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मैं धर्म व जाति से परे एक भारतीय हूं- दादाभाई नौरोजी

मैं धर्म व जाति से परे एक भारतीय हूं- दादाभाई नौरोजी

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, राजनीति, विशेष, व्यक्तित्व, शिक्षा, सामाजिक
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“मैं धर्म व जाति से परे एक भारतीय हूं” यह शब्द है दादाभाई नौरोजी के जिन्होंने कहा था कि अगर एक शब्द के काम चल जाए तो दूसरे शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए उन्हें भारतीय राजनीति का पितामह भी कहा गया था। मुंबई के एक गरीब परिवार में जन्में नौरोजी ने लड़कियों को स्कूल पहुंचाने में बहुत बड़ा योगदान रहा है हालांकि उन्होंने उस समय में यह काम किया जब समाज महिलाओं को पर्दे में रखने की सोच से पीड़ित था लेकिन नौरोजी ने अपनी जिद भी नहीं छोड़ी और 1845 तक बाम्बे के स्कूल लड़कियों से भरे नजर आने लगे। 
4 सितंबर 1825 को दादाभाई नौरोजी का जन्म बॉम्बे शहर में एक पारसी परिवार में हुआ था उस समय देश ब्रिटिश शासन का गुलाम था और देश के लोगों की बातें ब्रिटिश शासक कम सुनते थे लेकिन दादाभाई नौरोजी ने अपने परिश्रम से ना सिर्फ कई ऐतिहासिक काम किए बल्कि सन 1892 में ब्रिटेन की संसद में पहुंच गये। यह पहला मौका था जब कोई भारतीय ब्रिटेन की संसद में चुनकर गया हो। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि गांधी जी से पहले नौरोजी वह महान नेता व समाजसेवी थे जिन्हें पूरा देश पसंद करता था।
पर्सिया में जब मुसलमानों ने आक्रमण कर गैर मुस्लिम समुदाय को मुसलमान बनाने लगे तो पारसी लोगों का एक बड़ा समूह भारत आ गया और यहां ब्रिटिश व पुर्तगालियों के साथ व्यापार करने लगा। इससे ना सिर्फ उन्हें भारत में शरण मिल गयी बल्कि वह रईसो की गिनती में आने लगे। नौरोजी ने मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज से गणित व विज्ञान की पढ़ाई पूरी की और वहीं पर उन्हें बतौर शिक्षक नौकरी भी मिल गयी। 
1855 में नौरोजी कामा एंड कंपनी से जुड़े और ब्रिटेन चले गये इसके साथ ही वह पहले भारतीय बने जिन्होने ब्रिटेन में किसी कंपनी की स्थापना की लेकिन निजी कारणों की वजह से उन्होने तीन साल बाद ही इस कंपनी से इस्तीफा दे दिया। ब्रिटिश सरकार के सामने भारतीयों का मुद्दा उठाने के लिए नौरोजी ने 1867 में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना की जिसे अंग्रेजों का भी समर्थन मिलने लगा, बाद में इस संगठन को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में परिवर्तित कर दिया गया। सन 1885 से 1888 तक वह बंबई विधान परिषद के सदस्य भी रहे। नौरोजी का समाज सेवा और राजनीति का साथ लगातार चलता रहा और वह 1892 में एक बार फिर से ब्रिटेन चले गये और लिबरल पार्टी से सांसद चुने गये। 
 
दादाभाई नौरोजी पूरा जीवन लोगों और समाज के लिए काम करते रहे इसलिए ही भारत का वयोवृद्ध पुरुष (Grand old man of India) कहा गया। महात्मा गांधी भी इनके परामर्श के अनुसार ही चलते थे। नौरोजी भारतीय इतिहास के एक ऐसे पुरुष थे जिन्होनें लोगों के विचार से हटकर कुछ अलग सोचा और उसे पूरा करने का प्रयत्न किया। 30 जून 1917 को बंबई के वर्सोवा में उनका निधन हो गया।  

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Tags: dadabhai naorojihindi vivek magazineindian politicianreformerthe grand old man of indiatoday in history

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