हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
युवाओं को ‘कंफर्ट जोन’ से बाहर निकलना चाहिए

युवाओं को ‘कंफर्ट जोन’ से बाहर निकलना चाहिए

by pallavi anwekar
in आत्मनिर्भर भारत विशेषांक २०२०, युवा, विशेष, साक्षात्कार
0

‘हिंदी विवेक’ द्वारा आरंभ आत्मनिर्भर भारत वेब-भेंटवार्ता की शृंखला में लद्दाख के एकमात्र युवा सांसद श्री जमयांग सेरिंग नामग्याल से युवा शक्ति और लद्दाख में अनुच्छेद 370 हटने के बाद आए बदलावों पर व्यापक बातचीत हुई। इस बातचीत के कुछ सम्पादित महत्वपूर्ण अंश यहां प्रस्तुत हैं-
———

आत्मनिर्भर भारत के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जो संकल्पना दी है इस पर आपके क्या विचार हैं?

मैं सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि जिन्होंने भारत को एक विजन (संकल्पना) दी है। उन्होंने यह सोच बदल दी कि भारत को पड़ोसी और बाहरी देशों पर निर्भर रहना है। आत्मनिर्भर भारत इस दिशा में एक नया प्रयास है। इसके साथ ही नरेंद्र मोदी जी ने सब को जागृत किया है। वे जिस तरह का कार्य कर रहे हैं उसे देखते हुए मैं लोकसभा सांसद होने के नाते, भारत का नागरिक होने के नाते, एक युवा होने के नाते भारत के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी धन्यवाद देता हूं। इस समय भारत का प्रगतिशील होना बहुत जरूरी है। अपने अस्तित्व को कायम रखने के लिए आत्मनिर्भर बनना जरूरी है। यह सोचना जरूरी है कि लोगों को रोजगार कैसे मिले, लोगों को अपने पैरों पर खड़े होने के लिए कैसे प्रोत्साहित करें, सुई से लेकर टेक्नोलॉजी तक हमें आत्मनिर्भर बनना है। ग्रामीण क्षेत्रों में जिसका उत्पादन होता है उसे मार्केट तक ले जाना और मार्केट को उन तक लाना ये सारी चीजें माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हमें बताई है। उन्होंने लोगों में आत्मनिर्भरता के तौर पर जीने की उम्मीद पैदा की है। यह एक अद्भुत विचार है। इसकी पूरी देश में तारीफ हो रही है।
साथ ही साथ इस देश के युवाओं को भी प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में नहीं उम्मीद नजर आ रही है। मुझे लगता है कि यह आत्मनिर्भरता सिर्फ प्रधानमंत्री जी के कहने से या फिर सरकार के कहने से या योजना आरंभ भर कर देने से ही नहीं आएगी, इसमें हर व्यक्ति और देश के हर नागरिक को सक्रियता से अपना योगदान देना होगा। हमें अपनी जरूरत की चीजों को चाहे वह भैंसा हो, चाहे वह कपड़ा हो, चाहे रोजमर्रा की जिंदगी की अन्य चीजों हों, जितना हो सके उतना अपने गांव से या अपने मोहल्ले से ही प्राप्त करना चाहिए। तब जाकर आत्मनिर्भर भारत हो सकता है।

आप एक युवा नेता हैं। मेरा लद्दाख और अपने देश के बाकी हिस्सों के युवाओं से आपकी क्या अपेक्षा है?

