मोदीराज में आधी आबादी की ऊंची उड़ान

मोदी सरकार ने शुरुआत से ही महिलाओं की प्रगति पर विशेष ध्यान देना आरम्भ कर दिया था। आज उसके सुपरिणाम समाज में परिलक्षित होने लगे हैं। देश की महिलाएं उन्मुक्त भाव से राष्ट्र के विकास में अपने योगदान को प्रबल बना रही हैं। प्रधान मंत्री कई बार अपने भाषणों में उल्लेखित कर चुके हैं कि इसके पीछे उनकी माताजी हीराबेन के संघर्षों ने प्रेरणा का कार्य किया था।

एक बार एक समाज सुधारक ने स्वामी विवेकानंद से पूछा था- आप मुझे बताएं कि मैं महिलाओं के उत्थान के लिए कौन से काम करूं? जवाब में स्वामी जी मुस्कुराते हुए बोले- कुछ नहीं, बिना किसी दबाव व प्रतिबंध के उन्हें स्वतंत्र छोड़ दो, वह न केवल स्वयं के लिए वरन समाज व परिवार के लिए सबसे बेहतर खुद ब खुद कर लेंगी। स्वामी विवेकानंद का भारत की मातृशक्ति के बारे में कहा गया यह कथन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को सदा उत्प्रेरित करता है। स्वामी विवेकानंद को अपना जीवन आदर्श मानने वाले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल के बीते आठ साल की उपलब्धियां सही मायने में मातृशक्ति के उत्थान की अनूठी नजीर पेश करती हैं। आजादी के बाद के 68 सालों और प्रधान मंत्री मोदी के शासनकाल के पिछले आठ वर्षों में देश में हुए महिला सशक्तीकरण के प्रयासों का तुलनात्मक दृष्टि से विश्लेषण करें तो पाएंगे कि महिला उत्थान की बहुआयामी योजनाओं के चलते मोदी राज में न केवल देश की आधी आबादी का जीवन स्तर ऊंचा उठा है अपितु विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं ने अपनी एक अलग पहचान भी बनायी है।

आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला द्रौपदी मुर्मू का भारत का राष्ट्रपति बनना हो, आनंदीबेन पटेल का देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश और अनुसुइया उइके का छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनना हो, सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के पद को सुशोभित करने वाली न्यायमूर्ति हिमा कोहली, बी.वी. नागरत्ना, बी.एम. त्रिवेदी और इंदिरा बनर्जी हों, केंद्र सरकार में देश का वित्त मंत्रालय संभाल रही निर्मला सीतारमण हों, केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी हों, शिक्षा क्षेत्र में भारत की टॉप यूनिवर्सिटीज में शुमार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जे.एन.यू) की वर्तमान कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित समेत देश के आधा दर्जन विश्वविद्यालयों की महिला कुलपति हों, सैन्य क्षेत्र में देश की जांबाज फाइटर पायलेट अवनि चतुर्वेदी हों या फिर हाल ही में दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन पर तैनात महिला सैन्य अधिकारी कैप्टन शिवा चौहान हों; लम्बी फेहरिस्त है देश की आधी आबादी की ऐसी उपलब्धियों की, जिनके आलोक में यह कहना जरा भी बेमानी प्रतीत नहीं होगा कि गायत्री महाविद्या के सिद्ध साधक और अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने अब से 50 साल पहले भारत की इक्कीसवीं सदी के नारी सदी के रूप में विकसित होने की जो भविष्यवाणी की थी, वर्तमान समय में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वह सशक्त रूप में आकार लेती स्पष्ट दिख रही है। मोदी सरकार की लोकहितकारी योजनाओं के कारण आज देश की करोड़ों माताओं, बहनों और बेटियों का जीवन पहले की तुलना में काफी आसान हो गया है। आज वे देश के उत्थान में बढ़-चढ़कर योगदान दे रही हैं। आज से कुछ दशक पूर्व तक क्या कोई ऐसा सोच सकता था कि एक महिला पूरा देश चला सकती है? हवाई जहाज उड़ा सकती है? मुक्केबाजी, कुश्ती, क्रिकेट व हॉकी जैसे पुरुष प्रधान खेलों में वैश्विक स्तर पर अपनी धमक कायम कर सकती है? पर आज भारत की नारीशक्ति राजनीति, प्रशासन, न्याय, कानून, खेलकूद, समाजसेवा, शिक्षा, कला, विज्ञान व सेना आदि सभी क्षेत्रों में न केवल प्रतिभा साबित की है वरन अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन भी पूर्ण कुशलता से कर रही है।

बकौल मोदी उनके कार्यकाल में देश में लागू की गयी महिला सशक्तीकरण की योजनाओं के पीछे एक बड़ी प्रेरणा उनकी मां हीराबेन की है। उनका अपनी मां के प्रति प्रेम व लगाव जगजाहिर है। बीते दिनों अपनी मां के सौवें जन्मदिन पर मोदी जी का अपनी मां के जीवन पर लिखा गया ब्लाग सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुआ था जिसमें उन्होंने अपने मां के कठोर जीवन संघर्ष को बहुत बारीकी से रेखांकित किया था। बहुत छोटी उम्र में ही अपनी मां को खो देने और बचपन के कठोर संघर्षों ने उनकी मां को उम्र से बहुत पहले ही परिपक्व व समझदार बना दिया था। वडनगर के जिस घर में वे लोग रहा करते थे, वह बहुत ही छोटा था। उस घर में कोई खिड़की नहीं थी, कोई स्नानघर व शौचालय नहीं था। मिट्टी की दीवारों और खपरैल की छत से बना एक-डेढ़ कमरे का ढांचा ही उनका आवास था। गरीबी के उन अत्यंत संघर्षपूर्ण दौर में अपनी मां की अदम्य जिजीविषा व अपराजेय व्यक्तित्व ने उनके अंतस को गहराई से प्रभावित किया और जब ईश्वर ने उन्हें देश के लिए कुछ विशेष करने का मौका दिया तो महिला सशक्तीकरण उनकी सूची में प्राथमिकता पर रहा। उनका मानना है कि महिलाएं कुछ भी कर सकने में सक्षम हो सकती हैं, बशर्ते उन्हें परिवार व समाज का साथ व सहयोग मिले और वर्तमान की उनकी सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है।

