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आज यशस्वी हो रही है राष्ट्रीय विचारधार – गोपाल शेट्टी (सांसद-भाजपा)

आज यशस्वी हो रही है राष्ट्रीय विचारधार – गोपाल शेट्टी (सांसद-भाजपा)

by हिंदी विवेक
in राजनीति, विशेष, साक्षात्कार, सामाजिक
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उपनगर मुंबई के लोकप्रिय जननेता और गार्डन सम्राट के रूप में प्रसिद्ध भारतीय जनता पार्टी के सांसद गोपाल शेट्टी ने हिंदी विवेक को दिए अपने साक्षात्कार में राजनीति, समाजसेवा, युवाशक्ति, विचारशक्ति, भाजपा-शिवसेना सहित महाविकास आघाडी सरकार, एसआरए योजना, परिवारवाद आदि विषयों पर अपनी बेबाक राय रखी. प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के सम्पादित अंश –

राजनीति को आम जनमानस में गलत नजरिये से देखा जाता है, इस पर आप क्या कहना चाहते है ?

राजनीति से दूर नहीं जाना चाहिए, इसमें जो कुछ कमियां है, खामियां है, उसे दूर करना आवश्यक है. यदि राजनीति में अच्छे लोग नहीं आयेंगे तो जैसी आपके मन में शंका है वैसे ही बुरे लोग इसमें भर जाएंगे जो देश के लिए हानिकारक होगा इसलिए मैं युवाओं से कहना चाहता हूं कि बड़ी संख्या में युवा राष्ट्रहित को संबल प्रदान करने के लिए राजनीति में आए, तभी हम जो कुछ भी सुधार और परिवर्तन चाहते है वह हो सकेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में राजनीति में सकारात्मक परिवर्तन की लहर है इसलिए लोग आज राजनीति की ओर आकर्षित हो रहे है, ये आज की वास्तविकता है.

भारत वर्तमान समय में दुनिया का सबसे युवा देश है. देश की युवाशक्ति को लेकर आपकी क्या राय है ?

एक समय ऐसा भी था कि युवाओं को कोई पूछ नहीं रहा था, हर स्तर पर उनकी उपेक्षा की जाती थी. स्थिति यह थी कि घर के लोग भी अपने युवाओं को प्रोत्साहित नहीं करते थे. वह कहते थे कि यह तो कुछ कर ही नहीं सकता. युवाओं की महत्वकांक्षा को दबाया जाता था और हतोत्साहित किया जाता था लेकिन मोदी जी के सत्ता में आने के बाद लोगों की सोच में बड़ा बदलाव हुआ. आनेवाले समय में देश ही नहीं अपितु दुनिया का नेतृत्व कौन करेगा तो यह हमारे युवा करेंगे. यह भावना मोदी जी ने युवाओं के मन में जगाई.

उद्यान सम्राट के नाम से आप प्रसिद्ध है. इसके अलावा आपके ऐसे कौन से उल्लेखनीय कार्य है जिससे आप जाने जाते है ?

जनहित से जुड़े हुए प्रत्येक कार्य को मैं प्राथमिकता देता हूं इसलिए मैं जनसेवक के रूप में भी जाना जाता हूं.  कुछ काम ऐसे होते है जिसमें हमें सफलता मिलती है. लोग मुझे गार्डन सम्राट कहते है, मैं जिस जगह भी जाता हूं वहां पर गार्डन विकसित हो जाता है. जिससे मैं भी आश्चर्यचकित हो जाता हूं. वह बहुत ही कम पैसों में विकसित हो जाता है. जितना निधि मुझे मिलता है उतना ही निधि अन्य प्रतिनिधियों को भी मिलता है लेकिन उनका निधि कहां जाता है वह पता नहीं चलता लेकिन मेरा निधि दिखाई देता है. आप चारकोप में जहां कहीं घूमेंगे तो मेरे द्वारा किया गया कार्य आपको दिखाई देगा.

आप ज्यादातर समाज के निचले, पिछड़े वर्ग के हित में कार्य करते है ?

मैं स्वयं झोपड़पट्टी से ही आया हूं, पहले मैं झोपड़पट्टी में रहता था. झोपड़पट्टी की समस्या को लेकर ही मैं राजनीति में आया हूं. मुझे उनके लिए रचनात्मक कार्य करने में रूचि है. झोपड़पट्टी वासियों ने ही मुझे हर बार बहुमत देकर जिताया है. लगातार ७ बार जितना ये कोई मामूली बात नहीं है. मेरा मानना है कि भगवान ने हम सबको कुछ न कुछ काम दिया है, आप को भी दिया है. वह आज आपको भले ही पता नहीं चले लेकिन कुछ समय बाद जरुर पता चलेगा. यदि वह काम हम पूरी निष्ठा से करेंगे तो उसमें हमें सफलता मिलेगी.

