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पर्यटन: राज्य की आय का प्रमुख स्रोत

पर्यटन: राज्य की आय का प्रमुख स्रोत

by डॉ. प्रभाकर उनियाल
in उत्तराखंड दीपावली विशेषांक नवम्बर २०२१, पर्यटन, विशेष
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राज्य के पर्यटन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य के 327 मुख्य पर्यटन स्थलों के लिए 176 पर्यटक आवास गृह, 33 रैन बसेरे, 5619 निजी होटल तथा पेइंग गेस्ट एवं 895 धर्मशालाएं उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त होम स्टे के रूप में भी पर्यटकों के लिए बड़ी संख्या में आवासीय व्यवस्थाएं बनाई गईं हैं, जहां अतिथि के रूप में स्थानीय रीति-रिवाजों व रहन-सहन के साथ ग्राम्य जीवन का आनन्द लिया जा सकता है।

भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से विशेष भौगोलिक परिस्थितियों के चलते 9 जून 2000 को अलग होकर राज्य के रूप में अस्तित्व में आया उत्तराखंड देश का 27 वां राज्य है। पूर्व में नेपाल, उत्तर में तिब्बत (चीन), पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश के मध्य बसे इस क्षेत्र का अधिकांश भूभाग पर्वतीय है, जिसका क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किमी. (देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 1.6 प्रतिशत) जिसमें से 38,000 वर्ग किमी वन क्षेत्र है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की आबादी 10,086,292 (देश की कुल जनसंख्या का 0.8 प्रतिशत) है। दो मण्डलों और तेरह जिलों में बंटे, 101 नगर निकायों व 95 विकास खंडों वाले इस राज्य की अस्थाई राजधानी देहरादून है तथा उच्च न्यायालय नैनीताल में है।

पांच देशों (भारत, नेपाल, भूटान, चीन व पाकिस्तान) में फैली लगभग 2400 किलोे मीटर लम्बी हिमालय पर्वत श्रृंखला के लगभग मध्य में, दो पौराणिक व ऐतिहासिक क्षेत्रों को समेटे हुए, देवभूमि के नाम से चर्चित उत्तराखंड हमेशा से ही देश विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है। भारत के उत्तरी भूभाग को हरा-भरा करने वाली सदानीरा गंगा एवं यमुना के उद्गम स्थलों के साथ इनके किनारों पर नैसर्गिक सौंदर्य के बीच पनप कर समृद्ध हृई संस्कृति के साथ, यहां की बर्फीली चोटियां, शुद्ध व शीतल जल देने वाली नदियां एवं जलस्रोत तथा सघन वनों से मिलने वाली प्राणदायिनी वायु पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींच लेती है। इस राज्य में पर्यटन के अनेक क्षेत्र और अपार सम्भावनाएं हैं, जिनमें प्राकृतिक, नैसर्गिक, साहसिक, सांस्कृतिक वन्य जंतु, इको टूरिज्म तथा मनोरंजन (आमोद-प्रमोद) आदि अनेक विधाओं के लिए प्रचुर संसाधन उपलब्ध हैं। विश्व प्रसिद्ध चार धाम, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के साथ ही हेमकुंड, लोकपाल, नानकमत्ता, रीठा साहिब एवं पिरान कलियर नामक विभिन्न धर्मों के पवित्र तीर्थ स्थलों तथा ॠषिकेश एवं हरिद्वार के अलावा पंच केदार, पंच बद्री, पंच प्रयाग, जागेश्वर धाम, बैजनाथ और चितई के गोलू देवता जैसे धार्मिक स्थल पर्यटन के बड़े केन्द्र हैं। इनके अतिरिक्त गढ़वाल में सुरकण्डा, कुंजापुरी, चन्द्रबदनी, ज्वालपादेवी, देवलगढ़ की राजराजेश्वरी, धारीदेवी और कुमाऊं में नैनादेवी, मैनाली व देवीधुरा जैसे अनेकों सिद्धपीठों व शक्तिकेन्द्रों पर वर्षभर पर्यटकों की बड़ी संख्या में आवाजाही होती है। उत्तराख्ण्ड के ग्राम्यजीवन में कुलदेवता व इष्टदेवता के रूप में गणदेवताओं के भी अनेकों मन्दिर है देशभर में बसे इनके अनुयायी विशेष अवसरों और वैयक्तिक व सामाजिक आयोजनों के निमित्त इन स्थानों पर जुटते हैं।

