हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
नए विधेयकों पर  पेगासस की छाया

नए विधेयकों पर पेगासस की छाया

by रामेन्द्र सिन्हा
in अगस्त-२०२१, तकनीक, राजनीति, सामाजिक
0

कांग्रेस सहित विपक्ष निहित राजनीतिक स्वार्थों के कारण जनसंख्या नियंत्रण विधेयक के विरोध में है और संसद के मानसून सत्र में उसका भूत निकलने का डर उसे सता ही रहा था कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश में समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए केंद्र को इसे लागू करने के लिए समुचित कदम उठाने के लिए कह दिया।

इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं, केंद्रीय मंत्रियों, पत्रकारों आदि की कथित जासूसी का मामला उछलने के बाद देश मे बवाल मचा है। लेकिन बवाल के पीछे मात्र निजता के अधिकार के हनन का ही मामला है या फिर अपनी पोल खुलने का डर। या फिर, संसद के मानसून सत्र के ठीक पहले यह मामला छेड़ कर विपक्ष अनेक नए विधेयकों सहित जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, समान नागरिक संहिता और धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर चर्चा को भी रोकना चाहती है। जनसंख्या नियंत्रण विधेयक तो राज्यसभा में रखा भी जा चुका है। सवाल यह भी है कि क्या इस जासूसी कांड के पीछे मोदी सरकार है, या अगर उसी ने कराया तो सरकार की नीयत में क्या खोट था। हालांकि, राजा-महाराजाओं के समय से देशहित में सत्ता द्वारा जासूसी कराने की परंपरा कोई नई नहीं है। और यदि आप स्वयं पाक-साफ हैं, देश-समाज हित के विरुद्ध कहीं संलिप्त नहीं हैं तो इतनी हाय-तौबा क्यों? फिर आपके पास जासूसी को प्रमाणित करने का कोई साक्ष्य भी है क्या? सवाल बहुतेरे हैं जबकि सरकार ने जासूसी कराने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।

मुख्य विपक्षी पार्टी ने इस मामले में पीएम मोदी के खिलाफ जांच और गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की। कोशिश मोदी सरकार को घेरने और बदनाम करने की है। वैसे तो विपक्ष ने सरकार को संसद में कोविड की दूसरी लहर के दौरान कथित कुप्रबंधन, किसान आंदोलन, बंगाल हिंसा, महंगाई और सीमा पर चीन की कार्रवाई जैसे मुद्दों पर भी घेरने की तैयारी कर रखी है। सत्ता पक्ष भी पूरी तैयारी के साथ पलटवार को तैयार है। सरकार का कहना है कि उसका पेगासस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। भाजपा ने मॉनसून सत्र से ठीक पहले रिपोर्ट आने के पीछे साजिश की शंका जाहिर की। सरकार ने इस सत्र के दौरान 17 नये विधेयकों को पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया है। इनमें से तीन विधेयक हाल में जारी अध्यादेशों के स्थान पर लाए जाएंगे।

दरअसल, दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों ने संसद के मानसून सत्र से ठीक एक दिन पहले एक रिपोर्ट छापी। दावा किया गया कि इजरायल के पेगासस स्पाईवेयर की मदद से भारत में कई नेताओं, पत्रकारों और सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोगों का फोन हैक किया गया है। रिपोर्ट में 150 से ज्याोदा लोगों के फोन हैक करने की बात कही गई है। वहीं, भारत में कम से कम 38 लोगों की निगरानी की बात कही गई। हालांकि, भारत सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया। उधर, इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप ने अपने ’पेगासस’ सॉफ्टवेयर को लेकर हुए खुलासों पर बयान जारी किया। कंपनी का कहना है कि ’फॉरबिडेन स्टोरीज’ की रिपोर्ट ’गलत धारणाओं और अपुष्टक सिद्धांतों’ से भरी हुई है। एक बयान में इजरायल की इस साइबर इंटेलिजेंस कंपनी ने कहा कि रिपोर्ट का कोई ’तथ्योत्मक आधार नहीं है और यह सच्चांई से परे है।’ कंपनी के मुताबिक, ऐसा लगता है कि ’अज्ञात सूत्रों’ ने गलत जानकारी मुहैया कराई है। कंपनी ने कहा कि ये आरोप इतने बकवास और सत्यैता से परे हैं कि वह मानहा नि का मुकदमा करने की सोच रही है। सरकार की ओर से जवाब देते हुए पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तो पूछा था कि जब 45 देश पेगासस सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो भारत को क्यों निशाने पर लिया जा रहा है, भारत में इस पर इतना बवाल क्यों मचा हुआ है? जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि लोग क्रोनोलोजी को समझें। यह रिपोर्ट विध्न डालने वालों ने अवरोध पैदा करने वालों के लिए तैयार की है। विध्न डालने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन हैं जो नहीं चाहते कि भारत विकास करे और अवरोध पैदा करने वाले भारत के राजनीतिक दल हैं जो नहीं चाहते कि भारत प्रगति करे।

