भारत के समृद्धशालियों एवं प्रतिभाओं का पलायन क्यों?

धनाढ्य परिवारों का भारत से पलायन कर विदेशों में बसने का सिलसिला चिन्ताजनक है। ऐसे क्या कारण है कि लोगों को देश की बजाय विदेश की धरती रहने, जीने, व्यापार करने, शिक्षा एवं रोजगार के लिये अधिक सुविधाजनक लगती है, नये बनते भारत के लिये यह चिन्तन-मंथन का कारण बनना चाहिए। हेनले प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुमानित 6,500 हाई- नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआई) के 2023 में भारत से बाहर जाने की संभावना है, पिछले वर्ष की तुलना में यह करोड़पतियों के देश छोड़कर जाने की 7500 की संख्या भले ही कुछ सुधरी है, लेकिन नये बनते, सशक्त होते एवं आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर भारत के लिये यह चिन्तन का विषय होना ही चाहिए कि किस तरह भारत की समृद्धि एवं भारत की प्रतिभाएं भारत में ही रहे।

रिपोर्ट के अनुसार, उच्च निवल मूल्य वाली व्यक्तिगत आबादी के 2031 तक 80 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है, जो इस अवधि के दौरान भारत को दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते धन बाजारों में से एक के रूप में स्थापित करता है। यह वृद्धि मुख्य रूप से देश के भीतर संपन्न वित्तीय सेवाओं, स्वास्थ्य सेवा और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों द्वारा संचालित होगी। इसमें समृद्ध व्यक्तियों के भारत लौटने की प्रवृत्ति को भी देखा जा रहा है, और जैसे-जैसे जीवन स्तर में सुधार जारी है, यह अधिक संख्या में धनवान व्यक्तियों के भारत वापस आने का अनुमान लगाता है। लेकिन प्रश्न है कि भारत के करोड़पति आखिर नये बनते भारत एवं उसकी चिकित्सा, शिक्षा, आर्थिक, राजनीतिक, प्रशासनिक उज्ज्वलता के बावजूद क्यों विदेश जा रहे हैं? वैसे तो यह हर किसी का व्यक्तिगत अधिकार और चाहत हो सकती है कि वह कहां बसना और कैसी जीवनशैली चाहता है? लेकिन हाई नेटवर्थ वाले (अति समृद्ध) हमारे देशवासियों के देश छोड़ कर कहीं और बसने की तैयारी की ताजा रिपोर्ट बहुत कुछ कहती है। दुनियाभर में धन और निवेश प्रवासन के रुझान को ट्रैक करने वाली कंपनी की सालाना रिपोर्ट में अति समृद्ध भारतीयों का अपना सब-कुछ समेट कर हमेशा के लिए भारत से जुदा हो जाने का अनुमान अनेक प्रश्न खड़े करता है, सरकार को इन प्रश्नों पर गौर करने की जरूरत है।

संतोष इस बात पर किया जा सकता है कि ऐसा कदम उठाने वाले इन अति समृद्धशालियों की संख्या पिछले साल की तुलना में लगभग एक हजार कम है। लेकिन यह संख्या समूचे विश्व में सर्वाधिक है। भारत के दृष्टिकोण से इस तथ्य का विश्लेषण ज्यादा जरूरी हो जाता है। जानना यह भी जरूरी है कि बचपन से जवानी तक का एक-एक पल देश में गुजारने और यहीं अमीर बनने का सफर तय करने के बाद देश से मोह भंग होने के कारण आखिर क्या हो सकते हैं? उम्मीद यह की जाती है कि देश में रहकर समृद्धि हासिल करने वाले समय आने पर देश को लौटाएंगे भी। सवाल यही है कि देश को लौटाने और फायदा देने का वक्त आता है तब एकाएक विदेश में जाकर बसने की ललक कैसे और क्यों पैदा हो रही है? अपने देश के प्रति जिम्मेदारी निभाने के समय इस तरह की पलायनवादी सोच का उभरना व्यक्तिगत स्वार्थ, सुविधा एवं संकीर्णता को दर्शाता है।

बड़ा सवाल यह भी उठना स्वाभाविक है कि आखिर क्या कमी है हमारे यहां? यह बात सही है कि गांव से कस्बे, कस्बे से शहर और शहरों से महानगरों में जाकर बसने की मानवीय प्रवृत्ति होती है। इसे विकास से भी जोड़ा जा सकता है। लेकिन जब यह दौड़ बहुत ज्यादा होने लगे और लोग अपनी जड़ें ही छोड़ने को आकुल दिखें तो सोचना जरूरी हो जाता है। मुम्बई, दिल्ली, बेंगलूरु जैसे महानगर दुनिया के दूसरे महानगरों को टक्कर देने वाले हैं। फिर भी अगर ये भारतीय विदेशी महानगरों को ही चुन रहे हैं, तो तमाम पहलुओं पर विचार भी करना होगा। यह इसलिए भी जरूरी है कि यह दौड़ भारतीय महानगरों से विदेशी महानगरों की तरफ ही है। विदेश में बसने की यह दौड ऐसे समय देखने को मिल रही है जब देश में विकास के नये कीतिमान स्थापित हो रहे हैं, जीवनशैली उन्नत एवं सुविधापूर्ण होती जा रही है, व्यापार एवं व्यवसाय की संभावनाओं को पंख लग रहे हैं। भारत दुनिया में साख एवं धाक जमा रहा है।  दुनिया की नजरें भारत पर लगी है और यहां अनंत संभावनाओं को देखते हुए विदेशी भारत आ रहे हैं। फिर भारतीय विदेशों की ओर क्यों जा रहे हैं।

