कोरोना योद्धा

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महामारी के इस मुश्किल समय में डॉक्टर, नर्स, हॉस्पिटल स्टाफ, पुलिस, मीडिया और सफाई कर्मी सहित तमाम ऐसे लोग शामिल हैं जो इस महामारी के दौरान अपने घरों में ना रह कर बाहर आम जनता के लिए ड्यूटी कर रहे हैं। कोरोना वॉरियर्स को अपने काम के लिए अपना परिवार, घर और यहां तक की बच्चों को भी छोड़ना पड़ा है

उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं माना जाता

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उत्तराखंड कोरोना वायरस के दुष्प्रभावों से बाहर आने में सफल होता दिख रहा है।प्रवासी उत्तराखंड वासियों के लौटने से यदि राज्य में कोरोनो संक्रमण में बढ़ोतरी नहीं हुई तो राज्य को कोरोना से मुक्त होने में ज्यादा समय नही लगेगा।

कोरोना के खिलाफ जूझता मध्यप्रदेश

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मध्यप्रदेश सरकार ने वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण काल में ‘एफ.आई.आर.’ आपके द्वार योजना का शुभारंभ किया है जिससे समस्याओं का निवारण आसानी से हो सकेगा। अब जनता को रिपोर्ट लिखाने थाने तक नहीं जाना पड़ेगा।

कोरोना संकट के दौरान मोदी का नेतृत्व अमृतमय अवदान

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नयन बोल नहीं पाते और कलम देख नहीं पाती। वरना जो दृश्य इस स्तंभ को लिखते समय मन में कोलाहल निर्मित कर बैठे, वे कागज पर उतर आते।

कोरोना , संघ और सेवा कार्य

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तो इतना काम कर रहा है वही जो वामपंथी एवं छद्म आंबेडकरवादी सदैव संघ की आलोचना करते हुए नहीं थकते थे, जो सब अब कहीं नहीं दिख रहे हैं। जब भी भारत पर संकट आया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बड़ी ही तत्परता के साथ समाज कार्य में अपना योगदान दिया।

सेवा ,सावधानी , स्वदेशी और स्वावलम्बन आज का मूलमंत्र – पू. मोहनजी भागवत

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कोरोना संकट के दौरान संघ स्वयंसेवक पुरे समाज की आत्मीयता के साथ सेवा कर रहे हैं। यह भी संघ कार्य ही है। प्रस्तुत है सरसंघचालक पू. मोहनजी भागवत के कोरोना संकट और हमारे कर्तव्यों पर प्रदीर्घ भाषण का सेवा और स्वावलम्बन से सम्बधित सम्पादित अंश -

आत्मनिर्भरता का अध्यात्म -सेवा

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‘स्व’ की इस चेतना का विस्तार ही अध्यात्म है और उसके फलस्वरूप निःस्वार्थ भाव से किया गया कार्य ही ‘सेवा’ है।इस प्रकार जब समाज का हर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को गढ़ता है और सत्कर्म करते करते आगे बढ़ता है, तो ‘आत्मनिर्भर’ समाज के लक्ष्य की प्राप्ति में फिर कोई संशय नहीं रहता है।

सेवा परमो धर्म :

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अब ऐसी सेवा करने की आवश्यकता है जो समाज के हर तबके को आत्मनिर्भर बना सके। जब समाज का हर तबका आत्मनिर्भर बनेगा तभी देश आत्मनिर्भर बनेगा। सरकार के प्रयासों से अगर भारत में नए उद्योग आते हैं तो उन उद्योगों में काम करने वाले लोगों में जिन गुणों की आवश्यकता होगी उनका आंकलन कर ऐसे मानव संसाधनों का विकास करने का कार्य भी सेवाभावी संस्थाएं कर सकती हैं। यह सही मायने में समाज सेवा होगी; क्योंकि यह सेवा किसी को हाथ पसारने को मजबूर नहीं करेगी अपितु उन हाथों को परिश्रम और आत्म सम्मान से अपना भरण-पोषण करने और जीवन सम्पन्न बनाने के लिए प्रेरित करेगी।

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