संस्कृति और संस्कारों की संवाहक मातृभाषा

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अपनी मातृभाषा को त्यागकर अंग्रेजी एवं अन्य विदेशी भाषाओं को प्राथमिकता देने के कारण देशभर में अनेक छोटी-छोटी भाषाएं और बोलियां विलुप्त हो रही हैं। मातृभाषा दिवस का संकल्प तभी पूर्ण होगा जब हम अपनी भाषा के प्रति सजग होंगे और उसे बचाते हुए व्यवहार में लाने का प्रयास करेंगे।…

लोक साहित्य व संस्कृति की अध्येता डॉ. दुर्गा भागवत

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भारतीय लोक साहित्य एवं संस्कृति के अध्ययन, अनुशीलन तथा लेखन में अपना जीवन समर्पित करने वाली विदुषी डॉ. दुर्गा नारायण भागवत का जन्म 10 फरवरी, 1910 को इंदौर (म.प्र.) में हुआ था। इनके पिता 1915 में नासिक आ गये, अतः उनकी मैट्रिक तक की शिक्षा नासिक में हुई। इसके बाद…

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आत्मनिरीक्षण

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भाषा दुनिया भर के लोगों को जोड़ती है।  भाषा का उपयोग भावनाओं को व्यक्त करने, दूसरों के साथ बंधन, सिखाने, सिखने, विचारों को व्यक्त करने, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए आधार तैयार करने आदि के लिए किया जाता है।  पूरी दुनिया में भारतीय और अन्य लोग तरह-तरह की भाषाएं बोलते…

भारतीयता की वाहक हिंदी

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लगभग एक दशक पहले सात समुद्र पार अमेरिका में भारतीय साहित्य पर एक संगोष्ठी हुई थी, जिसमें भारत की सोलह भाषाओं के शीर्ष रचनाकारों ने हिस्सा लिया था।

बोलियां

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भारत एक बहुभाषा-भाषी देश है। स्वतंत्रता के उपरान्त भाषा के आधार पर ही राज्यों का गठन किया गया। भाषाओं को एक भौगोलिक सीमा में बांधने का कार्य किया गया।

खतरे में हैं हमारी भाषाएं।

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अपनी पारिवारिक-सामाजिक-व्यावसायिक व्यस्तताओं के बीच से एक-दो पल का वक्त निकालिए और जरा थमकर अपने आस-पास के माहौल पर गौर फरमाइए, तो चकित होते हुए आप पाइएगा कि आपके आस-पास का सारा माहौल ही बदल गया है।

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