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उत्तराखंड बनेगा वैश्विक पर्यटन केंद्र – सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री

उत्तराखंड बनेगा वैश्विक पर्यटन केंद्र – सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री

by हिंदी विवेक
in उत्तराखंड दीपावली विशेषांक नवम्बर २०२१, विशेष, साक्षात्कार
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इंसान जब अपने आप में खुशी और शांति को तलाश करता है, तो उत्तराखंड के हरिद्वार और ऋषिकेश में जरुर आता है। हमें विश्वास है, संपूर्ण विश्व उत्तराखंड की ओर भविष्य में अपनी आध्यात्मिक शांति के लिए आएगा। उत्तराखंड राज्य के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी। उत्तराखंड के लोग अत्यंत सहज और सहयोग देने के लिए तत्पर होते हैं। निकट भविष्य में वे पूरे विश्व के लोगों को अपनत्व देंगे और विश्व का अपनत्व लेंगे।

आध्यात्मिक भूमि और अलौकिक आनंद की अनुभूति देने वाले राज्य के प्रति आपकी क्या धारणा है?

स्कंद पुराण के केदारखंड में उत्तराखंड का उल्लेख आता है। यहां पर उसको अति पवित्रतम देवताओं की भूमि माना है। यहां पर हमारे चारों धाम बसते हैं। यहां पर देवताओं को मान्यता दी गई है साथ में हमारी जलधारा, नदियां हैं, उन्हे भी पवित्र रूप में माना गया है। यह संस्कार भूमि है। यहां चारों धाम में हम संस्कार धारण कर सकते हैं। व्यसन मुक्त हो सकते हैं। यहां आने पर यात्री अपना कोई एक अवगुण छोड़ कर जाते हैं। यह अपने पूर्वजों का स्मरण करने की तर्पण भूमि है।

यहां आने वाले सभी यात्रियों को सुखद यात्रा की अनुभूति किस प्रकार हो रही है?

कोरोना के कारण यात्रा पर न्यायालय ने रोक लगाई है लेकिन नैनीताल न्यायालय में सरकार के माध्यम से पिटीशन रखी गई थी, खुशी की बात यह है कि हमारी वह पिटीशन मंजूर हुई है। यहां पर कोरोना का प्रसार न हो इसलिए हमने कुछ आवश्यक बातों पर ध्यान रखा है। यहां कि आबोहवा स्वास्थ्य के लिए बहुत सकारात्मक है। यहां का पर्यटन ‘ऑक्सीजन टूरिज्म’ कहा जाता है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हमने यात्रियों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दिया है। कोरोना की यह समस्या हल होने के बाद जल्द ही इस विषय पर हमारा ध्यान केंद्रित होगा।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड की गुफा में ध्यान साधना की थी, इससे धार्मिक पयर्टन को कितना लाभ हुआ?

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के पर्यटन को बहुत प्रभावित किया है। केदारनाथ में वे स्वयं पधारे। एक गुफा में वे ध्यान साधना के लिए बैठे थे। जहां प्रधान मंत्री मोदी ने बैठकर तपस्या की थी, आज वह स्थान यात्रियों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

कोरोना की दो लहरों के बाद संपूर्ण यात्रा मार्ग पर आपदा प्रबंधन के कौन-कौन से उपाय किए हैं?

कोरोना के बाद स्वास्थ्य की दृष्टि से जगह-जगह पर हेलीपैड का निर्माण किया है ताकि स्वास्थ्य के संदर्भ में यदि यात्रियों को कोई दिक्कत आती है तो उन तक स्वास्थ्य सुविधा जल्द पहुंच सके। श्रीनगर में बांध बनाया गया है। वह पानी को रोकेगा, जिसका मतलब यह है कि अब हरिद्वार और ऋषिकेश सुरक्षित रहेंगे। सड़कों को भी हमने बेहतर बनाया है। रेलवे मार्ग की कनेक्टिविटी बढ़ रही है। यात्रा में कोई दिक्कत आती है तो दूसरे वैकल्पिक रास्ते भी बनाए हुए हैं। वैकल्पिक मार्गों से लोग आसानी से जा सकते हैं। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पूरा इंतजाम हमारी सरकार कर रही है। अभी भूस्खलन के कारण थोड़ी दिक्कत आ रही है, लेकिन थोड़े दिनों के बाद यह सब समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।