11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस था और उसके पहले से ही ‘जनसंख्या नियंत्रण विधेयक 2021’ का मुद्दा गरमा गया था। यह ड्राफ्ट विधेयक राज्यसभा में आ चुका है। इस ड्राफ्ट विधेयक में इस बात का प्रावधान है कि जिन माता-पिता को एक संतान हो, उसे सरकार की तरफ से कैसी सुविधाएं दी जानी चाहिए और जिन्हें दो से ज्यादा बच्चे हैं, उनसे कौन सी सुविधाएं छीन लेनी चाहिए। पॉपुलेशन कंट्रोल विधेयक, 2021 में कहा गया है कि जिन माता-पिता को 2 से ज्यादा बच्चे हैं, ऐसे परिवार के सदस्य को लोकसभा, विधानसभा या पंचायत चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए, राज्यसभा, विधान परिषद् और इस तरह की संस्थाओं में निर्वाचित या मनोनित होने से रोका जाना चाहिए, ऐसे लोग कोई राजनीतिक दल नहीं बना सकते या किसी पार्टी का पदाधिकारी नहीं बन सकते, प्रदेश सरकार की ए से डी कैटगरी की नौकरी में अप्लाई नहीं कर सकते, इसी तरह, केंद्र सरकार की कैटगरी ए से डी तक में नौकरी के लिए अप्लाई नहीं कर सकते, निजी नौकरियों में भी ए से डी तक की कैटगरी में आवेदन नहीं कर सकते, ऐसे परिवार को मुफ्त भोजन, मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी जैसी सब्सिडी नहीं मिलनी चाहिए, बैंक या किसी भी अन्य वित्तीय संस्थाओं से लोन नहीं प्राप्त कर सकते, ऐसे लोगों को इनसेंटिव, स्टाइपेंड या कोई वित्तीय लाभ नहीं मिलना चाहिए, ऐसे लोग कोई संस्था, यूनियन या कॉपरेटिव सोसायटी नहीं बना सकते, न तो किसी पेशे के हकदार होंगे और न ही किसी कामकाज के, वोट का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार और संगठन बनाने का अधिकार नहीं मिलेगा।

जनसंख्या नियंत्रण ड्राफ्ट विधेयक, 2021 के अनुसार, हर प्रदेश सरकार अपने हिसाब से स्कूलों में जनसंख्या विस्फोट के खतरनाक प्रभाव और जनसंख्या नियंत्रण के फायदों के बारे में बताने के लिए जरूरी विषय पढ़ाने का प्रावधान करेगी। हर महीने इन स्कूलों में जनसंख्या नियंत्रण से जुड़े लेख प्रतियोगिता और वाद-विवाद आयोजित करने होंगे। विधेयक में कहा गया है कि जनसंख्या विस्फोट पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार नेशनल पॉपुलेशन स्टेबलाइजेशन फंड बनाएगी। इस फंड में केंद्र के बताए औसत के हिसाब से केंद्र और सभी राज्य सरकारें अपना अनुदान जमा कराएंगी। इस फंड का प्रबंध ऐसे रखना होगा कि जिस राज्य में गर्भधारण का अनुपात ज्यादा हो, उसे ज्यादा राशि जमा करने की जरूरत होगी। जिस राज्य में फर्टिलिटी रेट कम हो, उसे फंड में कम पैसे जमा कराने होंगे। फंड में जमा पैसे राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में बांट दिए जाएंगे। इस बंटवारे का आधार जनसंख्या नियंत्रण ही होगा। इस कानून के लागू होने के एक साल के भीतर सभी केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारी लिखित में यह आश्वासन देंगे कि उनके, दो बच्चों से ज्यादा नहीं होंगे। अगर किसी कर्मचारी को पहले से दो संतानें हैं, तो वे लिखित में देखें कि कोई तीसरा बच्चा नहीं होगा।

