दीर्घायु एवं उत्तम स्वास्थ्य के लिए भी अनिवार्य है अभिवादनशीलता

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भारतीय संस्कृति में अतिथि को भगवान का रूप माना गया है। तैत्रीय उपनिषद् में कहा गया है ‘अतिथि देवो भव’। कथासरितसागर कार सोमदेव भट्ट के अनुसार ‘यथाशक्त्यतिथै: पूजा धर्मो हि गृहमोधिनाम्’ अर्थात् अपनी शक्ति के अनुसार अतिथि का सत्कार करना गृहस्थ का धर्म है।

सूर्योदय हो रहा है

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15 अगस्त, भारत का स्वतंत्रता दिवस, स्वतंत्र भारत में भारतीय जनता की ओर से भारतीय जनता के लिए अमल में लाए गए भारतीय संघ राज्य का सालाना उद्घोष करने वाला यह दिन। 65 वर्ष पूर्व लगाए गए पौधे की आज क्या स्थिति है? लोगों का कितना कल्याण हुआ?।

‘ऊर्जावान युवक’ ही भारत को महाशक्ति बनाएगा

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पिछले कुछ सालों से एक बात बड़ी तीव्रता से ध्यान में आ रही है कि स्वतंत्रता दिवस हो या गणतंत्र दिवस युवाओं की सहभागिता अपेक्षाकृत कम दिखाई दे रही है।

धर्म, अनुभूति का विषय

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रविवार, 18 मार्च की सुबह थी। करीब 11 बज चुके थे। गोराई स्थित ग्लोबल विफश्यना फगोड़ा मेंं लगभग सात हजार लोग शांति से बैठे थे। इसमें महिलाएं थीं, युवक थे, ज्येष्ठ नागरिक भी थे।

मुद्रा-विज्ञान एवं रंग चिकित्सा

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एक पुरानी कहावत है: पहला सुख निरोगी काया; दूसरा सुख घर में माया; तीसरा सुख सुलक्षणी नारी; चौथा सुख पुत्र आज्ञाकारी। इन सुखों में सबसे बड़ा सुख स्वस्थ शरीर को बताया गया है। क्योंकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ-मन निवास करता है।

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