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भारत को बचना होगा तालिबानी सोच से

भारत को बचना होगा तालिबानी सोच से

by pallavi anwekar
in ट्रेंडींग, विशेष, संपादकीय, सितंबर- २०२१
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बीस साल के बाद अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे ने विविध आयामों पर कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर रक्षा या युद्ध विशेषज्ञ यह मान बैठे थे कि अब इक्कीसवीं सदी के युद्ध हथियारों और दहशत से नहीं बल्कि बुद्धि और तकनीक के बल पर लडे जायेंगे, उनको तालिबान ने दिखा दिया है कि युद्ध आज भी हथियारों और दहशत के बल पर लडे जा सकते हैं और भले ही सामने वाला कितना मजबूत हो उस पर कब्ज़ा किया जा सकता है।

अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश जिसकी ख़ुफ़िया एजेंसी उनके विरोधियों के पर फडफदाने के पहले ही कटवा देती है वह भी तालिबानियों की गतिविधियों को नहीं समझ सकी। जैसे ही अमेरिका ने अपने सैनिक वहां से हटाने शुरू किये तालिबानियों ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया। वैश्विक शांति के लिए जो देश एक साथ आये थे उनके विचार भी धरे के धरे रह गए।

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे का सीधा असर भविष्य में भारत पर भी पड़ेगा। भारत और अफगानिस्तान के बीच मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रहे हैं। अफगानिस्तान ने भारत के लिए चाबहार बंदरगाह के रास्ते खोल दिये थे, तो भारत ने  अफगानिस्तान के कई प्रकल्पों में अपना निवेश किया है। अफगानिस्तान के साथ भारत कई प्रकार के व्यापार भी कर रहा था। तालिबान के हाथ मे सत्ता जाने के बाद इन व्यापारिक संबंधों पर भी सीधा असर होगा। हालांकि व्यापार के संबंध में उसने अपनी नीतियां स्पष्ट नहीं कि हैं परंतु सीमाओं पर रोक लगाकर वह इस ओर इशारा तो कर ही चुका है।

तालिबान के शासन से अब एशिया के भू राजनैतिक संबंधों पर भी असर होगा। भारत की प्रतिमा पिछले कुछ वर्षों में एशिया शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में बन रही थी। जाहिर है कि यह बात पाकिस्तान और चीन दोनों को गवारा नहीं थी। उन्हें एक ऐसे शक्तिशाली साथी की जरूरत थी जो भारत पर दबाव बना सके। उनकी यह जरूरत तालिबान पूरी कर सकता है। चीन के कुछ वरीष्ठ नेताओं का तालिबान के आकाओं से संपर्क करना इस बात की पुष्टि करता है कि चीन किसी भी तरह तालिबानियों से मैत्री संबंध स्थापित करना चाहता है। दूसरी ओर पाकिस्तान को तालिबान में अपना वह सुपुत्र नजर आ रहा है जिसे पिता अपने बुढ़ापे का सहारा मान सके। वैश्विक स्तर पर स्वयं को  एशिया के शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करने के लिए और भारत की छवि को धूमिल करने के लिए अगर चीन पाकिस्तान और तालिबान के साथ मिल जाता है तो यह भारत के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। अतः भारत को तालिबान से अपने संबंध इस प्रकार बना के रखने होंगे जिससे व्यापार पर भी असर न हो और चीन तथा पाकिस्तान के मंसूबे भी सफल न हो पाए।

भारत को अब अपनी सीमा सुरक्षा पर भी अधिक ध्यान देना होगा क्योंकि तालिबान की शह पर अब विविध आतंकवादी संगठन फिर से भारत मे अशांति फैलाने की कोशिश कर सकते हैं। भारत को एक खतरा अफगानिस्तान से आनेवाले शरणार्थियों से भी है। अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ अफगानिस्तान के लोग शरणार्थी बनकर जा सकते हैं। क्योंकि पाकिस्तान की हालत किसी से छुपी नही है और चीन सांस्कृतिक दृष्टि से और सीमाओं की दूरी की दृष्टि से अफगानिस्तान से इतना दूर है कि वहां जाना अफगानिस्तान के लोगों को नहीं सुहाएगा। ऐसे में उन्हें भारत आना ही सबसे आसान लगेगा।

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे का एक जो सबसे महत्वपूर्ण कारण है वह यह है कि अफगानिस्तान के सैनिकों ने बिना युद्ध लड़े ही हार मान ली थी। या यूं कहें कि वे सैनिक के भेष में तालिबानी ही थे वरना इतने आधुनिक हथियारों और संख्याबल में अधिक होते हुए अफगानिस्तान के सैनिक तालिबानियों को आराम से परास्त कर सकते थे परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि वे मन से ऐसा करना नहीं चाहते थे। जब तक अफगानिस्तान की सेना की जिम्मेदारी अमेरिका ने ली थी तब तक ये तालिबान समर्थक सैनिक अफगानिस्तान के सैनिक बनकर सारी सुविधाएं तो उठाते रहे परंतु जैसे ही सत्ता तालिबान के हाथ मे जाती हुई दिखाई देने लगी इन सैनिकों ने भी अपनी वफादारी बदल दी।

तालिबानी देवबंदी हैं जिसकी शुरुआत भारत मे ही हुई थी। भारत में भी इस विचार को मानने वाले लोग हैं और इस बात को हल्के में नहीं लिया जा सकता। भारत को इस बार यह ध्यान में में रखना होगा कि तालिबानी सोच जिस प्रकार अफगानिस्तान पर हावी हुई और उसी के बलबूते उसने सत्ता काबिज कर ली वह प्रक्रिया भारत मे भी दोहराई जा सकती है। भारत के अंदर इस सोच के लोग अगर एकजुट हो गए तो भारत को सीमा पर और सीमा के अंदर दोनों मोर्चों पर युद्ध का सामना करना होगा। अतः इसके पहले कि तालिबानी सोच भारत को भी अफगानिस्तान बना दे भारत को सचेत होना होगा।

 

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Tags: aghan talibanimran khanindianarendra modipakistantaliban kya haitalibaniterroristterrorism terrorists

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