मुस्लिम देश टर्की, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मिस्र, सीरिया, ईरान, यू. ए. ई., सऊदी अरब व बांग्लादेश आदि ने भी कुरान, हदीस, शरीयत आदि के कठोर रुढ़ीवादी नियमों के उपरांत भी अपने अपने देशों में जनसंख्या वृद्धि दर पर नियंत्रण किया है। फिर भी भूमि व प्रकृति का अनुपात प्रति व्यक्ति संतुलित न होने से पृथ्वी पर असमानता बढ़ने के कारण गंभीर मानवीय व प्राकृतिक समस्याएं उभर रही हैं। प्राप्त आंकडों के अनुसार हमारे ही देश में वर्ष 1991, 2001 और 2011 के दशक में प्रति दशक क्रमशः 16.3, 18.2 व 19.2 करोड़ जनसंख्या बढ़ी है। इसके अतिरिक्त बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और म्यांमार आदि से निरंतर आने वाले घुसपैठिये व अवैध व्यक्तियों की संख्या भी लगभग 7 करोड़ होने से एक और गंभीर समस्या हमको चुनौती दे रही है।

कांग्रेस सहित विपक्ष निहित राजनीतिक स्वार्थों के कारण जनसंख्या नियंत्रण विधेयक के विरोध में है और संसद के मानसून सत्र में उसका भूत निकलने का डर उसे सता ही रहा था कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश में समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए केंद्र को इसे लागू करने के लिए समुचित कदम उठाने के लिए कह दिया। कोर्ट ने कहा कि देश जाति, धर्म और समुदाय से ऊपर उठ रहा है। ऐसे में समान नागरिक संहिता समय की मांग और जरूरत है। दरअसल, समान नागरिक संहिता लागू हो जाने से पूरे देश में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे सामाजिक सभी मुद्दे एक समान कानून के अंतर्गत आ जाते हैं। इसमें धर्म के आधार पर कोई अलग कोर्ट या अलग व्यवस्था नहीं होती। संविधान के मसौदे में अनुच्छेद 35 को अंगीकृत संविधान के अनुच्छेद 44 के रूप में शामिल कर दिया गया और उम्मीद की गई कि जब राष्ट्र एकमत हो जाएगा तो समान नागरिक संहिता कानून अस्तित्व में आ जाएगा। अनुच्छेद 44 राज्य को उचित समय आने पर सभी धर्मों लिए ‘समान नागरिक संहिता’ बनाने का निर्देश देता है। अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान, इजिप्ट जैसे कई देश हैं, जिन्होंने समान नागरिक संहिता लागू किया है।

भाजपा हमेशा से ही समान नागरिक संहिता के पक्ष में रही है, जबकि विपक्ष इस मामले को लेकर हमेशा ही ये कहता रहा है कि ये समान नागरिक संहिता कानून लागू करने का सही समय नहीं है। दरअसल, मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति करने वाले सभी राजनीतिक दल इसका विरोध करते हैं। क्योंकि, मुसलमान समान नागरिक संहिता का विरोध करते हैं। वहीं, दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा इसे वर्तमान समय की जरूरत बताने के बाद अब इस पर बहस होना तय है। हालांकि, यह बहस फिलहाल सियासी ही नजर आएगी। अब देखना है कि तीन तलाक, अनुच्छेद 370 और सीएए जैसे जटिल मसलों को संसद में अंजाम तक पहुंचाने वाली मोदी सरकार कैसे पैगासस जासूसी कांड के बवंडर से खुद को निकालकर अपने लक्ष्य साधती है।

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: 75yearsaugust152021bharatfreedomheritagehistoricalindependence dayindian politics newsnationfirstpegasus

रामेन्द्र सिन्हा

Next Post
समान नागरिक संहिता की अनिवार्यता

समान नागरिक संहिता की अनिवार्यता

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0