अतीक के आतंक का अंत

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अतीक अहमद की हत्या के बाद विपक्षी दल कितने भी आरोप लगाएं लेकिन उसके द्वारा पीड़ितों की बड़ी लम्बी सूची है। अब सारी जिम्मेदारी जांच एजेंसियों के ऊपर है ताकि उसके आकाओं के नाम सामने आ सकें। राजनेता से माफिया बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का भी उसी…

53 देशों में चीन के अवैध थाने

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दुनिया भर के 53 देशों में सेफगार्ड डिफेंडर्स नाम की गैर सरकारी संस्था के नाम पर चीन की अवैध पुलिस चौकियां काम कर रही हैं जो उन देशों में अस्थिरता लाने का कार्य कर रही हैं। अभी तक भारत में ऐसे किसी स्टेशन की कोई सूचना नहीं मिली है परंतु…

सीमावर्ती राज्यों में मुस्लिम घुसपैठ

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देश के पाकिस्तान, नेपाल और चीन से सटे जिलों में एक खास मिशन के तहत विदेशी मुसलमानों को बसाकर वहां की जनसांख्यिकी को बिगाड़ा जा रहा है। शासन को इस पर सक्रियता दिखाने की आवश्यकता है ताकि देश के बिगड़ते हालातों को सुधारने की दिशा में सार्थक पहल की जा सके।

क्योंकि, खतरे भी हाइटेक हैं

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हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में मिल रहे अवैध हथियारों से देश में अशांति का वातावरण फैलाने की पूरी तैयारी की जा रही है।

पीएफआई की कलंक कथा

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पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में हुई दंगाई घटनाओं के पीछे इस्लामी संगठन, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का हाथ होना चिंता का विषय है। इसकी जड़ें सिमी की तरह ही पांव पसारती जा रही हैं। केरल सरकार का छद्म सहयोग भाव भी इसके बढ़ाव के पीछे एक बड़ा कारण है। कई अन्य राज्य भी इसकी चपेट में हैं। इसका प्रभाव राष्ट्रव्यापी हो, उसके पहले ही इसकी जड़ें काटने की आवश्यकता है।

उत्तर प्रदेश में  मोदी-योगी का जलवा

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उत्तर प्रदेश में मतदाताओं के लिए विकास और सरकारी कामकाज सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से थे, जबकि राम मंदिर और हिंदुत्व के मुद्दे पर खास जोर नहीं था। चुनाव के बाद एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के साथ संतुष्टि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की तुलना में तीन गुना अधिक थी।

ध्रुवीकरण से होगा हिसाब

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कुछ सीटों को छोड़ दें तो भाजपा लगभग सभी सीटों पर मजबूत दिखाई पड़ती है। भाजपा की सबसे बड़ी ताकत उसके लाभार्थी बताए जा रहे हैं। मुफ्त राशन योजना ने हर वर्ग में भाजपा के लिए गुप्त मतदाता तैयार कर दिए हैं। सुरक्षा व्यवस्था के सवाल पर भाजपा अन्य सभी दलों पर हावी दिखाई पड़ती है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 45 लाख से अधिक मकानों ने भाजपा की पहुंच एससी और एसटी समुदाय के बीच में बढ़ा दी है। योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल की तरह ही पश्चिम में भी लोकप्रिय हैं।

अपराधियों का महिमा मंडन कब तक

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  सुशांत सिंह राजपूत के मामले में एक तथाकथित बड़े चैनल ने मुख्य आरोपी को बैठाकर हास्यास्पद सवाल पूछे। कुछ ही दिन पहले दिल्ली दंगे के मुख्य आरोपियों में से एक को उसी टीवी चैनल ने स्थान दिया था। यही नहीं इसी टीवी चैनल ने कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा मारे गए एक आतंकवादी के बारे में बताया था कि वह गणित का शिक्षक था। और भी कई घटनाएं बताकर उसके आतंकवादी होने के गुनाह पर लीपापोती करने का प्रयास किया। 

सफल विदेश और कूटनीति पाक-तुर्की दोनों ‘ग्रे लिस्ट’ में

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जिन देशों एवं शासन से राजनयिक संबंधों को लेकर कभी भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान में संशय और संकोच था, मोदी सरकार के अनेक तथ्यों पर सकारात्मक पहल के कारण वह बदल चुका है। अब पारस्परिक हित और भारत का भला होना ही भारतीय मैत्री का एकमेव आधार है। भारत अब इजरायल की कीमत पर इस्लामिक मुल्कों से संबंध नहीं रखता। अब हम इजराइल से अलग और अरब देशों से अलग संबंध रखते हैं।

जातिगत जनगणना कितनी सही?

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विचारणीय यह भी है कि जब देश में वर्दीधारियों के नाम पट्टिका से जाति हटा दी गई है, वाहनों पर जाति-धर्म को प्रदर्शित करना अपराध है, तो जातिगत जनगणना कैसे युक्तिसंगत हो सकती है? जब सब कुछ जनसंख्या और आरक्षण आधारित तय होने लगेगा तो पारस्परिक सौहार्द्र, भाईचारा तथा शांति व्यवस्था भंग होगी। जिस जाति की संख्या कम होगी, उस जाति के लोग अधिकाधिक बच्चे पैदा करेंगे। सामाजिक ताना बाना छिन्न-भिन्न हो जाएगा। नियुक्ति और शिक्षा में प्रवेश केवल जाति देख कर किया जाएगा तो योग्यता के लिए समाज में कोई स्थान ही नहीं रहेगा इसलिए जातिगत जनगणना में देश का समग्र दृष्टिकोण ध्यान में रखना आवश्यक है।

नए विधेयकों पर पेगासस की छाया

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कांग्रेस सहित विपक्ष निहित राजनीतिक स्वार्थों के कारण जनसंख्या नियंत्रण विधेयक के विरोध में है और संसद के मानसून सत्र में उसका भूत निकलने का डर उसे सता ही रहा था कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश में समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए केंद्र को इसे लागू करने के लिए समुचित कदम उठाने के लिए कह दिया।

मुख्तार की रफ्तार पर योगी का ब्रेक

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मुलायम, मायावती और शिवपाल से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पार्टी तक ने मुख्तार को अपना मोहरा बनाना चाहा लेकिन, सत्ता के शीर्ष पर जब कहीं कोई ‘योगी’ बैठा हो तो बड़े-बड़े कैप्टन और चाचा की राजनीति भी धरी रह जाती है। मुख्तार को बांदा जेल की कोठरी में लौटना ही पड़ा है।

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