राहुल गांधी को सेना के शौर्य पर भरोसा नहीं हैं?

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गत दिनों भारत में घुसपेठ करती हुई चीनी सेना को भारत के वीर योद्धा सैनिकों के द्वारा अपने पराक्रम और शौर्य से उन्हें पीछे धकेलते हुए पीठ दिखाकर भागने पर मजबूर कर दिया गया था और इस पर सेना के थलसेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता…

शौर्य और बुध्दिमत्ता की प्रतीक उत्तराखंड की नारी

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समय की मांग है कि गांवों में रह रही अभावग्रस्त मातृशक्ति के हित में सरकार और समाजसेवियों द्वारा उसी ईमानदारी से पहल हो जैसी आजादी से पहले या उसके बाद के शुरुआती दौर में हो रही थी। परिस्थितियां थोड़ा भी अनुकूल हुईं तो पलायन के भयावह संकट पर भी काबू पाने का माद्दा रखती है उत्तराखंड की नारी। विषम आर्थिक और भौगोलिक परिस्थितियों ने यदि यहां नारी के जीने की राह मुश्किल की है तो उनसे लड़ने का हौसला भी दिया है।

उत्तर प्रदेश के वीर पुरुष

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इतिहास में उन्हीं व्यक्तियों का नाम अंकित होता है, जो मानव जाति के कल्याण के लिए अपना जीवन अर्पित कर देते हैं। स्वयं कष्ट उठाकर दूसरों का दुःख दूर करने का कार्य वीरता की श्रेणी में आता है।

उत्तर प्रदेश की शौर्य गाथा

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शौर्य, युद्ध शास्त्र, सुरक्षा व्यवस्था का उत्तर प्रदेश से घनिष्ठ सम्बंध रहा है। पौराणिक काल के युद्धों और राष्ट्र सुरक्षा पर गौर करें तो स्पष्ट होगा कि रामायण और महाभारत काल से ही उत्तर प्रदेश में वीरता, अन्याय पर न्याय की विजय, अराजकता पर सुराज्य की विजय की परिपाटी और मनोवृत्ति का संवर्धन हुआ है।

शौर्य और पराक्रम की परम्परा

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राजस्थान में शौर्य और पराक्रम की परम्परा प्राचीन काल से है। स्वतंत्रता के बाद भी जो चार युद्ध हुए उनमें राजस्थान के श्ाूरमा शौर्य और पराक्रम में सबसे आगे रहे।

अप्रतिम शौर्य की जनगाथा- आल्हा

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‘आल्हा’ अथवा ‘आल्हखण्ड’ बारहवीं शताब्दी में रचित दो बनाफर राजपूत वीरों आल्हा और ऊदल की वीरता का महाकाव्य है। इस महाकाव्य के रचइता जगनायक या जगनिक महोबा के चंदेल राजा परमाल के दरबारी कवि एवं दिल्ली के सम्राट पृथ्वीराज के प्रसिद्ध दरबारी कवि चंदबरदाई के समकालीन थे।

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