गौरतलब हो कि भारत की राजनीति में आजादी के बाद संसद में महिलाओं की भागीदारी बहुत ही कम थी लेकिन सोलहवीं लोकसभा यानी 2014 के बाद इस प्रतिनिधित्व में 11% तक की बढ़ोतरी हुई और 2019 में सत्रहवीं लोकसभा में महिला सांसदों की सर्वाधिक भागीदारी के साथ यह संख्या 17% हो गयी। पिछले 70 सालों में यह भागीदारी सबसे अधिक है। मोदी सरकार महिलाओं को सबल और सशक्त बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित कर रही हैं। वर्तमान आकड़ों को देखें तो ‘उज्ज्वला योजना’ के माध्यम से करीब 8 करोड़ भारतीय महिलाओं की एलपीजी गैस सिलिंडर तक पहुंच ने उनको स्वस्थ जीवन जीने के लिए सशक्त किया है। वहीं उज्ज्वला 2.0 की बात की जाए तो इसके माध्यम से और 1 करोड़ वंचित परिवारों को लाभार्थी के रूप में शामिल किया गया है।

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान’ के देश के 640 से अधिक जिलों में विस्तार से आज हमारे बेटियां बेटों के साथ बढ़-चढ़कर कैरियर निर्माण में आगे आ रही हैं। बेटियों के सुरक्षित भविष्य के लिए 2015 से सुकन्या समृद्धि योजना के तहत देश में 1.26 करोड़ से अधिक बैंक खाते खुल चुके हैं, जिनमें 19,000 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जमा हुई है। महिलाओं के विरुद्ध हिंसा को रोकने के लिए मोदी सरकार ने कड़े से कड़े कदम उठाये हैं। मासूमों पर होने वाले जघन्य अपराध से जुड़े पास्को एक्ट में बदलाव कर बच्चियों से रेप के दोषियों के लिए फांसी तक की सजा का प्रावधान किया है। मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में तीन तलाक की कुप्रथा के खात्मे का ऐतिहासिक कदम उठाने का साहस सिर्फ मोदी सरकार ने ही दिखाया है। विवाह के लिए युवतियों की आयु में बढ़ोत्तरी से लैंगिक समानता और महिला स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहतर वातावरण सम्भव हो सका है। जन धन योजना के तहत अब तक 31.5 करोड़ महिला खाते खुल चुके हैं। जन धन योजना में 16.5 करोड़ महिलाओं को लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत बगैर बैंक गारंटी के लोन पाने वालों में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। सुरक्षित मातृत्व योजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की जीवन सुरक्षा के लिए निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं सरकार द्वारा प्रदान की जा रही हैं।

महिलाओं की सामाजिक भागीदारी को सशक्त बनाने और उनकी सक्षमता अभिवृद्धि के लिए ‘महिला शक्ति केंद्र’ स्थापित किया जा रहा है। महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के इरादे से ही शुरू की गयी ‘महिला ई-हाट’ के रुझान व नतीजे भी खासे उत्साहित करने वाले हैं। गरीब और शहरी दोनों क्षेत्रों की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा फ्री सिलाई मशीन योजना के तहत प्रतिवर्ष प्रत्येक राज्य में पात्र महिलाओं को 50000 फ्री सिलाई मशीन उपलब्ध करायी जाती है जिससे वे अपने हुनर और मेहनत से अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें। इसी तरह केंद्र सरकार द्वारा चलायी जा रही समर्थ योजना के तहत महिलाओं को अलग-अलग प्रकार के वस्त्र निर्माण का प्रशिक्षण और ऋण दिया जाता है। इस योजना का मुख्य फोकस महिला कामगारों को सबल बनाने पर है। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए संचालित ‘सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना’ के द्वारा गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान अस्पताल एवं प्रशिक्षित नर्स उपलब्ध करायी जाती है। साथ ही गर्भवती महिला (प्रसव के 6 महीने पश्चात तक) और नवजात शिशु को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने की भी व्यवस्था की गयी है।

काबिलेगौर हो कि केंद्र सरकार की ओर से चलाई जाने वाली नारी शक्ति पुरस्कार के अंतर्गत महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करते हुए प्रत्येक साल 8 मार्च (महिला दिवस) को राष्ट्रपति द्वारा एक सर्टिफिकेट भी प्रदान किया जाता है। इसके अलावा देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में भी हम बीते वर्षों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ते हुए देख सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों जैसे 2021 में, 119 में से 29 महिलाएं और 2022 में 128 में से 34 महिलाएं पद्म पुरस्कारों से सम्मानित की गयी हैं जो सम्भवतः आजादी के बाद से अब तक महिलाओं की इस पुरस्कार में सबसे ज्यादा संख्या कही जा सकती है।

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