इसके संदर्भ में मैं दो बातें रखना चाहता हूं। एक युवाओं से मेरी क्या अपेक्षा है और दूसरी लोगों की क्या अपेक्षा है? मेरी शुरू से यही अपेक्षा रही है और अभी भी है कि युवा होने के नाते हम ‘टाइम, एनर्जी और इफेक्ट’ (समय, शक्ति और प्रभाव) जो है वह हर काम में ज्यादा दे सकते हैं। मैं संक्षिप्त में कहूं तो मैं युवा नेता होने के नाते पूरी ताकत के साथ लोगों की सेवा कर पा रहा हूं। मैं अपना समय उन्हें दे पाता हूं। युवा होने के नाते हमारे विचारों में भी लोगों को ताजगी महससूस होती है, जिसका फायदा देश को होता है। मैं देश के युवाओं से भी ऐसी अपेक्षा रखता हूं। उम्र से ही कोई युवा नहीं हो जाता। उसमें यूथ अर्थात युवा की एक झलक होनी चाहिए। वह अपने काम के जरिए, वह अपनी सोच के जरिए, वह आपके टाइम और एनर्जी के जरिए। ये सारी बातें जब एकसाथ आती हैं तब हम इसे युवाओं का दौर कहते हैं। नहीं तो हम सिर्फ ‘कंफर्ट जोन’ (आराम की जिंदगी) में रहते हुए सोशल मीडिया पर लिखते रहेंगे कि बिजली क्यों नहीं आ रही है? स्कूल क्यों नहीं चल रहा है? इस क्यों का जवाब दूसरो को पूछते रहेंगे तो मुझे नहीं लगता इसमें युवाओं का योगदान हो सकता है। बहुत सारे युवा ऐसे भी हैं जो अच्छी सोच रखते हैं, देश के लिए कुछ करना चाहते हैं लेकिन ‘कंफर्ट जोन’ से बाहर नहीं निकलते। आज की दुनिया में तो इसलिए ‘कंफर्ट जोन’ से बाहर आकर आपको अच्छा काम करना होगा तब जाकर देश आगे बढ़ेगा। जब हम ‘कंफर्ट जोन’ से बाहर आएंगे तो लोगों को सेवाएं दे पाएंगे, तब हम यह कह पाएंगे कि भारत 60% युवाओं का देश है।

पूरी दुनिया भारत की ओर युवाओं के देश के तौर पर देखती है। इसका हमें क्या फायदा हो सकता है?

पूरी दुनिया में भारत देश की प्रतिमा युवा देश के तौर पर उभर रही है। इसका हमारे देश को बहुत फायदा मिल रहा है और मिल भी सकता है आनेवाले भविष्य में। क्योंकि, एक युवा देश शक्ति के साथ जब आगे बढ़ता है तो इसका फायदा देश को जरूर होता है। जिस देश में युवा शक्ति कम है वह देश पीछे रह जाता है, यह कहना गलत न होगा। हमारे देश में जो युवा शक्ति है, उसके सकारात्मक उपयोग के लिए हम सबको प्रयत्न करना चाहिए। इसे हर बात में- चाहे वह देश को आत्मनिर्भर बनाने में हो, चाहे देश को स्वच्छ भारत बनाने में हो, चाहे देश की गरीबी मिटाने में हो, किसी भी से आप देखिए तो अगर हमारी देश की युवा शक्ति सही तरीके से काम करें तो हमारा देश बहुत तरक्की करेगा और बहुत आगे बढ़ जाएगा।

भारत के युवाओं का देश के विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है। लेकिन आज हम देख रहे हैं कि युवा भारत में पढ़ाई करते हैं और काम के लिए देश के बाहर चले जाते हैं। इसे कैसे रोका जाए? उनके लिए उज्ज्वल भविष्य क्या भारत में नहीं है?

ऐसा मैं नहीं मानता। उनके लिए सबसे ज्यादा उज्ज्वल भविष्य तो भारत में ही है। क्योंकि हमारे देश के पास जनसंख्या है। जहां पर जनसंख्या है वहां पर हर चीज का एक मार्केटिंग होता है। चाहे वह हेल्थ सेक्टर में हो, एजुकेशन सेक्टर में हो, किसी भी सेक्टर में देखिए जहां पर जनसंख्या है वहीं पर बड़ा मार्केट होता है। मेरा मानना है कि कई युवा अच्छी शिक्षा प्राप्त कर विदेश में जाकर अच्छा काम करना चाहते हैं। इसमें कोई बुरी बात नहीं है; लेकिन मुझे लगता है बहुत कम लोग जोखिम उठाना चाहते हैं और ‘कंफर्ट जोन’ से बाहर निकलना नहीं चाहते। वास्तव में अपने देश में काम करने पर हमें गर्व महसूस होना चाहिए। आप अपने ‘कंफर्ट जोन’ के पीछे दौड़ेंगे, पैसे के पीछे दौड़ेंगे, देश का युवा ऐसे सोच रखेगा तो देश का बहुत नुकसान होगा। विदेश में जाकर शिक्षा हासिल करना अच्छी बात है। इसके साथ ही अपने देश के बारे में सोचना भी जरूरी है। मैं सोचता हूं कि यह देश अपना घर है, ये देशवासी अपना परिवार है, ऐसे देशवासियों को अपने देश को आगे ले जाने के लिए प्रयास करना चाहिए। मैं आपको बता दूं कि कई युवा ऐसे भी हैं जो विदेश में उच्च शिक्षा लेकर अपने देश में लौट आए हैं। इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए हमारे देश की युवा शक्ति को प्रोत्साहित करना चाहिए।

आत्मनिर्भर भारत में युवाओं का योगदान रहे इसके लिए युवाओं के किन-किन क्षेत्र में आगे बढ़ने की संभावनाएं आपको भारत में नजर आ रही है?