आपके नेतृत्व में पर्यटन क्षेत्र में जो महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं उन कार्यों की जानकारी दीजिए ?

मैंने भगवती और शिव का सर्किट बनाया है। पुराण काल से जुड़े हुए कई मंदिर यहां पर स्थापित हैं। हमने उन्हें सुशोभित कर आकर्षक बनाया है। हमने नव ग्रह मंदिर सर्किट बनाया है। राहु का मंदिर, काली का मंदिर, भीमताल में बृहस्पति का मंदिर है। इन सारे मंदिरों का हमने सौंदर्यीकरण किया है। ये सारे मंदिर अत्यंत विशेषतम मंदिर है। गोलू देवता, हनुमान, महाशिव के साथ जहां-जहां स्वामी विवेकानंद ने यात्रा और तपस्या की उन स्थानों का भी सर्किट बनाया है।

हर 6 साल के बाद यहां अर्धकुंभ का आयोजन होता है। इसके लिए आप क्या तैयारियां करते हैं?

कुंभ मेला और यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए हमने  हरिद्वार में रिंग रोड बनाए हैं। जिससे भीड़ को काबू में रख सकें। वहां होने वाले ट्रैफिक को हमने विभाजित किया है। अभी आपने जो 6 साल के अर्ध कुंभ की बात कि है वह तो होता ही है, साथ ही प्रत्येक वर्ष हमारे यहां कांवड़ यात्रा होती है और वह भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसकी ‘मॉनिटरिंग’ के लिए इस रिंग रोड से बड़ी सफलता मिली है। इस यात्रा पर ड्रोन से निगरानी होती है। काफी सुविधाओं का विचार हो रहा है। आनेवाले समय में व्यक्तिगत दूरी का भी ख्याल हमें रखना है। आने वाले यात्रियों की स्वास्थ्य की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना हैं कि उन्हें बूस्टर लगाना जरूरी है। बूस्टर लगाने की सुविधा प्रदान करने पर भी हम विचार कर रहे हैं। अर्ध कुंभ, कांवड़ यात्रा में सभी के स्वास्थ्य को लेकर सभी तरह का इंतजाम हो रहा है।

उत्तराखंड के जंगलों में निरंतर लगने वाली आग और उसका बेकाबू हो जाना हर बार एक सवाल छोड़ती है। इससे छुटकारा पाने के लिए पर्यटन मंत्रालय किस प्रकार की तैयारी कर रहा है?

यह एक बड़ी समस्या है। जंगल के आसपास जो बस्तियां है उन बस्तियों के कारण यह समस्या निर्माण होती है। जिससे जंगल में रहने वाले प्राणियों की जानमाल की हानि होती है। जंगल में लगने वाली आग से छुटकारा पाने के लिए गांव वालों से भी सहायता ली जा रही है। जंगल में जो घास उगती है, उसे जलाया जाता है, उस कारण भी आग लगती है। इस पर काबू पाने के लिए अब सेटेलाइट से भी निगरानी रखी जाएगी।

उत्तराखंड में निरंतर राजनीतिक परिवर्तन की स्थिति रहती है। इससे उत्तराखंड के विकास पर किस तरह का असर होता है?

