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हमने बनाई  किसान फ्रेंडली पॉलिसी – सुबोध उनियाल (कृषि मंत्री)

हमने बनाई किसान फ्रेंडली पॉलिसी – सुबोध उनियाल (कृषि मंत्री)

by हिंदी विवेक
in उत्तराखंड दीपावली विशेषांक नवम्बर २०२१, साक्षात्कार, सामाजिक
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कोरोना काल की विपरित परिस्थितियों में भी उत्तराखंड ने सर्वाधिक खेती करने का कीर्तिमान बनाया और कृषि पुरस्कार हासिल किया। इसके साथ ही जैविक खेती में उत्तराखंड देश का अग्रणी राज्य बन गया है। किसानों की आय दोगुनी करने और उन्हे आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है, यह भरोसा देते हुए कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने अपने साक्षात्कार में कृषि से जुड़ी संभावनाओं, अवसरों एवं उपलब्धियों सहित सरकार की योजनाओं की चर्चा की। प्रस्तुत है उनके साक्षात्कार के प्रमुख अंश –

हमारा देश कृषि प्रधान है। उत्तराखंड राज्य में कृषि की वर्तमान स्थिति क्या है?

गत 4 वर्षों में भाजपा सरकार के माध्यम से कृषि के विकास के लिए संस्थाएं, नगर निगम बनाएं गए है। ग्रामीण क्षेत्रों के शहरीकरण के कारण कृषि भूमि कुछ मात्रा में कम हुई है। ऐसी स्थिति में खेती से किसानों का जुड़ा रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का संकल्प था कि किसानों की आय दुगनी होनी चाहिए, इसी संकल्प की पूर्ति के लिए उत्तराखंड राज्य में हमने बड़े प्रयास किए हैं। यहां पर छोटे और मझले किसान ज्यादा है। पीढ़ी दर पीढ़ी यहां पर खेती की उपजाऊ जमीन कम होती गई है। ऐसे में किसानों को खेती से जुड़ा रखना यह हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। हमारे 4 सालों में 2 साल तो कोरोना खा गया लेकिन ऐसी स्थिति में भी कोरोना काल में सर्वश्रेष्ठ खेती करने का पुरस्कार हमारे राज्य ने पाया है। इस कार्य में केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने मिलजुल कर प्रयास किए हैं, यह उसका ही फल है। गत 4 वर्षों में उत्तराखंड राज्य में कृषि उत्पादकता ज्यादा बढ़ी है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तराखंड को जैविक उत्पादक राज्य के रूप में देखना चाहते थे। हमें गर्व है कि जब उत्तराखंड राज्य बना तब 2 या 3 प्रतिशत कृषि भूमि पर हम जैविक खेती कर रहे थे। आज हम 50% के आस पास पहुंचे हैं और देश में सर्वाधिक जैविक खेती करने में उत्तराखंड राज्य अग्रणी है।

कृषी के अन्य क्षेत्रों से किसानों को जोड़ने हेतु कौन से प्रयास हो रहे हैं?

इसके अलावा एकीकृत किसान के आधार पर कृषि क्षेत्र में विकास करने का संकल्प हमने किया है। उसी के साथ साथ उद्यानिक और बागवानी कृषि विकास के लिए प्रयास कर रहे हैं। शहद का हब बनाने के लिए राज्य में मधु न्याय पंचायत योजना प्रारंभ की है। हर्बल सेक्टर में उत्तराखंड राज्य ने बहुत बड़ा योगदान दिया है। उद्यान विभाग के हमारे जो बगीचे है, उन बगीचों में हर्बल खेती करने की योजना प्रारंभ की। किसानों को जड़ी बूटी की खेती करने के लिए प्रयुक्त करने का प्रयास किया। मशरूम की खेती में बहुत बड़ी संभावना है, इस बात को ध्यान में रखकर उत्तराखंड राज्य के 25,000 किसानों को हमने मशरूम खेती से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री मशरूम योजना प्रारंभ की। नई टेक्नोलॉजी के साथ-साथ किसानों को सामर्थ्यशाली बनाने का प्रयास सरकार कर रही है। नई तकनीक का अवलंब करके किसानों की उत्पादकता बढ़ाने में सरकार ने बहुत ज्यादा जोर दिया है। उत्तराखंड यह पहला राज्य है जिसने जैविक उत्पादकता सहित इसकी प्रमाणिकता के साथ ब्रांड के रूप में स्थापित करने में सफलता पाई हैं। पौधों की गुणवत्ता सुनिश्चित कराने के लिए हम नर्सरी एक्ट ले आए हैं। किसान को बेचा गया मटेरियल खराब निकलता है तो चाहे वह प्राइवेट नर्सरी हो या सरकारी नर्सरी उन पर कठोर कार्रवाई करने का प्रयास सरकार ने किया है।  किसान को गुणवत्ता से भरा मटेरियल प्राप्त हो इसलिए सरकार कटिबद्ध है।

किसानों की आय बढ़ाने के लिए कौन से लाभकारी निर्णय सरकार के माध्यम से लिए है?