आपकी राजनीतिक और सामाजिक सफलता का राज क्या है ?

जब मैं अपने जीवन को पीछे मुड़कर देखता हूं तो ऐसा महसूस होता है कि भगवान ने मुझे लोगों की सेवा करने के लिए ही बनाया है इसलिए मैं जो भी काम करता हूं उसमें मुझे सफलता मिलती है क्योंकि मैं अपना व्यक्तिगत काम नहीं कर रहा हूं. आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि मुझे मेरे घर के काम में बाधाएं आती है, उसे मैं सुलझा नहीं पाता हूं लेकिन जनता जो भी मेरे पास काम लेकर आती है उसे मैं सहजता से कर देता हूं. मुझे लगता है कि इसके पीछे भगवान का हाथ है, उसी की मर्जी है. ईश्वरीय प्रेरणा और कृपा से मैं राजनीति की पथरीली जमीन पर आगे बढ़ता ही जा रहा हूं.

अब तक आपके द्वारा किये गए कार्यो में से ऐसे कौन से कार्य है, जिससे आपको संतुष्टि मिलती है ?

इस तरह के अनेक काम है जिन्हें पूर्ण करने से मुझे संतुष्टि मिलती रहती है. जनहित से जुड़े सभी कार्य मेरे पसंदीदा विषय रहे है. जैसे गार्डन के काम हो, तो यह विचार मेरे द्वारा ही शुरू हुआ. मेरे ही इस कार्य से प्रेरित होकर अन्य जनप्रतिनिधि भी करने लगे. घर में बैठे हुए लोगों को बाहर निकालने में मुझे सफलता मिली. किडनी की बीमारी से लोग मर रहे थे, उन्हें बचाने के लिए मैंने डायलिसिस सेंटर शुरू किया. सरकार और महानगरपालिका के द्वारा भी पर्याप्त मात्रा में यह सुविधा नहीं दी जा रही थी. उत्तर मुंबई में मैंने 8 डायलिसिस सेंटर शुरू किया. परमेश्वर कैसे मेरी सहायता करते है उसे इस वाकये से समझिए, मैं जब दिल्ली गया तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को इस समस्या से अवगत कराया. जिसके बाद मोदी जी ने पुरे देश भर में ३ हजार डायलिसिस सेंटर शुरू किये. ऐसे कामों की सूची बहुत लम्बी है. इसी से आप मेरे काम का अंदाजा लगा सकते है और जनहित के यह सारे कार्य करने पर मुझे अपार ख़ुशी व संतुष्टि मिलती है.

उज्वला योजना मुंबई में लागु नहीं थी, फिर आपने इसे यहां सफल बनाने के लिए क्या प्रयास किये और कैसे लोगों को रसोई गैस कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध कराई ?

मोदी जी ने उज्वला योजना शुरू की लेकिन यह योजना मुंबई शहर में लागु नहीं थी. शहरी भाग में रहने वाले लोग अमिर होते है ऐसी गलतफहमी हो गई है लेकिन वास्तविकता तो यह है कि शहरी भाग में ही अधिक संख्या में गरीब रहते है. मैंने उक्त योजना को निजी तौर पर शुरू किया. मैंने लोगों से आह्वान किया कि इस काम में आप हमें सहयोग कीजिये. लोगों के सहयोग से हमने उत्तर मुंबई में १७ हजार परिवारों को गैस कनेक्शन प्रदान किया. इससे धर्मेन्द्र प्रधान इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने यह योजना देश भर में लागु की. मुझे इसकी प्रसन्नता है कि मेरी पहल से यह योजना देश भर में लागु हो पाई.

महाविकास आघाडी के विषय में आपका क्या मत है ?

