हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
 एक तारा जो अस्त हो गया..

 एक तारा जो अस्त हो गया..

by दिलीप ठाकुर
in अक्टूबर २०१५, फिल्म, सामाजिक
0

 

गीतकार आदेश श्रीवास्तव के निधन की खबर आ सकती है ऐसी आशंका मन में उठ रही थी कि अचानक ४ सितंबर को उनके जन्म दिन के अवसर पर ही यह समाचार मिला। यह शायद विधि लिखित ही था।

उनकी मृत्यु के चार-पांच दिन पहले से ही जब उनके ब्लड कैंसर से ग्रसित होने और मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में मृत्यु से लड़ने की खबरें व्हाट्सएप आदि पर आ रही थीं तभी मन में बिजली कौंध गई थी। ४९ साल क्या मृत्यु की उम्र है, यह विचार अनेक लोगों के मन में आया होगा। परंतु जो हुआ वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण था।

आदेश श्रीवास्तव का बचपन मध्यप्रदेश के जबलपुर में बीता। उनके पिता रेल्वे में अधीक्षक तथा मां महाविद्यालय में व्याख्याता थीं। आदेश मुंबई की फिल्मी सृष्टि में अभिनेता बनने आए थे। नाना पाटेकर-जैकी श्रॉफ अभिनीत और शशिलाल नायर द्वारा निर्देशित ‘अंगारे’ में उन्होंने छोटी भूमिका भी की थी; परंतु वे अभिनेता के रूप में आगे नहीं बढ़ सके। संगीतकार लक्ष्मीकंात प्यारेलाल के सान्निध्य में उन्होनें फिल्म संगीत का प्राथमिक पाठ सीखा। फिल्म ‘कन्यादान’ से उन्होंने स्वतंत्र रूप से संगीतकार के रूप में अपना सफर शुरू किया। सन १९९४ में आई फिल्म ‘आओ प्यार करें’ से उनकी कला सही मायनों में सामने आई।

आदेश जब हिंदी फिल्म संगीत के क्षेत्र में आए तब लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को फिल्म जगत में तीस साल हो चुके थे और फिल्म संगीत बदलाव की राह पर आगे बढ रहा था। अनु मलिक, नदीम श्रवण आनंद-मिलिंद, जतिन-ललित आदि के बीच अत्यधिक प्रतिस्पर्धा थी। राम- लक्ष्मण, राजकमल के बीच भी प्रतियोगिता थी। इन सब के बीच आदेश को अपनी जगह बनाने के लिए फिल्मी दुनिया की चाल-ढाल समझना, उत्तम गीत देने तथा उनके लोकप्रिय होने की आवश्यकता थी। अनुभवों से वे यह सारी बातें सीखते गए इसलिए उन्हें अपने फिल्मी करियर में १०० से अधिक फिल्मों में संगीत देने का मौका मिला।

उनकी महत्वपूर्ण फिल्मों में बागबान, कभी खुशी कभी गम, बाबुल, चलते-चलते, राजनीति शुमार हैं। आदेश ने वीरगति, अंगारे, लाल बादशाह, जोरू का गुलाम, आंखें, चिंगारी, सैन्डविच, अपहरण, देव, शिकारी, सुलतान, इंटरनेशनल खिलाड़ी, बड़े दिलवाला, रहना है तेरे दिल में आदि फिल्मों में भी संगीत दिया हैं।

इनमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अमिताभ बच्चन की फिल्मों में संगीत देने का मौका आदेश को मिला। फिल्मी दुनिया में उसे सफलता का पायदान माना जाता है। अमिताभ बच्चन पर चित्रित ‘शावा शावा माहिया’ गीत अत्यंत लोकप्रिय हुआ और आदेश श्रीवास्तव को पहचान मिल गई। व्यावसायिक दुनिया में यह बहुत महत्वपूर्ण होता है।

बागबान में आदेश के संगीत निर्देशन में अमिताभ बच्चन ने ‘होली खेले रघुवीरा अवध में ’और ‘मैं यहां तू कहां’ गीत गाए। आदेश से इस बारे में पूछे जाने पर वे अत्यंत भावविभोर होकर अमिताभ का वर्णन करते हैं। आदेश की मृत्यु के बाद उनके अंतिम दर्शन के लिए अमिताभ स्वयं गए थे। इसी से उन दोनों के रिश्ते की गहराई का पता चलता है। इस मौके पर अमिताभ के द्वारा दी गई प्रतिक्रिया भी मार्मिक है। वे कहते हैं, ‘आदेश के साथ मैंने संगीत जीया है और अब उनके जाने के बाद मुझे और मेरे संगीत को भी उनके बिना ही रहना होगा।’

आदेश ने विजेता पंडित के साथ सुखी संसार का आनंद लेते हुए अपने दो बेटों अनिवेश और अवितेश का भी बखूबी पालन पोषण किया। विजेता पंडित ने ‘लव स्टोरी’ में कुमार गौरव की नायिका के रूप में काम किया था। वे अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित की बेटी तथा संगीतकार जतिन-ललित की बहन हैं। संगीतकार के रूप में आदेश और जतिन-ललित के बीच प्रतियोगिता थी। परंतु आदेश ने इसका कभी भी उल्लेख नहीं किया।

आदेश ने अमेरिका की शकीरा तथा अन्य गायक गायिकाओं के साथ काम करके अपने करियर में और एक कदम आगे बढ़ाया। जैसे जैसे टीवी का चैनलों चलन बढ़ा उनमें रियलिटी शो भी होने लगे। ऐसे ही एक रियलिटी शो ‘सारेगमप’ के लिए आदेश ने परीक्षक की भूमिका भी निभाई थी। शो के दौरान उन्होंने नवोदित गायकों का मार्गदर्शन भी किया।

आदेश ने अपने संगीत को केवल फिल्म तक सीमित नहीं रखा। लोकसंगीत से लेकर तमाशा तक, ब्रेक डांस से लेकर भांगडा तक, शहनाई से सिंथेसाइजर तक सभी का जी खोल कर उपयोग किया। इस क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा के लिए वह आवश्यक भी होता है।

आदेश श्रीवास्तव नाम लेते ही कभी खुशी कभी गम के गीत ‘शावा शावा’ के लिए उपयोग किए गए विविध वाद्यों का मुक्त रूप से उपयोग और मेजरसाब के ‘सोना सोना दिल मेरा सोना’ गीत पर अमिताभ का नृत्य बरबस ही याद आ जाता है।

‘हाथों में आ गया जो कल रुमाल आपका’ कहते हुए सन १९९४ में आदेश का जो प्रवास शुरू हुआ था, वह आखिरकार कैंसर से लड़ते -लड़ते खत्म हो गया। उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।
प मो. : ९८७०६१६२१६

Tags: actorsbollywooddirectiondirectorsdramafilmfilmmakinghindi vivekhindi vivek magazinemusicphotoscreenwritingscriptvideo

दिलीप ठाकुर

Next Post
ऩिजात

ऩिजात

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0