मंडी के माध्यम से किसानों के उत्पादन को खरीदने की योजना प्रारंभ की। इसका नतीजा यह मिला कि किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई। भविष्य में बागवानी उत्पादन को भी वर्टीकल्चर मार्केटिंग के रूप में खरीदने की योजना बना रहे हैं। किसान के उत्पाद की मार्केटिंग करके किसान को ज्यादा से ज्यादा लाभ देने के पक्ष में हमारी सरकार काम कर रही है। कोरोगेटेड बॉक्सेस ना होने के कारण उत्तराखंड के सेब मार्केट में उठाए नहीं जाते थे लेकिन अब उत्तराखंड सरकार ने किसानों को करोगेटेट बॉक्सेस उपलब्ध करवा देने की योजना बनाई। हिमाचल प्रदेश की तुलना में उत्तराखंड राज्य के सेब को भी इंटरनेशनल मार्केट में ले जाने का काम सरकार ने किया। इसका नतीजा यह हुआ कि इस बार उत्तराखंड के सेब की विक्री में विक्रमी गति आई हुई है। उत्तराखंड का किसान गरीब है इस कारण उत्तराखंड राज्य के किसानों की सब्सिडी में ज्यादा से ज्यादा लाभ देने का प्रयास हम कर रहे हैं। हमने 100 से ज्यादा निर्णय ऐसे लिए हैं जो किसानों के हित में हैं। जो किसानों की आय को बढ़ाने के लिए लाभकारी साबित हुए हैं।

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है। आपके राज्य में किसान किस प्रकार से आत्मनिर्भर हो रहे है?

उत्तराखंड यह देश का पहला राज्य है जिसने कोरोणा संक्रमण काल में जिला योजनाओं का 40% बजट केवल कृषि और उद्यान में खर्च किया जाए, इस प्रकार का शासकीय आदेश निकाला। इसका असर यह हुआ कि हजारों किसानों ने कोरोना काल में इस राज्य में वापस आकर कृषि के माध्यम से अपनी आजीविका चलाने का प्रयास किया। किसानों को यह संदेश देने में हमें सफलता मिली। सरकार किसानों के हित में हर संभव प्रयास करने हेतु तत्पर है।

उत्तराखंड राज्य के बेशकीमती कृषि भूमि की रक्षा के लिए उत्तराखंड राज्य सरकार के माध्यम से उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। सरकार को इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी?

कृषि क्षेत्र में सरकारी जमीन खरीदने के लिए आपको सरकार की अनुमति लेना आवश्यक है। इस राज्य में कृषि क्षेत्र में निवेश हो यह अत्यंत आवश्यक है। रोजगार की संभावना को हमें पैदा करना है इसलिए हमारी सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि अगर कोई निवेशक राज्य की औद्योगिक क्षेत्र में निवेश करना चाहता है तो उसे अनुमति प्रदान की जाएगी। सरकार की नीतियों का उपयोग राज्य के विकास की गति को रोकने के लिए नहीं बल्कि बढ़ाने के लिए करना है। हमारा यह मानना है की इससे राज्य के नौजवानों को रोजगार उपलब्ध होगा, राज्य में निवेश बढ़ेगा और पर्वतीय क्षेत्र का विकास होगा। उपजाऊ कृषि भूमि का दुरुपयोग न किया जा सके इसलिए सरकार ने कृषि भूमि की रक्षा हेतु उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।

आज देश के कुछ राज्यों में किसान आंदोलन जोर पकड़ रहा है। इसके द्वारा देश के किसानों को भ्रमित करने का प्रयास हो रहा है। उत्तराखंड राज्य के किसान इस विषय में कितने जागरुक है?

हमारे यहां पर्वतीय और मैदानी दो क्षेत्र है। पर्वतीय क्षेत्र में किसान कहीं भी आंदोलित नहीं है। मैदानी जनपदों में खासकर उधम सिंह नगर में किसानो को थोड़ज्ञ बहुत आंदोलित करने का प्रयास हो रहा है। उधम सिंह नगर में अकाली दल का थोडा प्रभाव है। खाद्यान्न निर्यात अकालियों का प्रभाव है। किसानों से कम दाम में लेकर जिस तरह से वह ज्यादा भाव में बेचते हैं, उनको खतरा लग रहा है कि ‘वन नेशन वन मार्केट’ कानून यशस्वी हो जाएगा तो उनका यह हित खतरे में आ जाएगा। अतः किसानों को भ्रमित करके इन्होंने अपने ‘कॉरपोरेट एंपायर’ को बचाने के लिए आंदोलन का प्रयास किया। जिन लोगों का एंपायर अब खत्म हो रहा है, वह किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर यह प्रयास कर रहे हैं लेकिन वास्तविक तौर पर उत्तराखंड का किसान यह जानता है कि कृषि कानून किसानों के हित में है और वह किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए लाया गया है।

उत्तराखंड में कोरोना के समय कृषि क्षेत्र की स्थिति किस प्रकार की थी?