मुझे लगता है कि इस बारे में हमारे देश के युवाओं के अलग-अलग विचार हो सकते हैं। लेकिन एक चीज यह भी है कि भारत की आत्मा ग्रामीण क्षेत्र में बसती है। अगर इस सोच को लेकर हमें भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो ग्रामीण क्षेत्र से हमें शुरुआत करनी होगी। ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे लोग खेती कर रहे हैं, मजदूरी कर रहे हैं ऐसे लोगों का काम हम शहर तक कैसे पहुंच पाएंगे, उनके उत्पादन को शहरों तक कैसे पहुंचा पाएंगे इसके बारे में सोचना चाहिए। मैं समझता हूं कि आत्मनिर्भरता का दौर ग्रामीण क्षेत्र से शुरू करना चाहिए तो पूरा भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ जाएगा।

जैसे आपने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र से शुरू करना चाहिए लेकिन आज हम देखते हैं तो आईटी, इंजीनियरिंग, मेडिकल इन क्षेत्रों की ओर ही युवाओं का ज्यादा झुकाव है। कृषि या नए उद्योग शुरू करने के प्रति वे आकर्षित नहीं हो रहे हैं। इसके पीछे आपको क्या कारण नजर आता है?

मुझे लगता है कि कृषि उद्योग का पुराने फॉर्मेट में बदलाव लाने की जरूरत है। हमें मॉडर्न टेक्नोलॉजी का सहारा लेते हुए कृषि उद्योग को आगे ले जाना होगा। इसके तहत भारत सरकार और कई एनजीओ भी काम कर रहे हैं। कृषि उद्योग और इससे जुड़े उद्योग को हम मॉडर्न टेक्नोलॉजी के जरिए करें तो मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में युवा शक्ति भी इसकी तरफ आकर्षित होगी।

लद्दाख के पारम्पारिक उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आपने किस तरह के प्रयत्न किए हैं?

मैं यहां से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुआ हूं। इस निर्वाचन से पहले लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल में मैंने 6 महीने तक अध्यक्ष के रूप में काम किया। इन दिनों हम सब ने मिलकर यहां पर एक स्किल डेवलप किया, जिसका नाम ‘मिशन ऑर्गेनिक डेवलपमेंट इनिशिएटिव’। इसके संक्षिप्ताक्षर बनते हैं चजऊख याने मोदी पॉलिसी। इस पॉलिसी के पीछे उद्देश्य यह है कि लद्दाख की अपनी एक पहचान है। 1946- 47 (14.29) तक यहां पर एक शहर से दूसरे शहर को जोड़ने वाले रास्ते नहीं थे, हवाई जहाजों की आवाजाही नहीं थी, देश के अन्य इलाकों के मुकाबले लद्दाख गरीब था। उसकी इकोनॉमी कमजोर थी। लेकिन हम आत्मनिर्भर थे। यहां के लोग कपड़ा भी खुद बनाते थे, खेती भी हम खुद करते थे। नमक नहीं बनाते थे इसलिए वह और खेती के लिए लोहे की कुछ वस्तुएं बाहर से आतीं थे। बाकी हर चीज का उत्पादन यहीं होता था। जब सड़कें बनीं, हवाई यात्रा शुरू हुई, आवाजाही बढ़ी तब मॉडर्न टेक्नोलॉजी आई। इसके बाद एक योजना बनाई गई। इसके अंतर्गत यहां के लेदर के परम्परागत काम, खेती करने, पशुपालन करने आदि सभी बातों को साथ में लेकर मॉडर्न टेक्नोलॉजी का किस तरह इस्तेमाल करें इस उद्देश्य से हमने लद्दाख में योजना बनाई। इन सभी चीजों को मिलकर हमने ‘मोदी पॉलिसी’ बनाई और उसे केंद्र सरकार के पास प्रस्तुत किया। हाल ही में लद्दाख में धारा 370 हटने के बाद मोदी जी ने इस योजना के लिए 500 करोड़ रु. दिए। लद्दाख में इस योजना पर जोर-शोर से काम हो रहा है। हमारा लक्ष्य 2025 पर है। तब तक लद्दाख पूरा सुसंगठित इलाका जो जाएगा। इसका मतलब यह है कि हम सिर्फ खेती ही नहीं, पशुपालन से लेकर अन्य मामलों में भी हमारी बाहरी निर्भरता को कम कर देंगे। इसके लिए हमारा प्रयास जा रही है। हमें उम्मीद है कि आने वाले 5 सालों तक हम इसे पूरा कर लेंगे। भले ही यह पूरा न भी हो तो 80%-90% काम होने की उम्मीद है।

कॉलेज से पढ़ाई करके जो युवा बाहर आ रहे हैं उनके भविष्य के लिए आपके पास किस तरह की योजना हैं?