धर्मिक पर्यटन के अलावा उत्तराखंड में देहरादून से मात्र 35 कि.मी. की दूरी पर स्थित व पहाड़ों की रानी के नाम से चर्चित मसूरी, सरोवर नगरी के रूप में अपनी खास पहचान वाला नैनीताल, सांस्कृतिक गतिविधियों एवं शिक्षा के लिए प्रसिद्ध अल्मोड़ा, मनोरम द़ृश्यों वाला पौड़ी, गढ़वाल व कुमाऊं के नाम पर गठित रेजिमेन्ट्स के सैनिक केन्द्रों के रूप में खास स्थान रखने वो लैन्सडाउन और रानीखेत, प्राकृतिक सुन्दरता से निखरे कौसानी जैसे कई सारे हिल स्टेशन हैं। इन स्थानों पर सैर सपाटे, मनोरंजन व आमोद-प्रमोद के लिए साल भर यात्रियों की आवाजाही होती रहती है। मसूरी में और अधिक विस्तार में कठिनाई के चलते हनीमून डेस्टिनेशन के रूप में अब इसके 50 किमी के अन्दर धनोल्टी, काणाताल, चम्बा, चोपता व खिर्सू में भी बड़ी संख्या में पर्यटक आने लगे हैं। इनके अलावा भीमताल, देवरिया ताल, हेमकुंड झील, नानक सागर, नौकुचिया ताल और वासुकी ताल भी यात्रियों को खासतौर पर पसन्द आ रहे हैं। आसन झील में प्रवासी पक्षियों का कलरव विषेश आकर्षण का केन्द्र बन रहा है।

साहसिक पर्यटन के अन्तर्गत पर्वतारोहण के लिए हिमालय पर्वत श्रृंखला के भागीरथी शिखर, चंद्रशिला शिखर, चौखंबा शिखर, स्वर्गारोहिणी और त्रिशूल शिखर आरोहियों में भारी रोमांच पैदा करते हैं। इसी प्रकार जंगल सफारी, माउंटेन बाइकिंग, पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग (गंगा में देवप्रयाग से शिवपुरी और देहरादून के त्यूणी व उत्तरकाषाी के मोरी के बीच), स्किन ट्रैकिंग, बंगी जंपिंग, वाटर स्पोर्ट्स और स्टार्गेजिंग जैसी साहसिक गतिविधियों के लिए भी उत्तराखंड में अनेक केन्द्र अपना स्थान बना रहे हैं। चमोली जिले में जोशीमठ के पास स्थित औली स्कीइंग जैसे बर्फ के खेलों के लिए पूरे देश में चर्चित हो रहा है।

प्राकृतिक पर्यटन के अंतर्गत फूलों की घाटी, वेदिनी बुग्याल, चौकोरी और चकराता पर्यटकों को नये आनन्द का अनुभव कराते हैं। वन्य जीव पर्यटन के लिए जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, नंदा देवी नेशनल पार्क, राजाजी नेशनल पार्क, गंगोत्री नेशनल पार्क और बिनसर वाइल्डलाइफ सेंचुरी प्रमुख आकर्षण के केन्द्र हैं। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा पर डिस्कवरी चैलन ने विषेश फिल्म भी बनाई है। इन अभयारण्यों में हाथियों के झुण्डों के अलावा बहुत बड़ी संख्या में बाघों का भी प्राकृतिक आवास है। इनकी संख्या निरन्तर बढ़ रही है, जो पर्यटकों में खास रोमांच पैदा करती है।

राज्य के पर्यटन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य के 327 मुख्य पर्यटन स्थलों के लिए 176 पर्यटक आवास गृह, 33 रैन बसेरे, 5619 निजी होटल तथा पेइंग गेस्ट एवं 895 धर्मशालाएं उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त होम स्टे के रूप में भी पर्यटकों के लिए बड़ी संख्या में आवासीय व्यवस्थाएं बनाई गईं हैं, जहां अतिथि के रूप में स्थानीय रीति-रिवाजों व रहन-सहन के साथ ग्राम्य जीवन का आनन्द लिया जा सकता है। उत्तराखंड में तंदूरी उत्सव, बट सावित्री, बिठौली इगास दिवाली, घी संक्रांत, घुघुतिया, हरेला और फूलदेई जैसे त्योहार प्रमुखता से मनाए जाते हैं। सावन के महीने में होने वाली कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार में लाखों लोग सम्मिलित होते हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश में कई स्थानों पर मेलों का आयोजन किया जाता है जिसमें देवीधुरा में पत्थर मार मेला, देहरादून का झंडा मेला, हरिद्वार में आयोजित होने वाला महाकुंभ, नंदा देवी महोत्सव और उत्तरकाशी का उत्तरायणी मेला आदि प्रमुख हैं।

