बजट में अर्थव्यवस्था के सभी अंगो का ध्यान रखा गया

वित्त मंत्री  निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत चौथे बजट के बारे में अगर थोड़े शब्दों में कहना हो तो यही कहा जाएगा कि नरेंद्र मोदी सरकार की पहले से चली आ रही दीर्घकालीन लक्ष्य से भारत को मजबूत आर्थिक शक्ति बनाने के लक्ष्य को ही साधने वाला है। उन्होंने अपने भाषण के आरंभ में कहा भी की आजादी के 75 में वर्ष में अगले 25 वर्ष यानी आजादी के 100 वर्ष पूरा होने तक के आधार देने वाला बजट है।वित्त वर्ष 2023 के लिए कुल 39.45 लाख करोड़ रुपये का बजट भारत के बढ़ते वित्तीय आकार का द्योतक है। हालांकि प्रश्न उठाया जा सकता है कि जब  कुल आमदनी 22.84 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है तो फिर इतने खर्च के लिए धन आएगा कहां से? हम सब जानते हैं कि सरकार हम एक स्रोतों से बजट लक्ष्य को पूरा करने के लिए धन प्राप्त करती है और यह एक स्थापित व्यवस्था है।

कोरोना की मारने विश्व के अन्य देशों की तरह भारत की अर्थव्यवस्था को भी काफी क्षति पहुंचाई। हालांकि देश की अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति 2020-21 की तुलना में बेहतर है। 2020-21 में राजकोषीय घाटा 9.3% की ऊंचाई तक चला गया था जो खतरनाक था। 2021-22 में इसे घटाकर सकल घरेलू उत्पाद का 6.8% का लक्ष्य रखा गया था और यह पूरा हुआ। 2025 26 तक राजकोषीय घाटा का लक्ष्य 4.5% तक लाने का लक्ष्य सरकार ने पहले से घोषित किया हुआ है। अप्रैल से नवंबर 2021 के जो वास्तविक आंकड़े हैं उनके अनुसार इस वित्तीय वर्ष का राजकोषीय घाटा लक्ष्य से भी बेहतर यानी 6.6% रह सकता है।

यह कोरोना महामारी से पीड़ित अर्थव्यवस्था के लिए सामान्य उपलब्धि नहीं है। यह उपलब्धि तब और बड़ी हो जाती है जब पता चलता है कि 2021-22 के प्रस्तावित बजट खर्च में अनुपूरक मांग जोड़कर 35 लाख करोड़ से 38 लाख करोड़ कर दिया गया जबकि दूसरी ओर विनिवेश से 1.75 लाख रुपए रुपए की आय का लक्ष्य था जबकि प्राप्ति इसके 5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो पाई है।

इन सबके बावजूद अगर राजकोषीय घाटा लक्ष्य भी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है तो इसका मतलब है कि विकास की गति तेज है और राजस्व अपेक्षा अनुरूप प्राप्त हो रहा है। 2021-22 के बजट में 17.9 लाख करोड़ प्राप्ति का लक्ष्य था। आयकर विभाग ने जो आंकड़े दिए है उसके अनुसार 16 दिसंबर 2021 तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 9.5 लाख करो रुपए हो चुका है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 61% ज्यादा है। वित्त मंत्रालय ने भी आंकड़ा जारी किया है जिसके अनुसार 2021-22 में प्रतिमाह औसतन 1.2 लाख करो रुपए का जीएसटी कर संग्रह हो रहा है। बजट पेश करने के पहले ही पिछले महीने का जीएसटी आंकड़ा 1.38 लाख करोड़ रहा है। इस तरह संतोषजनक कर राजस्व की प्राप्ति से केंद्र सरकार की आय बढ़ी है और राजकोषीय घाटा में अपेक्षा से बेहतर सुधार बता रहा है कि भारत मंदी के दौर से बाहर निकल रहा है। 2021-22 की पहली और दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर यानी आर्थिक वृद्धि दर क्रमश 20.1% और 8.4% रहने के बाद पूरे वर्ष सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर 9.2% रहने की संभावना है।