परिवर्तन संसार का नियम है। जहां सकारात्मक परिवर्तन होते रहते हैं, वहां पर इस प्रकार के फेरबदल तो चलते ही रहते है। उत्तराखंड में देवताओं का निवास है। जहां देवता है, वहां मंथन होता ही रहता है और उस मंथन से अमृत निकलता ही है। मुख्य कारण जो मैं समझता हूं कि इस मंथन से अच्छे व्यक्तियों को मौका मिलता है, वह बहुत कुछ अच्छा कर सकते हैं।

उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊं दो प्रांतों के लोगों में रहन-सहन में बहुत अंतर प्रतीत होता है। यह अंतर यहां की राजनीति के कारण हैं या उसका कोई और कारण है?

अंग्रेजों के शासन काल में दो कमिश्नरी बनी थी। एक गढ़वाल कमिश्नरी और दूसरी कुमाऊं कमिश्नरी। क्षेत्र की अलग-अलग भौगोलिक रचना के कारण यह अंतर महसूस होता था। अब उत्तराखंड राज्य बन जाने के बाद इसमें बहुत सामंजस्य आया हुआ है। एक दूसरे को अपनी विरासत बांट कर रहे हैं। अब इन दोनों में सामंजस्य और एकता बहुत गहरी हो गई है। जो उत्तराखंड को विकास के मार्ग पर ले जाने में अपना सहयोग दे रही है। यह जो गढ़वाल-कुमाऊं चर्चा है न, वह अब नाम मात्र रह गई है। हम सब उत्तराखंडी हैैं और उत्तराखंड के विकास के लिए कटिबद्ध हैं।

आप एक सकारात्मक विचार करने वाले राजनेता है। आगामी 10 वर्षों में आप उत्तराखंड को किस रूप में देखना चाहते है?

हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में देखना चाहते हैं। एक बहुत बढ़िया विचार उन्होंने हमें दिया हुआ है। उत्तराखंड में इंटरनेशनल एयरपोर्ट हो, जहां पर सारे विश्व के विमानों का आवागमन हो। योग, आयुर्वेद, अध्यात्म से प्रभावित होकर शिक्षा का आनंद लेने के लिए, समय-समय पर उत्तराखंड में होने वाले ‘योग फेस्टीवल’ में यहां संपूर्ण विश्व से यात्री आएं। जो हमारा साधु समाज है, उनके शिष्य सीधे हरिद्वार उतरें। संपूर्ण विश्व के हिंदू अपने पैतृक कार्य के लिए उत्तराखंड में आएं। भारत समेत संपूर्ण विश्व के पर्यटक इस देवभूमि का आनंद लेने आएं। यह बात तब हो सकती है जब उत्तराखंड में इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सुविधा होगी। इससे उत्तराखंड का विकास बहुत बड़ी मात्रा में हो सकता है। इंसान जब अपने आप में खुशी और शांति को तलाश करता है, तो उत्तराखंड के हरिद्वार और ऋषिकेश में जरुर आता है। हमें विश्वास है, संपूर्ण विश्व उत्तराखंड की ओर भविष्य में अपनी आध्यात्मिक शांति के लिए आएगा। उत्तराखंड राज्य के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी। उत्तराखंड के लोग अत्यंत सहज और सहयोग देने के लिए तत्पर होते हैं। निकट भविष्य में वे पूरे विश्व के लोगों को अपनत्व देंगे और विश्व का अपनत्व लेंगे।

सिनेमा जगत को उत्तराखंड की ओर आकर्षित करने के लिए हो रहे  प्रयासों की जानकारी दीजिए?

फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए लोगों को उत्तराखंड की आबोहवा बहुत पसंद आती है। हम उनको फिल्म निर्माण के लिए उत्तराखंड में आमंत्रित कर रहे हैं। सरकार और उत्तराखंड की जनता फिल्म इंडस्ट्री को पूरा सहयोग देने के लिए तैयार है। यह बात हम उन तक पहुंचा रहे हैं। उनके लिए अलग-अलग सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं। जिसका असर होता हुआ उत्तराखंड में दिखाई दे रहा है।

 

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