यह जो सरकार चल रही है इस पर अनेक लोगों का अलग-अलग मत होगा. हर विषय को एक अलग अंदाज से देखने की मेरी आदत है. हिंदुत्व के जो समर्थक थे वह आज विरोधी पक्षों के साथ मिलकर सरकार चला रहे है. जब मैं पीछे मुड़कर अपने अतीत में देखता हूं कि हमारे देश पर मुगलों ने राज किया, अंग्रेजों ने राज किया, तो ध्यान में आता है कि उस समय भी इसी तरह की परिस्थिति होगी. हमारा जो हिन्दू समाज है वह पूर्ण रूप से एकजुट कभी नहीं होता. उस समय भी ऐसा ही हुआ होगा इसलिए आज भी ऐसा ही हो रहा है. शिवसेना जैसी पार्टी बालासाहेब ठाकरे और शिवसेना के अनेक समर्पित कार्यकर्ताओं के विचारों को त्याग कर केवल सत्ता प्राप्ति हेतु कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ चली गई तो इसे मैं दुर्भाग्य ही कहूंगा. जिस विचारों के लिए बालासाहेब ने अपना पूरा जीवन खपा दिया, अनेक शिवसैनिकों ने अपने जीवन की आहुति दी. जब अच्छे दिन आ गए थे और भाजपा और शिवसेना गठबंधन को जनता ने बहुमत दे दिया था बावजूद इसके जनता की मनोभावना को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री पद के लिए विरोधी पक्षों से मिलकर सरकार बना ली. हमने इतनी लम्बी यात्रा की और पराक्रम किया, जब हम विजयी हुए तभी अलग-अलग हो गए. यदि महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना एकजुट होती तो हम देश में अपना और अधिक योगदान दे सकते थे. हमारी राह में रूकावट जरुर आई है लेकिन यह स्थायी नहीं है, मुझे विश्वास है कि बहुत जल्द आनेवाले समय में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा.

महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा- शिवसेना के पोलटिकल-मैकेनिज्म को आप किस दृष्टि से देखते है ?

मेरा यह व्यक्तिगत मत है कि महाराष्ट्र में शिवसेना एक फ़ोर्स है. महाराष्ट्र की राजनीति अलग है. इसकी अन्य राज्यों से तुलना करना ठीक नहीं होगा क्योंकि अन्य राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की पहचान हिन्दुत्ववादी है लेकिन महाराष्ट्र में शिवसेना हिन्दुत्ववादी पार्टी के तौर पर पहले से मौजूद रही है. शरद पवार हो या अन्य कारणों से अथवा आपातकाल से लेकर जनता पार्टी के सरकार के दौरान भी कभी महाराष्ट्र बैकफुट पर नहीं गया. शिवसेना की हमेशा यहां की क्षेत्रीय राजनीति में अहम् भूमिका रही है. भारतीय जनता पार्टी के तौर पर स्वाभाविक है कि वह नंबर १ पर होनी चाहिए लेकिन यहां की वास्तविकता को भी स्वीकारना चाहिए. मान लीजिये हमने अकेले लड़कर सरकार बना भी ली तो भी हमें चार मोर्चों से रोज लड़ना पड़ेगा. इसमें हमारी उर्जा खत्म होगी और हम विकास कार्य में पिछड़ जाएंगे. लोगों की समस्या की ओर हम ध्यान नहीं दे पाएंगे इसलिए इस संदर्भ में एक नया मैकेनिज्म तैयार किया जाना चाहिए. मेरा व्यक्तिगत मानना है कि कभी-कभी मन मार कर काम करना चाहिए. उसी तरह समाज, राज्य एवं राष्ट्रहित में राजनीतिक नेतृत्व को मन मारना चाहिए. मुझे जो मिलना चाहिए था, भले ही वह मुझे नहीं मिला लेकिन जो मुझे मिला है उससे मैं कैसे लोगों का भला कर सकता हूं, इसका विचार करना चाहिए.

राजनीति में आज भी परिवारवाद, वंशवाद का बोलबाला है, क्या आप भी अपने बेटे को राजनीति में लाने के इच्छुक है ?

जैसे एक डॉक्टर अपने बेटे को डॉक्टर बनाने का ही प्रयास करता है. उसी तरह राजनीति के लोग अपनी विरासत अपने बच्चों को सौपना चाहे तो उसमें कोई गलत बात नहीं है क्योंकि वह अपने पिताजी के साथ उनके काम में हाथ बंटाता रहा है. उसका अनुभव बढ़ता रहा है. यदि उसमें योग्यता है और वह आगे बढ़ता है तो इससे किसी को आपत्ति नहीं होती लेकिन जब एक ही परिवार के ३ से ४ लोग पदों पर कब्जा जमा लेते है तो विरोध के स्वर उठना स्वभाविक है. रही बात मेरी तो मैं नहीं चाहता कि राजनीति में मेरे परिवार के लोग आए क्योंकि जो कुछ भी मुझे मिला वही प्यार, सम्मान, जन समर्थन मेरे बेटे को भी मिलेगा, यह संभव नहीं है. मेरा मानना है कि परमेश्वर ने मुझे इस काम के लिए चुना इसलिए मुझे समर्थन करने वाले लोग मिलते गए, परन्तु ऐसा ही मेरे बेटे के साथ होगा, ऐसा मैं नहीं कह सकता इसलिए उसे राजनीति में नहीं आना चाहिए, अन्य लोगों को मौका मिलना चाहिए.

