राष्ट्र सेविका समिति की संस्थापिका लक्ष्मीबाई केळकर
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारत और पाकीस्तान के विभाजन का निर्णय हुआl महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की तो कोई परिसीमा ही नहीं थीl सिंध प्रांत भारत से विभाजित होनेवाला थाl वहाँ के माता बहनों की मौसीजी को बहुत चिंता थीl इसी समय कराची से मा.जेठाबहेन के आये हुये भावनापुर्ण पत्र से मौसीजी आत्यंतिक व्यथित हो गयी और वेणुताई कळंबकर के साथ अत्यंत विपरित परिस्थिती में विमान से कराची गयीl वहाँ पर तो पाकिस्तान का मदोन्मत्त स्वतंत्रता उत्सव मनाया जा रहा थाl ऐसे अत्यंत विकट परिस्थिती मे १२०० राष्ट्राभिमानी सेविकाओं का और मौसीजी का अनोखा राष्ट्रभावपूर्ण एकत्रिकरण हो रहा था! उस रात भगवे ध्वज को साक्षी रखकर अपने स्त्रीत्व की रक्षा करने की एवं भारतभू की सेवा आमरण करने की प्रतिज्ञा मौसीजी के सामने लीl और विभाजन के बाद इन सभी सेविकाओं की भारत मे अनेक स्थानों पर रहने की व्यवस्था मौसीजी ने कीl विपरीत परिस्थिती मे संगठन का अत्याधिक महत्व होता है ये प्रतिपादीत करने के लिये वं. मौसीजी सेविकाओं को यह सिंध का हृदयस्पर्शी उदाहरण देती थीl