चीन (तिब्बत) के साथ सटे राज्य के जिलों, उत्तरकाशी, चमोली व पिथौरागढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों, नेलांग, हर्शिल, नीति, माणा, मुन्स्यारी व धारचूला में भोटिया और रं जैसी जनजातियां अपनी विशिष्ट वेशभूशा और समृद्ध परम्परा के साथ मनमोहक लोकनृत्यों से पर्यटकों के लिए अनूठा आकर्षण पैदा करती हैं। देहरादून जिले में हिमाचल से सटे जनजाति क्षेत्र जौनसार में वर्षभर मेलों व जागरों की धूम मची रहती है, वहां के सामूहिक लोकनृत्यों पर पैर अनायास थिरकने लगते हैं। अज्ञातवास के दौरान पाण्डव लाक्षागृह में अर्थात जौनसार के लाखामण्डल में ही रहे थे, वहां उत्खनन में महाभारतकालीन शिवलिंगों सहित अनेक वस्तुएं मिली हैं जो वहीं संग्रहित हैं, पर्यटक बड़ी संख्या में उन्हें देखने जाते हैं। जौनसार के महासू देवता की हिमाचल में भी बहुत मान्यता है और श्रद्धालु वहां वर्षभर आते रहते हैं।

वर्ष 2020 के लिए प्रस्तुत राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार राज्य के विकास के मूल प्रेरक (ग्रोथ ड्राइवर्स) उद्यान, पर्यटन, ऊर्जा, परिवहन एवं उद्योग हैं। इनमें से पर्यटन पर राज्य का विशेष ध्यान है, जिसके अंतर्गत नए पर्यटन स्थलों को विकसित करने, साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने, पर्यटन स्थलों पर आधारभूत सुविधाएं विकसित करने हेतु निजी निवेशकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसमें भारत सरकार की सहायता से ऑल वेदर रोड, ॠषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग, जौलीग्रांट हवाई अड्डे का विस्तार तथा टिहरी झील के विकास की ओर से विशेष योगदान मिलने का अनुमान है। पुरकुल गांव से मसूरी लाइब्रेरी के बीच रोप-वे प्रणाली का निर्माण भी प्रस्तावित है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी में 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी (लकड़ी की सीढ़ीनुमा पुल वाली) ऐतिहासिक गरतांग गली, जिसे 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद बंद कर दिया गया था, अब करीब 59 सालों बाद दोबारा पर्यटकों के लिए खोल दी गई है। ताजा प्राप्त जानकारी के अनुसार हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा देहरादून से टिहरी झील तक एक विषेश सुरंग बनाने का निर्णय भी लिया गया है जिससे तीन घंटे की यात्रा महज आधा घंटे में पूरी हो जायेगी। इसके चलते वहां पर्यटकोें का बहुत बड़ी संख्या में आवागमन होगा, आशा की जा रही है कि टिहरी झील भविष्य में देश-विदेश के पर्यटकों के लिए पर्यटन का बड़ा केन्द्र होगी।

वर्ष 2019 को पर्यटन का सामान्य वर्ग मानते हुए उत्तराखंड के 28 प्रमुख केंद्रों में आए पर्यटकों की संख्या के विश्लेषण से ज्ञात होता है कि इनमें से अनुमानत: 65.95% यात्री धार्मिक पर्यटन (55.50 प्रतिशत केवल हरिद्वार) से जुड़े थे, जबकि 21.60 प्रतिशत हिल स्टेशन (मनोरंजन एवं आमोद प्रमोद आदि) पर आए थे। साहसिक पर्यटन के लिए यह आंकड़ा 2.30, वन अभ्यारण में 1.90, प्राकृतिक पर्यटन 0.50 प्रतिशत और लगभग 7.75 अन्य प्रकार के यात्री सम्मिलित थे। आंकड़े बताते हैं कि 28 प्रमुख पर्यटन केंद्रों पर 2019 में पर्यटकों की संख्या 392.26 लाख थी, जो 2020 में कोरोना काल के दौरान घटकर मात्र 78.75 लाख रह गई। राज्य में आने वाले पर्यटक अपने खर्च का 42.80 परिवहन, 29.60 पर्यटन संबंधी खरीददारी, 17.50 रेस्टोरेंट्स और 5.20 होटल पर तथा 4.60 चिकित्सा व्यय आदि पर अदा करते हैं। परिवहन, होटल व्यवसाय, रेस्टोरेन्ट्स, स्थानीय उत्पाद और धार्मिक क्रियाकलापों आदि के साथ जुड़े लाखों लोगों के लिए पर्यटन ही आजीविका का मुख्य साधन है। इससे लोगों की व्यक्तिगत आय के साथ कर आदि के रूप में राज्य की आर्थिकी में भी काफी योगदान मिलता है। पर्यटन गतिविधियों के घटने-बढ़ने से न केवल रोजगार की स्थिति,अपितु राज्य की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो़ती है। कोरोनाकाल के दौरान पर्यटन को पहुंची क्षति से इससे जुड़े लोगों की आय शून्य होकर बेरोजगारी जैसी स्थिति पैदा हो गई थी। इस स्थिति से राज्य अब उबरने लगा है और पर्यटन गतिविधियां फिर से पटरी पर लौट रही हैं।

 

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