कोरोना के कारण हर वर्ग प्रभावित था केवल किसान ऐसा वर्ग है जो इसके नकारात्मक प्रभाव से दूर था। उत्तराखंड सरकार ने किसानों को हर तरह के प्रतिबंध से दूर रखा। चाहे आयात, निर्यात हो तथा अन्य कोई कार्य। उत्तराखंड राज्य में उद्यान और कृषि विभाग के जो निवेशकों के मुख्य केंद्र थे वहां उनको इनपुट समय पर मिले इस पर हम ने जोर दिया। साथ ही साथ किसानों के आवागमन को हर तरह के प्रतिबंध से दूर रखा गया। कृषि विभागीय अधिकारियों के माध्यम से सभी से संवाद निरंतर प्रस्थापित रखा गया। इस कारण कृषि का क्षेत्र कोरोना के नकारात्मक प्रभाव से मुक्त रहा। यह एक संदेश था कि सरकार किसानों के हितों के प्रति सजग है, जागृत है। हमने किसान फ्रेंडली पॉलिसी बनाई। उस पर अत्यंत जागृत होकर कार्य किया। इन सारी बातों का किसानों में एक बेहतर संदेश गया और कोरोना के काल में भी किसान उत्साह से अपनी जमीन में कार्य करता रहा। जिसका असर उत्तराखंड राज्य में दिखाई दे रहा है।

पहाड़ी और तराई क्षेत्र में समान विकास हो, इसके लिए कृषि मंत्रालय की ओर से कौन से प्रयास हो रहे हैं?

मैदानी क्षेत्र के उत्पादकता के मुकाबले में पहाड़ी क्षेत्र की उत्पादकता 40% है। दुगने से ज्यादा उत्पादन मैदानी क्षेत्र में हो रहा है और पहाड़ों में जमीन की उत्पादकता बहुत कम है। पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि उपजाऊ जमीन कम होने के कारण वहां के किसानों के परिवार की उपजीविका चलाना यह कठिन बात हो जाती है। वह ठीक तरह से कैसे चले इस पर विचार होना आवश्यक है। मैदानी क्षेत्र में हम 20% सब्सिडी दे रहे है तो पहाड़ी क्षेत्र में वह 80% सब्सिडी दे रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्र में हम ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा समस्या यह है कि अपने आप को जीवित कैसे रखें। पर्वतीय क्षेत्र ज्यादातर सीमाओं से जुड़ा हुआ है और देश की सीमाओं के क्षेत्र से किसानों का पलायन नहीं रुका तो निश्चित रूप में आप मान लीजिए कि यह देश के लिए खतरा है। पर्वतीय किसानों का पूरी तरह से रक्षण होना यह देश की सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। कारगिल युद्ध के पूर्व एक चरवाहे ने पाकिस्तानी घुसपैठियों की सूचना भारतीय सेना को दी थी। यहां के स्थानीय लोग भारतीय सेना के हित में काम करने वाले देशभक्त नागरिक है। अगर सीमाएं खाली हो गई तो कब विदेशी सेना हमारे सीमा में घुस आएंगे हमें मालूम भी नहीं पड़ेगा। इस कारण सीमा क्षेत्र के जनपदों पर लक्ष्य केंद्रित करना और जनपदों के विकास पर लक्ष्य केंद्रित करना हमारा मुख्य उद्देश्य है।

आने वाले चुनाव में भाजपा की विजय निश्चित है ऐसा कहा जाता है । इस विजय को निश्चित करने के लिए कृषि मंत्रालय की उपलब्धि कितनी होगी?

हमारी राज्य में 65% लोग कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। प्रधान मंत्री का किसानों की आय दोगुनी करने का जो संकल्प था, उसको लेकर कृषि विभाग के बजट को कई गुना बढ़ाने का काम हमारी सरकार ने किया। कोविड काल में एक लाख करोड़ ‘एग्रीकल्चर इन्फ्राट्रक्चर फंड’ का प्रावधान किया गया। किसानों को बेहतर से बेहतर दाम मिल सके इसलिए एमएसपी पर काम किया। हमारी सरकार ने ज्यादा से ज्यादा निर्णय किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए किए है। किसानों में कल्चर डेवलप किया है। जिस तरह से किसानों का शोषण होता था उसको खत्म करने का प्रयास किया। इन सारे प्रयासों का ज्यादा से ज्यादा लाभ किसानों तक पहुंचा है। इससे किसानों में जो एक उदासीनता थी वह खत्म हो गई है और सरकार के प्रति सकारात्मकता निर्माण हुई है। इन सारी योजनाओं का लाभ आने वाले चुनाव में जरूर दिखाई देगा, यह हमें विश्वास है।

 

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