एक नगरसेवक से लेकर सांसद तक का सफ़र आपने सफलतापूर्वक तय किया है. आपकी कार्यप्रणाली के बारे में बताएं ?

मैं दो तरह से आपके सवाल का जवाब देने का प्रयास करूंगा. कुछ लोग राजनीति में कुछ बनने के लिए आते है और कुछ लोग कुछ करने के लिए आते है. तो मैं करने वालों में का प्रोडक्ट हूं. मैं शायद पहला ऐसा व्यक्ति होऊंगा कि जब मुझे १९९२ में पहली बार चुनावी टिकट दिया गया तो मैंने कहा कि मुझे मत दो, यह मेरा काम नहीं है और मेरा व्यवसाय बहुत अच्छा चल रहा है. तब राम नाईक जी ने मुझसे मुलाकात की और मुझे चुनाव लड़ने के लिए मना लिया. मैंने चुनाव लड़ा और जीतते चला गया. दूसरी बार जितने पर मैंने जितने के लिए काम नहीं किया बल्कि मैं जनहित में काम करते गया. सही के साथ सही और गलत के साथ गलत की नीति, पर जनहित से जुड़े कार्यों को मैंने प्राथमिकता दी. यदि मैंने उसका काम नहीं किया तो वह मुझे वोट नहीं देगा यह विचार मैंने कभी किया ही नहीं. केवल जो सही लगा वही काम किया और हर बार जीतता गया. यदि मैंने जितने के लिए काम किया होता तो शायद मैं नहीं जीत पाता. आज मेरी यह छवि बन गई है कि गोपाल शेट्टी के पास सही काम लेकर जाओगे तो वह करेंगे और गलत काम होगा तो वह नहीं करेंगे. उसका मुझे बहुत लाभ मिलता है तो आप कुछ करने के लिए काम करो तो सफलता आपके कदम जरुर चूमेंगी. यदि आप कुछ बनने के लिए आये हो तो बहुत लोग बनते तो है लेकिन बिगड़ भी जाते है. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि जो लोग कुछ बनने के लिए आये वे सभी फेल हो गए. वह सफल भी हुए है लेकिन अधिकांश लोग असफल हुए है. आप इस उदाहरण से समझिए, पहले देश के प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह थे जो कुछ करते भी नहीं थे और कुछ बोलते भी नहीं थे इसलिए वह कुछ खास कर भी नहीं पाए. लेकिन प्रधानमंत्री पद पर जैसे ही नरेंद्र मोदी आसीन हुए तो केवल देश में ही नहीं अपितु दुनिया में वह छा गए क्योंकि वह कुछ बनने के लिए नहीं बल्कि कुछ करने के लिए आये है और उन्होंने कर दिखाया है. वह कुछ करने के लिए ही बने है.

राजनीतिक जीवन में आप काफी व्यस्त रहते होंगे, ऐसे में आप स्वयं का मनोरंजन कैसे करते है ?

वैसे लोग मुझे बहुत धीर गंभीर व्यक्ति के रूप में जानते है. लोग कहते है कि गोपाल शेट्टी यानी सीरियस व्यक्ति लेकिन मैं पहले ऐसा नहीं था. पहले के जो मेरे मित्र दोस्त है वह मेरे बिना पिकनिक के लिए जाते नहीं थे. उन दिनों मेरा वैसा स्वभाव था लेकिन जनप्रतिनिधि बनने के बाद मैंने स्वयं को पूरा बदल दिया. मैं बहुत ही भावुक व्यक्ति हूं. जब भी कोई नागरिक अपनी समस्या लेकर मेरे पास आता है तो वह केवल उसकी समस्या नहीं रहती बल्कि मेरी बन जाती है और उसके निराकरण से ही मुझे समाधान मिलता है. मैं बेहद संवेदनशील हूं इसलिए मेरा ऐसा स्वभाव बन गया है. लोगों की सेवा में तल्लीन रहने से ही मेरा मनोरंजन हो जाता है. उसके बिना मुझे चैन नहीं आता है. जब तक मैं लोगों का काम नहीं करूंगा तब तक मुझे ख़ुशी नहीं मिलती. जिस दिन मुझे दो-चार लोगों की सेवा करने का अवसर नहीं मिला तो मैं मायूस हो जाता हूं. जितना मैं ज्यादा लोगों से मिलता हूं, जितने ज्यादा जगहों पर जाता हूं उसी से मेरा मनोरंजन हो जाता है.

