मानस के अंग्रेजी अनुवादक एफ.एस.ग्राउस

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गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री रामचरितमानस केवल भारत ही नहीं, तो विश्व भर के विद्वानों के लिए सदा प्रेरणास्रोत रही है। दुनिया की प्रायः सभी भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ है। अंग्रेजी में सर्वप्रथम इसका अनुवाद भारत में नियुक्त अंग्रेज प्रशासनिक अधिकारी श्री एफ.एस.ग्राउस ने किया।  श्री ग्राउस का जन्म 1836 ई.…

क्रांतिवीर सुखदेव 

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स्वतन्त्रता संग्राम के समय उत्तर भारत में क्रान्तिकारियों की दो त्रिमूर्तियाँ बहुत प्रसिद्ध हुईं। पहली चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल तथा अशफाक उल्ला खाँ की थी, जबकि दूसरी भगतसिंह, सुखदेव तथा राजगुरु की थी। इनमें से सुखदेव का जन्म ग्राम नौघरा (जिला लायलपुर, पंजाब, वर्तमान पाकिस्तान) में 15 मई, 1907 को…

दिल्ली के राजा वसंतराव ओक

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संघ की प्रारम्भिक प्रचारकों में एक श्री वसंतराव कृष्णराव ओक का जन्म 13 मई, 1914 को नाचणगांव (वर्धा, महाराष्ट्र) में हुआ था। जब वे पढ़ने के लिए अपने बड़े भाई मनोहरराव के साथ नागपुर आये, तो बाबासाहब आप्टे द्वारा संचालित टाइपिंग केन्द्र के माध्यम से दोनों का सम्पर्क संघ से…

परमवीर धनसिंह थापा का पुनर्विवाह

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एक ओर चीनी नेता हिन्दी-चीनी भाई-भाई के नारे लगा रहे थे, तो दूसरी ओर 20 अक्तूबर, 1962 को उनकी सेना ने अचानक भारत पर हमला कर दिया। उस समय लद्दाख के चुशूल हवाई अड्डे के पास स्थित चैकी पर मेजर धनसिंह थापा के नेतृत्व में गोरखा राइफल्स के 33 जवान…

कुशल संगठक, सक्रिय राजनेता और लोकप्रिय व्यक्ति – कैलाश विजयवर्गीय

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दो दशक पहले कैलाश विजयवर्गीय ने महापौर के तौर पर इंदौर शहर में जो सकारात्मक बदलाव लाने शुरू किए थे, आज उनका सार्थक परिणाम हम सबके सामने है। अपने चार दशकों के राजनीतिक कैरियर में अपने सामाजिक मुद्दों से जुड़े कार्यों एवं बेबाक-तेजतर्रार छवि की वजह से वे देशभर में…

अल्लूरी सीताराम राजू का बलिदान

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अल्लूरि सीताराम राजू आन्ध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले के मोगल्लु ग्राम में 4 जुलाई, 1897 को जन्मे थे। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा राजमुंन्दरी व राजचन्द्रपुरम् में हुई। छात्र जीवन में ही उनका सम्पर्क निकट के वनवासियों से होने लगा था। उनका मन पढ़ाई में विशेष नहीं लगता था। कुछ समय…

विश्वकवि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर

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बंगला और अंग्रेजी साहित्य के माध्यम से भारत को विश्व रंगमंच पर अमिट स्थान दिलाने वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री देवेन्द्रनाथ तथा माता का नाम शारदादेवी था। बचपन से ही काव्य में रुचि रखने वाले इस प्रतिभाशाली…

लोकमाता अहिल्या, संस्कार इंदूर का

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इंदौर एक शहर मात्र नहीं बल्कि वहां के लोगों के हृदय में बसा अहसास है। इंदौरी होने का अहसास, लोकमाता अहिल्या के पुण्यों और देश का सबसे स्वच्छ शहर होने का अहसास। आठ बार संसद सदस्य और लोकसभा स्पीकर रहीं सुमित्रा महाजन ने अपने आलेख में इन भावों को बड़ी…

वाचन शिरोमणि पंडित नारायण प्रसाद पोखरेल

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भगवान की कथा हिन्दुत्व एवं धर्म के जागरण का एक प्रभावी माध्यम है। भारत में शायद ही कोई गांव या नगर हो, जहां प्रतिवर्ष भागवत और श्रीराम की कथा न होती हो। हजारों लोग इससे पुण्य प्राप्त कर अपना परिवार भी चला रहे हैं। प्रायः सभी कथावाचक अपने क्षेत्र में…

विश्व कल्याण का प्रकाश पुञ्ज बिखेरते गौतम बुध्द

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भारतीय संस्कृति की महान परम्परा में समय- समय पर ईश्वरीय अवतारों, ऋषि - महर्षियों, ज्ञानी- ध्यानी सन्तों के प्राकट्य ने राष्ट्र जीवन को सञ्जीवनी प्रदान की।‌ और कालचक्र की कुरीतियों से भारतीय जीवन पद्धति में घर कर गई, मूर्च्छा को दूर किया है। उसी परम्परा में महात्मा गौतम बुध्द का…

अद्भुत योद्धा हरि सिंह नलवा

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  हरि सिंह नलवा महाराजा रणजीत सिंह के सेनाध्यक्ष थे जिन्होने पठानों के विरुद्ध किये गये कई युद्धों का नेतृत्व किया। रणनीति और रणकौशल की दृष्टि से हरि सिंह नलवा की तुलना भारत के श्रेष्ठ सेनानायकों से की जा सकती है। उन्होने कसूर, सियालकोट, अटक, मुल्तान, कश्मीर, पेशावर और जमरूद…

धुंधलाता दादा साहेब फालके का स्वप्न

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भारतीय फिल्मों के पितामह दादासाहब फालके भारतीय संस्कृति धर्म, परम्परा के संवाहक थे। उनकी पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। उन्होंने भारत को सिनेमा के सशक्त माध्यम का परिचय कराया। उस समय उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि, आगे चलकर बॉलीवुड फिल्में हमारी संस्कृति पर…

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