खगोलशास्त्री आर्यभट : गणित एवं खगोल के हिमालय

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खगोलशास्त्र का अर्थ है ग्रह, नक्षत्रों की स्थिति एवं गति के आधार पर पंचांग का निर्माण, जिससे शुभ कार्यों के लिए उचित मुहूर्त निकाला जा सके। इस क्षेत्र में भारत का लोहा दुनिया को मनवाने वाले वैज्ञानिक आर्यभट के समय में अंग्रेजी तिथियाँ प्रचलित नहीं थीं।  अपने एक ग्रन्थ में…

स्वाभिमान के सूर्य पंडित सूर्यनारायण व्यास

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उज्जैन महाकाल की नगरी है। अंग्रेजी साम्राज्य का डंका जब पूरी दुनिया में बजा, तो जी.एम.टी (ग्रीनविच मीन टाइम) को मानक मान लिया गया; पर इससे पूर्व उज्जैन से ही विश्व भर में समय निर्धारित किया जाता था। इसी उज्जैन के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित नारायण व्यास और श्रीमती रेणुदेवी के…

भारतीय सनातन काल-गणना चान्द्र-सौर है

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भारत विविधताओंका देश है। यहाँ वर्षारम्भ भी अलग-अलग होते हैं। कुछेक राज्योंमें सौर है तो कुछमें सौर-चान्द्र। उदाहरणार्थ आसाम, बङ्गाल, पंजाब, हरियाणा, ओडिशा, तमिलनाडु तथा केरलमें सौरमास है तो आन्ध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्णाटकमें अमान्त सौर-चान्द्रमास है और उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार एवं पूर्वोत्तर राज्योंमें पूर्णिमान्त। यहाँ तक कि जो सौरमास…

हिंदू खगोल विज्ञान : नक्षत्र

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अभ्र कहते हैं बादल को, निरभ्र अर्थात जब बादल न हों, आकाश में नक्षत्र दिख रहे हों। भ को भासमान, प्रकाशित से समझें, चमकते नक्षत्र पिण्ड आदि। नभ अर्थात भ नहीं, जब बादल हों तथा नक्षत्र आदि न दिख रहे हों। जिस पथ पर सूर्य वर्ष भर चलता दिखाई देता…

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