है। ‘फैशन की दुनिया’ को भी अब रैम्प पर होली मनानी चाहिए और होली के रंगों से सने डिजाइनर कपड़े बाजार में लाने चाहिए। यह मनोरंजन की दुनिया में अगला कदम माना जाएगा!

होली के सप्तरंगी नुस्खे

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वसन्त आते ही मन ‘फागुन-फागुन’ होने लगता है। प्रकृति की एक-एक रचना में उल्लास फूट पड़ता है और रंग-गुलाल से सराबोर अंग-अंग दमकने लगता है। मन्सारा भी इन दिनों ‘फाग का राग’ छेड़ते, बालों में चमेली का तेल डाले वसन्ती बयार में निमग्न थे। आज सुबह से तो कुछ और ही खुले-खुले से लग रहे थे।

होली और बदलते संदर्भ

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परिवर्तन संसार का शास्वत नियम है। परिवर्तन के साथ संदर्भ भी बदल जाते हैं। होली के भी संदर्भ बदलते हैं। मगर ‘बुराई पर अच्छाई की जीत’ होली की ये जो मूल भावना है इसे हमें बचाना है, इसे जन-जन तक, मन-मन तक पहुंचाना है।

रसिक छैल नन्द कौ री नैनन में होरी खेलै

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ब्रज में बड़ी ही रस भरी तथा रंग भरी होली खेली जाती है। इसका बड़ी ही तन्मयता से अपने आराध्य को रिझाने में ब्रज के भक्त कवियों ने वर्णन किया है। अष्टछाप के सभी कवियों ने भी अपने आराध्य श्यामसुन्दर से अन्तरंग होली खेली है।

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