स्वामी विवेकानन्द जी की राष्ट्रीय प्रेरणा

Continue Readingस्वामी विवेकानन्द जी की राष्ट्रीय प्रेरणा

सन १८६३ के प्रारंभ में, १२ जनवरी को स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ हैं. उस समय देश की परिस्थिति कैसी थी? १८५७ के क्रन्तियुध्द की ज्वालाएं बुझ रही थी. यह युध्द छापामार शैली में लगभग १८५९ तक चला. अर्थात स्वामी विवेकानंद के जन्म के लगभग ४ वर्ष पहले तक. इस…

अंतरात्मा की पुकार अनसुनी न करें

Continue Readingअंतरात्मा की पुकार अनसुनी न करें

मनुष्य में जहाँ तक शारीरिक - मानसिक स्तर की अनेक विशेषताएँ हैं, वहीं उसकी वरिष्ठता इस आधार पर भी है कि उसमें "अंतरात्मा" कहा जाने वाला एक विशेष तत्व पाया जाता है। उसमें "उत्कृष्टता" का समर्थन और "निकृष्टता का विरोध करने की ऐसी क्षमता है जो अन्य किसी प्राणी में…

तेरा विश्वास शक्ति बने, याचना नही

Continue Readingतेरा विश्वास शक्ति बने, याचना नही

हे प्रभो! मेरी केवल एक ही कामना है कि मैं संकटों से डर कर भागूँ नहीं, उनका सामना करूँ। इसलिए मेरी यह प्रार्थना नहीं है कि संकट के समय तुम मेरी रक्षा करो बल्कि मैं तो इतना ही चाहता हूँ कि तुम उनसे जूझने का बल दो। मैं यह भी…

जयंती विशेष : राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज

Continue Readingजयंती विशेष : राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज

23 जुलाई, 1955 को जापान के विश्व धर्म सम्मेलन में एक संन्यासी जब बोलने खड़े हुए, तो भाषा न समझते हुए भी उनके चेहरे के भाव और कीर्तन के मधुर स्वर ने वह समां बांधा कि श्रोता मन्त्रमुग्ध हो उठे। लोगों को भावरस में डुबोने वाले वे महानुभाव थे राष्ट्रसंत…

करुणा की देवी श्री श्री मां आनंदमयी

Continue Readingकरुणा की देवी श्री श्री मां आनंदमयी

भक्ति, प्रेम और करुणा की त्रिवेणी श्री श्री मां आनंदमयी एक महान आध्यात्मिक विभूति थीं। उनका जन्म 30 अपै्रल, 1896 (वैशाख पूर्णिमा) को त्रिपुरा के खेड़ा ग्राम में अपनी ननिहाल में हुआ था। अब यह गांव बांग्लादेश में है।  उनका बचपन का नाम निर्मला सुंदरी था। उनके पिता श्री विपिन…

बिंब-प्रतिबिंब 

Continue Readingबिंब-प्रतिबिंब 

‘बिंब-प्रतिबिंब’ स्वामी विवेकानंद जी के जीवन पर आधारित आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया एक उपन्यास है, जो मराठी के वरिष्ठ और चिर-परिचित लेखक चंद्रकांत खोत की समृद्ध लेखनी से साकार हुआ है। नब्बे के दशक में धूम मचानेवाले इस उपन्यास की उस दौर में खूब बिक्री हुई और मराठी के साहित्यकारों ने इसकी जमकर तारीफ की।

शिव-समर्थ योग प्रदाता पुस्तक

Continue Readingशिव-समर्थ योग प्रदाता पुस्तक

‘राष्ट्रगुरु समर्थ रामदास और छत्रपति शिवाजी महाराज’ मराठी के जाने माने लेखक, वक्ता, आध्यात्मिक चिंतक श्री सुनीलजी चिंचोलकर की बहुचर्चित एवं सम्मानित पुस्तक ‘चिंता करितो विश्वाची’ का हिंदी अनुवाद जबलपुर के समर्थ भक्त श्री सुरेश तोपखानेवाले ने किया है, जो कि हिंदी भाषियों के लिए अनुपम उपहार है।

End of content

No more pages to load