अपने देश से ही पाने और मौका पड़ने पर देश को लौटाने की परिपाटी बरसों से है। सिर्फ क्वालिटी लाइफ को ही पलायन की वजह नहीं माना जा सकता। उन कारणों की तलाश भी करनी जरूरी है जिसकी वजह से लोग देश को छोड़कर कहीं ओर बसना चाहते हैं। सुरक्षित माहौल, अनुकूल कर ढांचा, सरल प्रशासनिक व्यवस्था, निवेश का माहौल, रोजगार, शिक्षा व चिकित्सा जैसी सुविधाओं की तरफ भी ध्यान देना होगा ताकि पलायन की इस प्रवृत्ति की रोकथाम हो सके। बात केवल करोड़पतियों की ही नहीं है, बल्कि भारत की प्रतिभाओं की भी है। उच्च शिक्षित प्रतिभाओं को भारत में उचित प्रोत्साहन एवं परिवेश न मिलने से वे भी विदेशों की ओर पलायन करती है। विदेशों में काम करने वाले भारतीय उच्च शिक्षित हैं और आमतौर पर उन्हें भारत में उपयुक्त करियर नहीं मिला। सिंगापुर जैसे देशों ने भारतीयों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। इसके अलावा, स्कैंडिनेवियाई देश हैं, जिन्होंने आप्रवासन नियमों में ढील दी है, जिससे भारतीयों के लिए वहां जाना आसान हो गया है। सबसे बढ़कर, भारतीय आईटी पेशेवरों की अमेरिका में अत्यधिक मांग है। वैज्ञानिक और तकनीकी प्रवृत्ति पर आधारित विश्व स्तर पर ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था ने प्रतिभाशाली कर्मियों की बढ़ती मांग को जन्म दिया है। भारत विशेष रूप से यूरोपीय देशों के लिए प्रतिभाशाली और कुशल मानव संसाधनों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन गया। कई देश, इंजीनियरों, डॉक्टरों और संचार की भाषा के रूप में अंग्रेजी के साथ अन्य प्रमुख सेवा प्रदाताओं के रूप में भारतीयों की आंतरिक प्रतिभा से अवगत हैं, उनके लिए तेजी से अपने दरवाजे खोल रहे हैं। भारतीयों का एक बड़ा वर्ग विश्व की बड़ी कंपनियों में कार्यरत हैं। सूची में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एडोव, आईबीएम, पालो आल्टो नेटवर्क सहित अन्य शामिल हैं।

क्या कारण है कि जन्मभूमि को जननी समझने वाला भारतवासी आज अपनी समृद्धि को भोगने या अपनी प्रतिभा का विदेश की चकाचौंध भरी धरती उपयोग करने, उन्हें लाभ पहुंचाने विदेश की ओर भागता है और वहंा जाकर सम्पन्न एवं भोगवादी जीवन जीने लगता है? और यह भी नहीं कि बाहर जाने वाला हर व्यक्ति दक्ष होता है। क्या कारण है कि शस्य श्यामला भारत भूमि पर अपनी समृद्धि से विकास के नये क्षितिज उद्घाटित करने या अपनी प्रतिभा से देश को लाभान्वित करने की बजाय विदेश की धरती को लाभ पहुंचाते हैं। कारणों की लम्बी फहरिस्त में मूल है देश में अशांति, आतंक, जटिल कर-कानून व्यवस्था और हिंसा का ताण्डव होना? कारण है -शासन, सत्ता, संग्रह और पद के मद में चूर यह तीसरा राजनीतिक आदमी, जिसने जनतंत्र द्वारा प्राप्त अधिकारों का दुरुपयोग किया और जनतंत्र की रीढ़ को तोड़ दिया है। कृषि प्रधान देश को कुर्सी-प्रधान देश में बदल दिया है। सरकारें हैं-प्रशासन नहीं। कानून है–न्याय नहीं। साधन हैं-अवसर नहीं। भ्रष्टाचार की भीड़ में राष्ट्रीय चरित्र खो गया है। उसे खोजना बहुत कठिन काम है। बड़े त्याग और सहिष्णुता की जरूरत है। पलायनवादी सोच के कगार पर खड़े राष्ट्र को बचाने के लिए राजनीतिज्ञों को अपनी संकीर्ण मनोवृत्ति को त्यागना होगा। तभी समृद्ध हो या प्रतिभाशाली व्यक्ति अपने ही देश में सुख, शांति, संतुलन एवं सह-जीवन का अनुभव कर सकेगा और पलायनवादी सोच से बाहर आ सकेगा।

This Post Has 2 Comments

  1. Anonymous

    Beautiful explanation….
    Words km pd rhe tarif k liy itta accha explanation hai….🙏🏻😇

  2. Raje

    Terrorist and JIHADI AND ISLAM IS THE MAIN reason earlier congress govt.

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