बजट में इसे रेखांकित किया गया है। आर्थिक विकास दर में वृद्धि का एक बड़ा कारण शखल स्थाई पूंजी निर्माण के बेहतर स्थिति है जो वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 11% से ज्यादा बढ़ा और 2019-20 से तुलना करें तो 1.5% ऊपर चला गया है। यह तभी होता है जब अर्थव्यवस्था में बेहतर निवेश हो। इसलिए निर्मला सीतारमण के पास आत्मविश्वास और भविष्य के लिए बेहतर अपेक्षाओं के पर्याप्त आधार उपलब्ध है। इस समय वित्त मंत्री के सामने मुख्य लक्ष्य हर हाल में विकास की गति को और तेज करना है। इसके लिए निवेश बढ़ाना तथा लोगों की आय बढ़ाना आवश्यक है । इससे ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे तथा लोगों को महंगाई की मार से निजात मिलेगी। लोगों की जेब में पैसा आएगा तो वह खरीदारी करेंगे और इससे पूरी अर्थव्यवस्था ठीक तरीके से संचालित होगी। सीतारमण ने बजट भाषण में अपनी प्राथमिकताएं इस प्रकार बताई- पीएम गति शक्ति, समावेशी विकास, उत्पादकता वृद्धि और निवेश, सनराइज अपॉर्च्युनिटी, ऊर्जा संक्रमण और जलवायु पर कदम और निवेश का वित्तपोषण।  उन्होंने यह भी कहा कि पीएम गति शक्ति 7 इंजनों द्वारा संचालित होती है: सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह, जन परिवहन, जलमार्ग और रसद बुनियादी ढांचा। सभी 7 इंजन अर्थव्यवस्था को एक साथ आगे बढ़ाएंगे।

मापदंडों के आधार पर विचार करें तो 20000 करोड़ रुपए के निवेश से 2022-23 के बीच नेशनल हाईवे की लंबाई 25000 किमी तक बढ़ाए जाने का ऐलान है। मोदी सरकार सड़क रेल जलवायु यातायात को विश्व का आधुनिकतम मजबूत स्वरूप देने पर लगातार काम कर रही है। इसमें पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक सड़कों के लिए राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम को पीपीपी मोड में भी लेने की बात है।  इसी तरह सौर ऊर्जा लक्ष के साथ डीजल डिजिटल गतिविधियों को ऊंचाई तक ले जाना सरकार का एक बड़ा लक्ष्य है। 2030 तक सौर क्षमता के 280 गीगावाट के लक्ष्य के लिए 19,500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त आवंटन किया गया है। इस साल 5 जी सेवा शुरू होगी । 2025 तक गांवों में ऑप्टिकल फाइबर बिछाने का काम पूरा होगा। अगले तीन  वर्षों के दौरान बेहतर दक्षता वाली 400 नई पीढ़ी की वंदे भारत ट्रेनें लाई जाएंगी। अगले तीन वर्षों के दौरान 100 प्रधानमंत्री गति शक्ति कार्गो टर्मिनल विकसित किए जाएंगे और मेट्रो प्रणाली के निर्माण के लिए नवीन तरीकों का कार्यान्वयन होगा।