‘मिशन ऑर्गेनिक डेवलपमेंट इनिशिएटिव’ जब इंप्लीमेंट होगा और इसका अच्छा नतीजा आएगा। इसमें एक योजना है। मैं आपको संक्षिप्त में समझाऊं तो पिक समर सीजन में जब यहां पर लिपि प्रोडक्शन (18.15) का समय होता है उसी सीजन में श्रीनगर से, मनाली से हरी पत्ती की सब्जी आती है, इसीलिए लोकल खेत में उगी हुई सब्जी नहीं बिकेंगी। लेकिन यहां पर जो खेती का जो उत्पादन होता है वह बिना किसी केमिकल के इस्तेमाल का होता है। अगर समय हमें लद्दाख में बाहर से पालक नहीं लेनी है। इसका परिणाम यह होगा कि लद्दाख की पालक ज्यादा खरीदी जाएगी। हमें ऐसी छोटी छोटी चीजों का ध्यान रखना है ताकि युवा शक्ति आकर्षित हो। यहां के उत्पादन को मार्केट मिलने के बाद युवा शक्ति का भी आत्मविश्वास बढ़ेगा। उन्हें नए रोजगार मिलेंगे।

धारा 370 हटने के बाद लोकसभा में जब आपका भाषण हुआ था तब सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे आप दिल की गहराइयों से लोगों की समस्या जानकर सबके सामने रखने की कोशिश कर रहे हैं। अब जब इसे साल भर हो गया है तो इस एक साल में आपने किस तरह का परिवर्तन देखा लद्दाख में?

लोकसभा में हुआ भाषण किसी एक व्यक्ति का विचार नहीं था, वह लद्दाख के लिए था, वहां पर रहने वाले लोगों के लिए था। जो लोग लद्दाख को जानते हैं, यहां की भौगोलिक परिस्थिति के बारे में परिचित हैं उन सबके मन की बात थी। मुझे इस बात की खुशी है कि लोकसभा के माध्यम से पूरे भारत वासियों को, पूरी दुनिया को पता चला कि लद्दाख के लोगों के मन में क्या है। और दूसरा लद्दाख से धारा 370 हटने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित राज्य बनाया तब से लेकर आज तक यहां पर बहुत सारे बदलाव हुए। लद्दाख में इस दौरान सकारात्मक बदलाव हुए हैं। कुछ चीजें ऐसी होती हैं जोकि हम अपनी आंखों से नहीं देख सकते, कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो महसूस करने वाली होती हैं। लद्दाख का इतिहास 1836 तक एक स्वतंत्र रियासत का था यानी कि लद्दाख की अपनी फौज थी, अपनी सेना थी, अपनी करेंसी थी, अपनी भाषा थी, सब कुछ अपना था। लद्दाख की यह पहचान बीच में हम खो चुके थे। कश्मीर के अंदर बहुत तोड़फोड़ हुई थी। इस दौरान लद्दाख ने अपनी पहचान पूरी तरह से खो दी थी। इसके बाद लोगों, विचारकों, राजनेताओं का विचार था कि लद्दाख की पहचान फिर से खड़ी करनी चाहिए। लद्दाख को कश्मीर से अलग करने के साथ-साथ आप दुनिया के नक्शे में देख सकते हैं कि लद्दाख को एक अलग पहचान मिली है, एक अस्तित्व मिला है। यह एक गर्व की बात है। लोगों को इस बात का एहसास हुआ है। इसके साथ ही मैं विकास की बात करूं तो यहां पर पहले यूनिवर्सिटी नहीं थी, यहां पर मेडिकल कॉलेज नहीं था। अब होटल मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट की धीरे-धीरे स्थापना हो रही है और लद्दाख प्रगति की ओर बढ़ रहा है।
———-

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: hindi vivekhindi vivek magazineselectivespecialsubjective

pallavi anwekar

Next Post
विदेशी भाषा अधिगम – आत्मनिर्भरता की सौगात

विदेशी भाषा अधिगम - आत्मनिर्भरता की सौगात

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0