 

 

जनसेवा के प्रति आपका समर्पण सराहनीय एवं प्रेरणादायी है. आगे आप भविष्य में क्या करना चाहते है ?

मुंबई में आज भी ६० प्रतिशत जनसंख्या झोपड़पट्टी क्षेत्रों में रहती है और उनकी समस्याओं के बारे में कोई बोलता ही नहीं है. एसआरए योजना है लेकिन लोगों को घर नहीं मिलता है. डिफेंस क्षेत्र में विकास योजनाएं रुकी हुई है. एयरपोर्ट के आसपास के विकास कार्य रुके हुए है. मैं एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए क़तर में गया था. वहां पर प्रत्येक नागरिक स्वयं के मालिकाना फ़्लैट में रहता है. जब किसी नागरिक का स्थायी घर होगा तो वह अपनी पूरी क्षमता से कार्य को पूरा कर पाएगा लेकिन हमारे देश में अपना घर लेने के लिए अपने जीवन के कीमती सुनहरे समय गंवा देने पड़ते है. लोगों की आवश्यकता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आवास योजना शुरू की है. एमएमआरडीए द्वारा जो घर बनाया जा रहा है उसमें मात्र ७ लाख रूपये में घर मिलेगा. भाजपा और शिवसेना की जब सरकार थी तब २०१७ में हमने कानून बनाया था, जिसके तहत मुंबईकरों को घर मिलने में आसानी होती, जिसे राष्ट्रपति से भी मंजूरी मील गई थी. आज ४ वर्ष गुजर गए लेकिन उसे अभी तक अमल में नहीं लाया जा रहा है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद कानून को लागु नहीं किया जाना यह राष्ट्रपति और संविधान का अपमान है. इसी तरह के कई समस्याएं आज भी जस की तस बनी हुई है उसका समाधान निकालने के लिए मैं आगे भी सतत संघर्षरत रहूंगा.

हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के संदर्भ में आपके क्या विचार है ?

देश में अनेक समाचार पत्र और पत्रिकाएं है जो शुरू हुए और बंद हो गए. कुछ बदनाम हो गए आदि आदि… लेकिन हिंदी विवेक अपने प्रारंभ से लेकर अब तक समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है. इसके पीछे का कारण क्या है तो हिंदी विवेक केवल आर्थिक लाभ के लिए कार्य नहीं करता. हिंदी विवेक राष्ट्रीय विचारधारा के प्रति समर्पित होकर कार्य करता है. यह राष्ट्रीय विचारधारा आज यशस्वी हो रही है. भाजपा, संघ परिवार से जुड़े संगठनों का अपने-अपने कार्य क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान है और उसकी सफलता का राज उसके विचारशक्ति में है. यही विचारों को जीवित रखने और उसे आगे ले जाने का कार्य हिंदी विवेक ने किया है.

हिंदी विवेक की टीम सहित देश को आप क्या संदेश देना चाहेंगे ?

हिंदी विवेक की आज जो प्रगति हुई है उसमें हिंदी विवेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इतने वर्षो में बहुत लोग आये और बहुत लोग चले गए लेकिन अमोल जी ने मेरा साथ कभी नहीं छोड़ा, वह हमेशा मेरे साथ रहे. उनकी कार्यप्रणाली प्रेरणादायी है. उनका काम करने का एक अनोखा तरीका है. उनका मानना है कि समाज के सकारात्मक अवसरों पर ध्यान देंगे और उस पर निरंतर काम करेंगे, उतना ही आप अपने कार्यक्षेत्र में टिके रहेंगे. समय आने पर वह अवसर जरुर आएगा जब हिंदी विवेक बुलंदियों को छुएगा. आपको सफल होने से कोई रोक नहीं सकता. इस अवसर पर हिंदी विवेक की सम्पूर्ण टीम को मैं कहना चाहता हूं कि आप कभी भी स्वयं की क्षमता पर संदेह मत कीजिये और ऐसा मत सोचिये कि मैं छोटा व्यक्ति हूं, मैं क्या कर सकता हूं. दुनिया में बड़े से बड़े लोगों का इतिहास उठा कर देख लीजिये, जिन्होंने भी ऊंचाई का सफ़र तय किया वह भी कभी छोटे ही थे. हिंदी विवेक का बीज १२ वर्ष पहले लगा है अब वह विराट वटवृक्ष होने की ओर अग्रसर है.

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