ये ऐसी महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं जिनके पूरा होने में निश्चित रूप से समय लगेगा लेकिन फोकस करके काम किया जाए तो भारत आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए पहले से बेहतर आधारभूत संरचना वाला देश बनेगा। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम यानी एमएसएमई के योगदान को कोई नकार नहीं सकता। इसके लिए भी कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं। इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत 130 लाख से अधिक एमएसएमई को कर्ज दिए गए हैं। ईसीएलजीएस के दायरे को 50 हजार करोड़ रुपए से बढ़ाकर 5 लाख करोड़ रुपए तक कर दिया गया है। इससे 2 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज मिल सकेगा। रेलवे छोटे किसानों और छोटे व मध्यम उद्यमों के लिए नए उत्पाद और कुशल लॉजिस्टिक सेवा तैयार करेगा। उद्यम, ई-श्रम, एनसीएस और असीम के पोर्टल्स को इंटर लिंक किया जाएगा, जिससे इनकी पहुंच व्यापक हो जाएगी। इसमें ऋण सुविधा, उद्यमशीलता के अवसरों को बढ़ाना शामिल होगा। अर्थव्यवस्था में कार्बन फुटप्रिंट पहल को कम करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं में सॉवरेन ग्रीन बांड जारी किए जाएंगे।

कृषि क्षेत्र की ओर पूरे देश की नजर थी। भारत में कृषि जितना बेहतर होगा किसानों की आय जितनी बढ़ेगी आर्थिक ताकत को उतना ही सशक्त आधार मिलेगा। सरकार 2022 यानी इस वर्ष तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य पर कायम है। वित्त मंत्री ने कहा कि समावेशी विकास सरकार की प्राथमिकता है जिसमें धान, खरीफ और रबी फसलों के लिए किसान शामिल हैं। इसके तहत 1,000 लाख मीट्रिक टन धान की ख़रीद की उम्मीद है। इससे 1 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित होंगे। रबि के लिए 2021-22 में गेहूँ खरीफ में 2021-22 में 163 लाख किसानों से 1208 लाख मीट्रिक टन गेहूं और धान खरीदे जाने का लक्ष्य है। इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत 2.37 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किसानों के खाते में सीधे होगा।न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर जारी विवाद के बीच सरकार ने बजट के माध्यम से इसकी अस्पष्ट घोषणा करना उचित समझा है।

साल 2023 को सरकार ने मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। सरकार मोटे अनाज उत्पादों की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग पर जोर देगी। सिंचाई पर भी खासा जोर है। 44605 करोड़ रुपये की लागत से केन-बेतवा लिंक परियोजना को शुरू करने का ऐलान हुआ है।किसानों और स्थानीय आबादी को सिंचाई, खेती और आजीविका की सुविधा प्रदान करने वाली 9 लाख हेक्टेयर से अधिक किसानों की भूमि की सिंचाई प्रदान करने के लिए किया जाएगा। फसल मूल्यांकन, भूमि रिकॉर्ड, कीटनाशकों के छिड़काव के लिए किसान ड्रोन के उपयोग से कृषि और कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की लहर चलने की उम्मीद है। वित्त मंत्री ने किसानों को डिजिटल और हाईटेक सेवाएं देने के लिए निजी और सार्वजनिक भागीदारी यानी पीपीपी मॉडल की शुरुआत करने की घोषणा की। किसानों के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए, राज्य सरकारों और एमएसएमई की भागीदारी के लिए व्यापक पैकेज पेश किया जाएगा। ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।

तो लक्ष्य और सारी घोषणाएं उम्मीद पैदा करती हैं। समावेशी विकास किसी अर्थव्यवस्था का लक्ष हो सकता है। अर्थव्यवस्था में सभी वर्गों का ध्यान रखे जाने से लगता है सरकार संतुलित समावेशी आर्थिक विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। हालांकि आयकर छूट की सीमा न बनाए जाने से निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग में थोड़ी निराशा है किंतु लगता है इसके लिए और प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। अगर आर्थिक विकास बढ़ता है हमारी आपकी आय बढ़ती है तो बहुत समस्या नहीं होगी लेकिन कोना के कारण देश के बड़े बढ़ती आय घटी और खर्च बड़ी है।अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ रही है और या उत्साहजनक स्थिति है। लेकिन वित्त मंत्री ने स्वयं कहा कि सारे लक इस बात को ध्यान में रखकर तय किए गए हैं कि कोरना महामारी अब नहीं आएगी। कामना करें कि मां मारी पहले की तरह आक्रमण नहीं करेगी।

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