अच्छा नहीं है नींद में बार-बार जागना

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यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस में किये गये एक शोध में यह पता चला है कि अगर व्यक्ति का निद्रा-चक्र लगातार बाधित होता रहता है, तो इसका उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ पर बुरा असर पड़ता है। इससे व्यक्ति में अल्जाइमर के लक्षण उभरने की संभावना काफी बढ़ जाती है।

मानसिक बीमारियों के दैहिक कारक

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ज्यादातर लोग यह सोचते हैं कि मानसिक बीमारियां हमारे मस्तिष्क की क्रियाशीलता को प्रभावित करने वाले जैविक, आनुवंशिक या पर्यावरणीय (आसपास का माहौल) कारकों की अव्यवस्थित कार्यवाही का परिणाम होती हैं। यह पूरी तरह से सच नहीं है। कई बार मानसिक बीमारियों का कारण शारीरिक भी होता है, जैसे - दिमागी चोट, स्नायु विकार, सर्जरी, अत्यधिक शारीरिक या मानसिक यंत्रणा आदि का प्रभाव भी व्यक्ति की मस्तिष्कीय क्रियाशीलता पर पड़ सकता है।

घातक है लगातार मोबाइल फोन का संपर्क

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कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, स्लीपिंग डिसऑर्डर्स (जैसे - अनिद्रा, अधिक नींद, नींद में चलना, नींद में कांपना आदि), पारकिंसन (हाथों-पैरों में कंपन ), अल्जाइमर (भूलने की बीमारी), रक्तचाप, हृदयाघात, बांझपन, श्रवण समस्या, नेत्र समस्या, त्वचा में एलर्जी, इंफेक्शन

चोरी करना भी एक मानसिक बीमारी

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कुछ लोग जान-बूझ कर अपनी जरूरतों या अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए चोरी करते हैं, जो कि वास्तव में एक अपराध है। वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं, जो संपन्न घरों से संबंध रखते हैं, जिन्हें चोरी करने की कोई जरूरत नहीं होती- इसके बावजूद वे चोरी करने से खुद को रोक नहीं पाते। ऐसे लोगों को सजा की नहीं, बल्कि उपचार की जरूरत होती है, क्योंकि वे क्लेपटोमेनिया नामक बीमारी से ग्रस्त होते हैं।

शारीरिक समस्याओं के कारक, मनोदैहिक विकार

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मनोदैहिक विकारों को लेकर सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि लोग उन्हें दूसरी सामान्य बीमारी समझ लेते हैं. इसलिए इनका बहुत सूक्ष्मता से निरीक्षण किये जाने की आवश्यकता है. कभी-कभी लोग इन्हें मरीज का सामान्य व्यवहार तक मान लेते हैं इसलिए भी इनके उपचार को लेकर समस्याएं आती हैं.

मानसिक रोग और रोगी

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जब किसी व्यक्ति का व्यवहार सामाजिक मानकों या सोशल नॉर्म्स के अनुरूप होता है, तो उसे हम सामान्य मानते हैं, लेकिन जब उसका व्यवहार उन मानकों के अनुसार नहीं होता, तो उसे असामान्य व्यवहार करार देते हैं। इसकी पहचान और चिकित्सा आवश्यक है।

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