उम्मीदें बढाताविश्व कप
किकेट और चुनावों में बहुत कुछ एक जैसा होता है। दोनोंमें बड़े खिलाड़ी होते हैं, दोनों पर लोगों की उत्सुकता चरम पर होती है, दोनों पर भविष्यवाणी करने वालों की भारी भीड़ होती है, दोनों की चर्चा चाय की दुकानों पर चलती है, सट्टे
किकेट और चुनावों में बहुत कुछ एक जैसा होता है। दोनोंमें बड़े खिलाड़ी होते हैं, दोनों पर लोगों की उत्सुकता चरम पर होती है, दोनों पर भविष्यवाणी करने वालों की भारी भीड़ होती है, दोनों की चर्चा चाय की दुकानों पर चलती है, सट्टे
ह मारे देश में यदाकदा महत्वहीन मुद्दों पर भी राष्ट्रीय बहसछिड़ जाती है। हालांकि यह विवाद एक अंतराल के बाद थम भी जाता है। परंतु इस दौरान समाज में वैचारिक प्रदूषण तो फैलता ही है। इसीलिए केंद्र सरकार द्वारा प्रकाशित एक विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना अधूरी छप जाने के कारण इसी प्रकार की एक गरम बहस देश में चल पड़ी।
कितनी भी कठिन, असंभव हो, स्थितियां कितनी भीविपरीत हो लेकिन इंसान यदि ठान लेता है, तहे-दिल से कोशिश करता है और उसके प्रयासों में सचाई और कुछ करने का माद्दा हो तो उसकी जीत और सफलता को कोई रोक नहीं सकता।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का निधन होने के पश्चात् भी, अनेक उतार-चढ़ाव संघ के जीवन में आने के बाद भी, राष्ट्र जीवन में अनेक उथल-पुथल होने के बावजूद संघ कार्य अपनी नियत दिशा में, निश्चित गति से लगातार बढ़ता हुआ अपने प्रभाव से सम्पूर्ण समाज को स्पर्श और आलोकित करता हुआ आगे ही बढ़ रहा है। संघ की इस यशोगाथा में ही डॉक्टर जी के समर्पित, युगदृष्टा, सफल संगठक और सार्थक जीवन की यशोगाथा है।
वैदिक वाङ्मय में प्रकृति, पर्यावरण तथा प्राणवायुके आवरण को संरक्षित करने पर सबसे अधिक महत्व दिया गया है। अथर्व वेद के पृथ्वी सूक्त में इसका बडा विशद वर्णन है।
किसी कवि ने लिखा है - दुनिया में आदमी को मुसीबत कहां नहीं वो कौन सी जमीं है जहां आसमां नहीं॥ न पंक्तियों पर अपनी अमूल्य टिप्पणी देने से पहले मैंयह कहना चाहूंगा कि मुसीबत और परेशानी के बीच एक छोटा सा अंतर है। कोई मुसीबत को भी परेशानी
मुझे इस विशेषांक के लिए होली पर व्यंग्य लिखने कोकहा गया तो मैं सोच में पड़ गया। होली तो स्वयं ही हास्य-व्यंग्य का महोत्सव है। व्यंग्य पर व्यंग्य तो कोई डबल व्यंग्यकार ही लिख सकता है, जो मैं नहीं हूं।
प्रति वर्ष आठ मार्च को विश्व महिला दिवस के अवसर परस्त्रियों का सम्मान, उनकी प्रगति और समाज में उनका योगदान इत्यादि विषयों पर चर्चा की जाती है। महिलाओं में भी अब अधिक जागृति दिखाई देती है। अत: महिला दिन भी विशेष रूप से याद रखा जाने लगा है। अब महिलाओं